Sunday, March 04, 2007

गुणात्मक चरमोत्कर्ष प्राप्त करना



एक से ही चिपक कर क्यों बैठना , पूर्ण परिपूर्णता के साथ आवेग के परम सुख की लहर के बाद की लहरों में कब सवारी कर सकते हो?
यह सवाल हर उस शख्स के लिये है जो एक बार चरमोत्कर्ष को प्राप्त कर चुके हैं तथा दूसरे के लिए शायद इच्छा नहीं जताते.
कई महिलाएं गुणात्मक चरमोत्कर्ष के लिये सक्षम होती हैं, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती है. इसलिये अपने पार्टनर से सावधानी और कोमलता के साथ और प्रयोग की सानुकूलता व सम्मति से , वे जिस ऊंचाई को पाना चाहते हैं खोज सकते हैं , जिसकी सफलता के बारे में कभी सोचा भी न हो.
महिलाओं की उत्तेजना और चरमोत्कर्ष के चार चरण होते हैं. इनमें से पहला - उत्तेजना का चरण है. इसमें उसके निप्पल तन जाते हैं , उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है और स्तन फैल व फूल जाते हैं. ठीक इसी समय योनि में फैलाव व चिकनापन आ जाता है और उसका भगशिश्न बड़ा हो जाता है. इसके बाद चौरस भूमि या समस्थल - इस चरण में भगशिश्न वापस हो जाती है. योनि का उपरी अंतिम हिस्सा फूल जाता है और वह तीसरे चरण के आवेग की ओर बढ़ने लगती है. यहां उसकी सांसे काफी तेज चलने लगती हैं. आनंद की पीड़ा से उसका बदन ऐंठने लगता है या शरीर झटका देने लगता है और वह सिसकारी लेने लगती है कई बार तो उसकी आवाजे चिल्लाने की सीमा तक हो जाती हैं. उसकी योनि की नसें लयबध्द तरीके से सिकुड़ने लगती हैं. उसके आवेग के उत्कर्ष के समय कई लयबध्द सिकुड़न के बाद उसका शरीर पूर्णता की ओर जाता है. यह विश्लेषण या दृढ़ता का चरण होता है- चीजें धीमी और स्थिर होने लगती हैं. लगभग दस मिनट या आधे घंटे बाद यदि उत्तेजित न किया जाय तो उसका शरीर सेक्सुअली गैरउत्तेजित अवस्था में लौट आता है. इसी अंतिम चरण के दौरान कई महिलाएं दूसरे आवेग को भी पा सकती हैं.
सन् 1940 में अमेरिकन सेक्स विशेषज्ञ किन्सी ने पाया कि हर 7 मे से 1 महिला गुणात्मक आवेग का अनुभव करती है. एक दूसरे शोधार्थीटर्मन ने पाया कि यह आंकड़े सत्तयता के काफी निकट हैं. इसी तरह सन् 1960 में मास्टर और जानसन ने पाया कि यदि पर्याप्त उत्तेजित किया जाय तो ज्यादातर महिलाएं एक से ज्यादा चरमोत्कर्ष में सक्षम होती हैं. कई केसों में उन्होने यहां तक पाया कि कुछ महिलाएं दूसरे, तीसरे चौथे, पांचवे और छठवें चरमोत्कर्ष तक में सफल रहीं वह भी पूर्ण संतुष्टि के पूर्व.
एक ताजे सर्वेक्षण के मुताबिक हर उम्र की 106,000 अमेरिकन महिलाओं पर परीक्षण किया गया जिसमें 67% महिलाओं में ज्यादातर समय गुणात्मक चरमोत्कर्ष पसंद किया गया. इनमें से 35 साल की उम्र के ऊपर वालों में हर सातवीं महिला ने हर बार इसे पसंद किया. जिन्होने गुणात्मक चरमोत्कर्ष को पसंद किया उनमें से 66% महिलाओं ने चार से दस बार और 6% ने ग्यारह बार गुणात्मक चरमोत्कर्ष को प्राप्त किया.

हस्तमैथुन
स्पष्टतः कई महिलाएं सामान्यतौर पर आवश्यकतानुसार गुणात्मक चरमोत्कर्ष (multiple orgasms) को प्राप्त करती हैं. लेकिन इनमें से ज्यादातर सहवास के दौरान इसे नहीं पा पाती हैं. क्योंकि ज्यादातर पुरुषों को यह जानकारी हीं नहीं होती है कि उसका पार्टनर मल्टीपल चरमोत्कर्ष वाला है, जबकि वह होती है. ज्यादातर महिलाएं मल्टिपल आवेग की पूर्ति हस्तमैथुन से करती हैं (यह मेरा अपना नजरिया है). सामान्य तौर पर वे सहवास के दौरान की उत्तेजना को कंट्रोल कर लेती हैं और उत्तेजना की अवस्था वही रखती हैं जितनी संभोग के दौरान आवश्यक होती है.
अपने पार्टनर को बताएं कि चरमोत्कर्ष पाने के लिये आपकी उत्तेजना बढाने के लिये वह किस तरह से उंगलियों का प्रयोग कर सकता है.
एक सर्वे के अनुसार पास्टर और जानसन ने पाया कि ज्यादातर महिलाएं ज्यादा संख्या में परमानेद तभी पाती हैं जब वे लिंग के आलावा अन्य साधन प्रयुक्त करती हैं. वहीं कुछ महिलाएं - अनुमानित लगभग तीन में से एक-एक ही बार में पुरुष संसर्ग से पूर्णतः संतुष्ट हो जाती हैं. कुछ महिलाओं का कहना है कि चरमोत्कर्ष के पश्चात की उत्तेजना कष्टकारक और आनंद न देने वाली होती है, और यह उनके लिये बाद में होने वाले किसी आनंद को खत्म कर देती है.
परन्तु भगशिश्न द्वारा प्राप्त उत्तेजना से प्रथम बार मिलने वाल चरमोत्कर्ष सबसे बेहतर होता है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसे अगले सहायक अनुक्रम के चरमोत्कर्ष में भी प्रयुक्त किया जाय. क्योंकि उत्तेजना के दृढ़ चरण में भगशिश्न स्थिर तरीके से उत्तेजित होती है, इस दौरान यह अपने सुरक्षात्मक आवरण से बाहर निकल आती है. यह अवस्था अति संवेदनशील होती है और इसे सीधे उत्तेजित करना कष्टकारक भी हो सकता है. इसलिये इस दौरान भगशिश्न को उत्तेजित करने के लिए कुटिल (indirectly) रूप मे किसी अन्य तरीके का प्रयोग करना चाहिए. इसके लिये उसके पूरे भग क्षेत्र को सहलाना चाहिये, जबकि भगशिश्न से बचा जाना चाहिये. साथ ही महिला के शरीर के अन्य हिस्सों को उत्तेजित करने का प्रयास करें.

