Friday, March 21, 2008

गर्भधारण के बारे में जाने सबकुछ

किसी महिला की पूर्णता सामान्यतौर पर तभी मानी जाती है जब वह मां बनने का सुख प्राप्त करती है. इसके लिये उसे गर्भधारण से प्रसव तक की परिस्थितियों से जूझना पड़ता है. यहां प्रस्तुत है संभोग की सफलता से होने वाले गर्भधारण की जानकारी का पूरा संग्रह-

गर्भ परीक्षण

गर्भ परीक्षण क्या होता है और वह कैसे होता है?
गर्भ परीक्षण में रक्त अथवा मूत्र में उस विशिष्ट हॉरमोन को परखा जाता है जो गर्भवती होने पर ही महिला में रहता है। ह्यूमक कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (एच सी जी) नामक हॉरमोन को गर्भ हॉरमोन भी कतहे हैं जब उर्वरित अण्डा गर्भाषय से जुड़ जाता है तो आपके शरीर में एच सी जी नामक गर्भ हॉरमोन बनता है। सामान्यतः गर्भधारण के छह दिन बाद ऐसा होता है।

गृह गर्भ परीक्षण (एच पी टी) क्या होता है?
यह गृह गर्भ परीक्षण अपना परीक्षण स्वयं करो की शैली का परीक्षण है जो कि अपने घर पर सुगमता पूर्वक किया जा सकता है। यह सर्वसुलभ है, परीक्षण है जो कि अपने घर पर सुगमता पूर्वक किया जा सकता है। यह सर्वसुलभ है, इसकी कीमत 40-50 रुपये होती है। महिला को एक साफ शीषी में अपना 5 मिली मूत्र लेना होता है और परीक्षण के लिए किट में दिए गए विशिष्ट पात्र में दो बूंद मूत्र डालना होता है। उसके बाद कुछ मिनट तक इन्तजार करना होता है। अलग अलग ब्रान्ड के किट इन्तजार का समय अलग अलग बताते हैं समय बीतने पर रिजल्ट विंडों पर ररिणाम को देखें। यदि एक लाईन या जमा का चिन्ह देखे तो समझ लें कि आपने गर्भ धारण कर लिया है। लाईन हल्की हो तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता। हल्की हो या स्पष्ट अर्थ सकारात्मक माना जाता है।

एक बार पीरियड न होने पर कितनी जल्दी एच पी टी से सही सही परिणाम प्राप्त कर सकते हैं?
बहुत से एच पी टी पीरियड के निश्चित तिथि तक न होने पर 99 प्रतिशत उसी दिन सही परिणाम बताने का दावा करते हैं।
एच पी टी से नकारात्मक परिणाम पाकर भी क्या गर्भ धारण की सम्भावना हो सकती है?
हां, इसलिए अधिकतर एच टी पी महिलाओं को कुछ दिन या सप्ताह बाद पुनः परीक्षण का सुझाव देते हैं।

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गर्भधारण की प्रारम्भिक स्थिति :

पहला ट्रिमस्ट

रगर्भधारण के प्रारम्भिक लक्षण क्या हैं?
सामान्यतः औरतें माहवारी के न होने को गर्भधारण की सम्भावना से जोड़ती हैं, परन्तु गर्भधारण की प्रारम्भिक स्थिति में जो अन्य लक्षण एवं चिन्हों का अनुभव भी अधिकतर महिलाएं करती हैं इन में शामिल हैं (1) स्तनों में सूजन महसूस करना, ढीलापन या दर्द (2) घबराहट एवं उल्टी जिसे कि पारम्परिक रूप से प्रातःकालीन बीमारी से जोड़ा जाता है। (3) बार-बार मूत्र त्याग (4) थकावट (5) खाने की चीज़ से जी मितलाना या तीव्र चाहत (6) मूड में उतार चढ़ाव (7) निप्पल के आसपास का रंग गररा हो जाना (8) चेहरे के रंग का काला पड़ना।

