tag:blogger.com,1999:blog-361052512024-03-06T23:45:07.320-08:00सेक्स क्यासेक्स विषय पर संपूर्ण जानकारी का संग्रहRamashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.comBlogger83125truetag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-13490156209604969792011-05-01T03:38:00.001-07:002011-05-01T04:21:32.727-07:00स्त्री का अनछुआ पर अहम पहलूः यौन विकार (Sexual Disorders)<span style="font-weight: bold;"></span>यदि नारियां ऐसा सोचती हैं कि ऐलोपेथी के चिकित्सकों ने उनकी लैंगिक समस्याओं को अनदेखा किया है, उनके लैं<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://2.bp.blogspot.com/-c_cr9jwZMto/Tb05o_pH5fI/AAAAAAAAB-E/WMAu20FokMY/s1600/1.jpg"><img style="float: left; margin: 0pt 10px 10px 0pt; cursor: pointer; width: 233px; height: 182px;" src="http://2.bp.blogspot.com/-c_cr9jwZMto/Tb05o_pH5fI/AAAAAAAAB-E/WMAu20FokMY/s320/1.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5601696887960233458" border="0" /></a>गिक कष्टों के निवारण हेतु समुचित अनुसंधान नहीं किये हैं तो वे सही हैं। सचमुच हमें स्त्रियों के लैंगिक विकारों की बहुत ही सतही और ऊपरी जानकारी है। हम उनकी अधिकतर समस्याओं को कभी भूत प्रेत की छाया तो कभी उसकी बदचलनी का लक्षण या कभी मनोवैज्ञानिक मान कर उन्हें ज़हरीली दवायें खिलाते रहे, झाड़ फूँक करते रहे, प्रताड़ित करते रहे, जलील करते रहे, त्यागते रहे और वो अबला जलती रही, कुढ़ती रही, घुटती रही, रोती रही, सुलगती रही, सिसकती रही, सहती रही..............<br /><br />लेकिन अब समय बदल रहा है। यह सदी नारियों की है। अब जहाँ नारियाँ स्वस्थ, सुखी और स्वतंत्र रहेंगी, वही समाज सभ्य माना जायेगा। अब शोधकर्ताओं ने उनकी¬ समस्याओं पर संजीदगी से शोध शुरू कर दी है। देर से ही सही आखिरकार चिकित्सकों ने नारियों की समस्याओं के महत्व को समझा तो है। ये स्त्रियों के लिये आशा की किरण है। 1999 में अमेरिकन मेडीकल एसोसियेशन के जर्नल (JAMA) में प्रकाशित लेख के अनुसार 18 से 59 वर्ष के पुरुषों और स्त्रियों पर सर्वेक्षण किये गये और 43% स्त्रियों और 31% पुरुषों में कोई न कोई लैंगिक विकार पाये गये। 43% का आंकड़ा बहुत बड़ा है जो दर्शाता है कि समस्या कितनी गंभीर है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(51, 255, 51);">यौन उत्तेजना चक्र (Female Sexual Response Cycle)</span><br /><br />स्त्रियों के यौन रोगों को भली-भांति समझने के लिए हमें स्त्रियों के प्रजनन तंत्र की संरचना और यौन उत्तेजना चक्र को ठीक से समझना होगा। यौन उत्तेजना<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://3.bp.blogspot.com/-np4o_vZoNys/Tb05o3kMaLI/AAAAAAAAB-M/1NSfhPorECU/s1600/2.jpg"><img style="float: left; margin: 0pt 10px 10px 0pt; cursor: pointer; width: 320px; height: 180px;" src="http://3.bp.blogspot.com/-np4o_vZoNys/Tb05o3kMaLI/AAAAAAAAB-M/1NSfhPorECU/s320/2.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5601696885792073906" border="0" /></a> चक्र को हम चार अवस्थाओं में बांट सकते हैं।