क्या गुणात्मक चरमोत्कर्ष आवश्यक है?
शायद, लेकिन जब मानव सेक्सुअलिटी की बात आती है तो ‘जितना ज्यादा उतना अच्छा ’ का सिध्दांत यहां पूर्ण सत्य नहीं होता है. यहां पूर्णतः महिलाओं के ऊपर निर्भर करता है कि उसे क्या पसंद है और क्या नहीं, और यह पसंद भी अलग-अलग महिलाओं की अलग-अलग होती है. जैसे कई महिलाओं का मानना है कि उनकी दूसरी और तीसरी उत्तेजना (orgasm) पहली की अपेक्षा काफी उंचे दर्जे की होती है. तो कुछ का मानना है कि पहली उत्तेजना ही सबसे बेहतर होती है. इसलिये गुणात्मक चरमोत्कर्ष निहायत तौर पर महिलाओं की निजी पसंद का मामला होता है. महिलाएं ऐसे पुरुषों को नापसंद करती हैं जो उनके चरमोत्कर्ष के समय पूर्ण समर्पण के बाद शारीरिक रूप से खाली हो जाता है.

चित्तवृत्ति और अवस्था के अनुरूप
निश्चित तौर पर , सभी महिलाएं प्रत्येक सेक्स क्रिया या हस्तमैथुन के दौरान जरूरी नहीं है कि चरमोत्कर्ष को दोहराएं. ज्यादातर महिलाओं के अनुसार गुणात्मक चरमोत्कर्ष की इच्छा पीरियड के दौरान या फिर ठीक पीरियड के पहले या बाद में या फिर गर्भावस्था के बीच के तीन महीने या फिर कम ऊंचे दर्जे के उत्कर्ष के दौरान होती है. जबकि कुछ महिलाओं के लिये हर सेक्स क्रिया या हस्तमैथुन के बाद गुणात्मक चरमोत्कर्ष की इच्छा होती है. इसलिये यह कहा जा सकता है कि गुणात्मक चरमोत्कर्ष कुल मिला कर मूड के ऊपर भी निर्भर करता है.
डॉगी सेक्स पोजीशन गुणात्मक चरमोत्कर्ष प्राप्त करने की एक बेहतरीन पोजीशन है. क्योंकि इस पोजीशन में पुरुष किसी महिला के जी - स्पॉट को उत्तेजित करने में आसानी से सक्षम होता है.
यदि कोई महिला यह महसूस करती है कि वह गुणात्मक चरमोत्कर्षको पसंद करती है और अभी उसे एक ही उत्तेजना की अनुभूति हो पा रही है तो ऐसी कई चीजें हैं जिनसे वह ऐसा कर सकती है.
इसके लिये या तो वह अपने पार्टनर को बताए या फिर अपने हस्तमैथुन के दौरान कुछ प्रयोग कर सकती है. ऐसा करने पर अगली बार आप कुछ ज्यादा सेक्सी अनुभव करेंगी. इसके लिये आप हस्तमैथुन के दौरान वे सभी कृत्य करें जिससे आप को आनंद की अनुभूति हो, तथा उसे ध्यान रखते जाएं. अपनी उंगलियों के माध्यम से कुछ ऐसा जरूर कर जाएं जो आपको सबसे अधिक आनंद की अनुभूति दे. और आप जब अत्यधिक सेक्सी अनुभव करने लगे तो फिर अपने पार्टनर को प्रेरित करें कि वह अपनी जिह्वा या उंगलियों के सहारे आपके भगशिश्न को उत्तेजना प्रदान करे. इस क्रिया से आपको अपने पहले चरमोत्कर्ष के दौरान काफी आनंद का अनुभव होगा. इसके पश्चात आप उसे गाइड करें कि आपको हस्तमैथुन के दौरान और क्या अच्छा लगा, और इसके लिये आप उससे क्या अपेक्षा रखती हैं. इसमें जरूरी नहीं कि पार्टनर स्वयं उत्तेजना को प्राप्त कर आपको आनंद दे लेकिन आपके द्वारा बताई गई क्रियाएं उसे उत्तेजित करने के साथ आपको भीचरमोत्कर्ष की ओर ले जाएंगी. इस दौरान जब आप महसूस करें कि अब आप चरमोत्कर्ष के काफी निकट हैं तब आप अपने पार्टनर को प्रवेश के लिये कहें.

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