एक बार माहवारी का न होना क्या हमेशा गर्भ धारण का पहला चिन्ह माना जा सकता है?
एक बार माहवारी का न होना सामान्यतः गर्भ धारण का चिन्ह होता है, हालांकि किसी किसी महिला को उस समय के आसपास कुछ रक्त स्राव हो सकता है या धब्बे लग सकते हैं। हाँ, जिस औरत की माहवारी नियमित नहीं रहती उस को यह पता लगने से पहले कि वास्तव में माहवारी नहीं हुई अन्य प्रारम्भिक लक्षणों से पता चल सकता है।

प्रसव की सम्भावित तिथि की गणना कैसे की जाती है?
आप की अन्तिम माहवारी के पहले दिन से लेकर सामान्यतः गर्भ 40 सप्ताह तक रहता है, यदि आप को अन्तिम माहवारी की तिथि याद हो और आपका चक्र नियमित हो तो आप घर बैठे प्रसव की सम्भावित तिथि की गणना कर सकते हैं। यदि आप का चक्र नियमित और 28 दिन लम्बा हो तो अन्तिम माहवारी के आधार पर (एल एम पी) आप पहले दिन में नौ महीने और 7 दिन जोड़कर प्रसव की सम्भावित तिथि का निर्धारण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप की अन्तिम माहवारी 5 सितम्बर को शुरू हुई थी तो प्रसव की सम्भावित तिथि अगले वर्ष 12 जून होगी।

गर्भ के प्रारम्भिक दिनों में क्या घबराहट और उल्टी केवब प्रातःकाल में ही होता है?
गर्भ की प्रारम्भिक स्थिति से सम्बधित घबराहट और उल्टी दिन और रात में किसी भी समय हो सकती है।

गर्भ सम्बन्धिक घबराहट और उल्टी से कैसे निपटना चाहिए?
मितली को रोकने एवं सहज करने के लिए कुछ निम्नलिखित टिप्स की आजमायें (1) थोड़ी थोड़ी देर के बाद थोड़ा थोड़ा खायें, दिन में तीन मुख्य भोज लेने की अपेक्षा 6-8 बार ले लें। (2) मोटापा बढ़ाने वाले तले हुए और मिर्ची वाले पदार्थ न लें। (3) जब जी मितलाये तब स्टार्च वाली चीजें खायें जैसे रस्क या टोस्ट। अपने बिस्तर के पास ही कुछ ऐसी चीजें रख लें ताकि सुबह बिस्तर से उठने से पहले खा सकें। अगर आधि रात को जी मितलाये तो उन चीजों को लें (4) बिस्तर से धीरे धीरे उठें। (5) घबराहट होने पर नीबू चूसने का प्रयास करें।

मित्तली के लिए क्या डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए?
यदि आप को लगे कि उल्टी बहुत ज्यादा हो रही है तो डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अत्यधिक उल्टी से अन्दर का पानी खत्म हो सकता है, ऐसी स्थिति में अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है।

गर्भावस्था में बार-बार मूत्र त्याग की जरूरत क्यों पड़ती है?
गर्भ की प्रारंभिक स्थिति में बढ़ते हुए गर्भाशय से ब्लैडर दबता है - इसी से बार-बार मूत्रत्याग करना पड़ता है।

दूसरा ट्रिमस्टर

गर्भ की दूसरी स्थिति (ट्रिमस्टर) के क्या लक्षण एवं चिन्ह होते हैं?
दूसरी स्थिति में (1) मित्तली और थकावट कम हो जाती है। (2) पेट बढ़ जाता है (3) वज़न बढ़ता है (4) पीठ दर्द (5) पेट पर फैलाव के निशान (6) चेहरे का रंग बदलना।

तीसरा ट्रिमस्टर

गर्भ धारण की तीसरी स्थिती (ट्रिमस्टर) के क्या लक्षण एवं चिन्ह होते हैं?
तीसरी स्थिति में निम्नलिखित लक्षण एवं चिन्ह उभरते हैं (1) बच्चे के बढ़ने से दबाव के कारण श्वास लेने में कठिनाई बढ़ जाती है। (2) जल्दी जल्दी मूत्र त्याग (3) छाती में जलन वाली दर्द (4) कब्ज (5) सूजे हुए ढीले स्तन (6) अनिद्रा (5) पेट में मरोड़।