<br /><br />उत्तेजना (Excitement) पहली अवस्था है जो स्पर्श, दर्शन, श्रवण, आलिंगन, चुंबन या अन्य अनुभूति से शुरू होती है। इस अवस्था में कई भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन जैसे योनि स्नेहन या Lubrication (योनि का बर्थोलिन तथा अन्य ग्रंथियों के स्राव से नहा जाना), जननेन्द्रियों में रक्त-संचार बड़ी तेजी से बढ़ता है। संभोग भी शरीर पर एक प्रकार का भौतिक और भावनात्मक आघात ही है और इसके प्रत्युत्तर में रक्तचाप व हृदयगति बढ़ जाती है और सांस तेज चलने लगती है। साथ ही भगशिश्न या Clitoris (यह स्त्रियों में शिश्न का प्रतिरूप माना जाता है ) में रक्त का संचय बढ़ जाने से यह बड़ा दिखाई देने लगता है, योनि सूजन तथा फैलाव के कारण बड़ी और लंबी हो जाती है। स्तन बड़े हो जाते हैं और स्तनाग्र तन कर कड़े हो जाते हैं। उपरोक्त में से कई परिवर्तन अतिशीघ्रता से होते हैं जैसे यौनउत्तेजना के 15 सेकण्ड बाद ही रक्त संचय बढ़ने से योनि में पर्याप्त गीलापन आ जाता है और गर्भाशय थोड़ा बड़ा हो कर अपनी स्थिति बदल लेता है। रक्त के संचय से भगोष्ठ, भगशिश्न, योनिमुख आदि की त्वचा में लालिमा आ जाती है।<br /><br />दूसरी अवस्था उत्तेजना की पराकाष्ठा (Plateau) है । यह उत्तेजना की ही अगली स्थिति है जिसमें योनि (Vagina), भगशिश्न (Clitoris), भगोष्ठ (Labia) आदि में रक्त का संचय अधिकतम सीमा पर पहुँच जाता है, जैसे जैसे उत्तेजना बढ़ती जाती है योनि की सूजन तथा फैलाव, हृदयगति, पेशियों का तनाव बढ़ता जाता है। स्तन और बड़े हो जाते हैं, स्तनाग्रों (Nipples) का कड़ापन तनिक और बढ़ जाता है और गर्भाशय ज्यादा अंदर धंस जाता है। लेकिन ये परिवर्तन अपेक्षाकृत धीमी गति से होते हैं।<br /><br />तीसरी अवस्था चरम-आनंद (Orgasm) की है जिसमें योनि, उदर और गुदा की पेशियों का क्रमबद्ध लहर की लय में संकुचन होता है और प्रचंड आनंद की अनुभूति होती है। यह अवस्था अतितीव्र पर क्षणिक होती है। कई बार स्त्री को चरम-आनंद की अनुभूति भगशिश्न के उकसाव से होती है। कई स्त्रियों को बिना भगशिश्न को सहलाये चरम-आनंद की अनुभूति होती ही नहीं है। कुछ स्त्रियों को संभोग में गर्भाशय की ग्रीवा (Cervix) पर आघात होने पर गहरे चरम-आनंद की अनुभूति होती है। दूसरी ओर कुछ स्त्रियों को गर्भाशय की ग्रीवा पर आघात अप्रिय लगता है और संभोग के बाद भी एंठन रहती है। पुरुषों की भांति स्त्रियां चरम-आनंद के बाद भी पूर्णतः शिथिल नहीं पड़ती, और यदि उत्तेजना या संभोग जारी रहे तो स्त्रियां एक के बाद दूसरा फिर तीसरा इस तरह कई बार चरम-आनंद प्राप्त करती हैं। पहले चरम-आनंद के बाद अक्सर भगशिश्न की संवेदना और बढ़ जाती है और दबाव या घर्षण से दर्द भी होता है।<br /><br />चरम-आनंद के पश्चात अंतिम अवस्था समापन (Resolution) है जिसमें योनि, भगशिश्न, भगोष्ट आदि में एकत्रित रक्त वापस लौट जाता है, स्तन व स्तनाग्र सामान्य अवस्था में आ जाते हैं और हृदयगति, रक्तचाप और श्वसन सामान्य हो जाता है। यानी सब कुछ पूर्व अवस्था में आ जाता है।<br /><br />सभी स्त्रियों में उत्तेजना चक्र का अनुभव अलग-अलग तरीके से होता है, जैसे कुछ स्त्रियां उत्तेजना की अवस्था से बहुत जल्दी चरम-आनंद प्राप्त कर लेती हैं। दूसरी ओर कई स्त्रियां सामान्य अवस्था में आने के पहले कई बार उत्तेजना की पराकाष्ठा और चरम-आनंद की अवस्था में आगे-पीछे होती रहती हैं और कई बार चरम-आनंद प्राप्त करती हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">विभिन्न लैंगिक विकार</span><br /><br />सन् 1999 में अमेरिकन फाउन्डेशन ऑफ यूरोलोजीकल डिजीज़ ने स्त्रियों के सेक्स रोगों का नये सिरे से वर्गीकरण किया है, इस प्रकार है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">महिला अधःसक्रियता यौन इच्छा विकार (Hypoactive Sexual Desire Disorder)</span><br /><br />इस विकार में स्त्री को अक्सर यौन विचार नहीं आते और संभोग की इच्छा भी कभी नहीं होती या कभी कभार ही होती है। इस रोग में स्त्री दुखी या कुंठित रहती ही है और अपने साथी से संबन्ध भी प्रभावित होते हैं। कुछ स्त्रियों में यह विकार अस्थाई होता है और कुछ समय बाद ठीक हो जाता है। इसकी व्यापकता दर 10% से 41% आंकी गई है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">महिला