अपरिपक्व प्रसव किसे कहते हैं?
37 वें सप्ताह से पहले ही प्रसव की सम्भावना को अपरिपक्व प्रसव कहते हैं।

अपरिपक्व प्रसव के लक्षण क्या होते हैं?
अपरिपक्व प्रसव के लक्षणों में शामिल हैं -
1. पीठ के निचले भाग में दर्द और दबाव।
2. नितम्बों पर दबाव
3. योनि से पानी जैसा गुलाबी अथवा भूरा स्राव होता है।
4. माहवारी जैसे क्रैम्पस, घबराहट, डॉयरिहा या बदहज़मी।
5. योनि के मैम्ब्रेन का फटना।

पेट में खिचाव क्यों पड़ते हैं?
पेट में खिचाव पीड़ा विहीन होते हैं और दसवें हफ्ते में ही शुरू हो जाते हैं परन्तु पूरी तरह वे अन्तिम ट्रिमस्टर में ही उभरते हैं जब ये खिचाव जल्दी और ज्यादा होने लगते हैं तो कभी कभी उसे प्रसव की प्रारम्भावस्था मान लेने की भूल भी हो जाती है।

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चेतावनी संकेत

गर्भ को खतरे की सूचना देने वाले कौन कौन से लक्षण होते हैं?
निम्नलिखित संकेतों को गम्भीर स्थिति का सूचक माना जा सकता है। (1) योनि से रक्तस्राव या धब्बे लगना (2) अचानक वज़न बढ़ना (3) लगातार सिर में दर्द (4) दृष्टि का धूमिल होना (5) हाथ पैरों का अचानक सूजना (6) बहुत समय तक उल्टियां (7) तेज बुखार और सर्दी लगना (गर्भ की प्रारम्भिक स्थिति में अचानक पेट में तेज दर्द (9) भ्रूण की गतिविधि को महसूस न करना।

योनि से रक्त स्राव अथवा धब्बे किस के सूचक हैं?
प्रारम्भिक महीनों में योनि से रक्त स्राव या धब्बे लगने के साथ-साथ पेट में दर्द भी हो तो उसे सम्भावित गर्भपात की चेतावनी माना जा सकता है। बाद के महीनों में यदि रक्त स्राव होता है तो उसे इस का संकेत माना जा सकता है कि बीजाण्डासन (प्लैसैन्टा) बहुत नीचे है अथवा वह गर्भाशय की दीवारों से अलग हो गया है।

अचानक वजन बढ़ना, लगातार सिर दर्द, धूमिल दृष्टि, हाथ पैरों में अचानक सूजन आना किस चीज़ के संकेत है?
ये लक्षण गर्भकाल में उच्च रक्त चाप के जिसे कि टौक्सीमिया भी कहा जाता है, उसके सूचक हो सकते हैं। ऐसे लक्षण होने पर महिला को रक्त चाप सामान्य करने के लिए अथवा भ्रूण परीक्षण के लिए अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ सकती है। टौक्सीमिया से कई कठिनाइयां हो सकती है जैसे कि भ्रूण की अपर्याप्त वृद्धि, अपरिपक्व प्रसव या प्रसव के दौरान भ्रूण पर संकट।

गर्भकाल में तेज़ बुखार खतरनाक क्यों होता है?
ठंडी कंपकंपी के साथ तेज बुखार अथवा बिना सर्दी के तेज़ बुखार इन बात का संकेत हो सकता है कि भ्रूण के आसपास के मैमब्रेन्स में सूजन है जिसे कि एम्निओनिटिस भी कहते हैं। यह भ्रूण के लिए विशेषकर खतरनाक होता है और इस के परिणामस्वरूप अपरिपक्व प्रसव भी हो सकता है।

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