यौन घ्रणा विकार (Sexual Adversion Disorder)</span><br /><br />इस विकार में स्त्री को यौन-संबन्ध तनिक भी रुचिकर नहीं लगता है। महिला संभोग से बचने के लिए हर संभव प्रयत्न करती है। यदि उसका साथी शारीरिक संबन्ध बनाने की कौशिश करता है तो वह तनाव में आ जाती है, डर जाती है, उसका जी घबराने लगता है, दिल धड़कने लगता है, यहाँ तक कि वह बेहोश भी हो जाती है। साथी से सामना न हो इसलिए वह जल्दी सो जाती है, स्वयं को सामाजिक या अन्य कार्यों में व्यस्त रखती है या फिर किसी भी ऊंच-नीच की परवाह किये बिना घर तक छोड़ देती है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">महिला कामोत्तेजना विकार (Sexual Arousal Disorder)</span><br /><br />इस स्थिति में स्त्री को वांछित यौन उत्तेजना नहीं होती है या उत्तेजना पर्याप्त अवधि तक नहीं बनी रहती है। फलस्वरूप न योनि, भगशिश्न, भगोष्ठ आदि में पर्याप्त रक्त का संचय होता है और न ही योनि में रसों का पर्याप्त स्राव तथा सूजन होता है या अन्य शारीरिक परिवर्तन होता हैं। इससे स्त्री को ग्लानि होती है, साथी से मधुरता कम होती है। इसका कारण कोई मानसिक रोग या दवा नहीं है। इस रोग में स्त्रियां संभोग का पूरा आनंद तो लेती हैं पर वे दुखी रहती हैं कि उन्हें यौन उत्तेजना नहीं हुई और योनि में संभोग के लिए आवश्यक रसों का स्राव नहीं हो सका। इस विकार की व्यापकता दर भी 6% से 21% है।<br /><br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">महिला चरम-आनंद विकार (Orgasmic Disorder)</span><br /><br />यदि स्त्री को संभोग करने पर यौन उत्तेजना के बाद चरम-आनंद की प्राप्ति कभी भी या अक्सर न होती हो या बड़ी कठिनाई और बड़े विलंब से होती हो तो उसे महिला चरम-आनंद विकार कहते हैं। ऐसा किसी मानसिक रोग या दवा के कारण नहीं होता है। चरम-आनंद न मिलने से स्त्री को सदमा होता है। इसकी दर 5% से 42% है। लगभग 5% स्त्रियों को जीवन में कभी चरम-आनंद मिलता ही नहीं है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">लैंगिक दर्द विकार (Sexual Pain Disorders)</span><br /><br />कष्टप्रद संभोग (Dysperunia) में संभोग करते समय कभी कभी या निरंतर दर्द होता है।<br />योनि आकर्ष (Vaginismus) में हमेशा या कभी कभार जैसे ही योनि में शिश्न का प्रवेश होता है योनि के अग्र भाग में अचानक संकुचन होने के कारण शिश्न का प्रवेश कष्टप्रद हो जाता है, जिससे स्त्री को भी काफी शारीरिक और मानसिक वेदना होती है। इसकी दर भी 3% से 46% है।<br /><br />कष्टप्रद संभोग भौतिक विकारों जैसे योनि-प्रघाण शोथ (Vestibulitis), योनि क्षय (Vaginal Atrophy) या संक्रमण या मनोवैज्ञानिक कारणों से भी हो सकता है। योनि आकर्ष योनि में शिश्न के कष्टदायक प्रवेश की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप या मनोवैज्ञानिक कारणों से हो सकता है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">महिला सेक्स विकार के कारण</span><br /><br /><span style="font-weight: bold;">रक्त संचार संबन्धी रोग</span><br /><br />उच्च रक्तचाप, कॉलेस्ट्रोल ज्यादा होना, डॉयबिटीज, धूम्रपान और हृदयरोग में स्त्रियों को सेक्स संबन्धी विकार होते ही हैं। पेल्विस या जनन्न्द्रियों में चोट लगना, पेल्विस की हड्डी टूट जाना, जननेन्द्रियों में कोई शल्यक्रिया या अधिक सायकिल चलाने से योनि तथा भगशिश्न में रक्त प्रवाह कम हो सकता है जिससे सेक्स विकार हो सकते हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">नाड़ी रोग</span><br /><br />जो नाड़ी रोग पुरूषों में स्तंभन दोष पैदा करते हैं वे स्त्रियों में भी सेक्स विकार पैदा करते हैं। मेरुरज्जु आघात (Spinal cord Injury) या डायबिटीज समेत नाड़ी रोग स्त्रियों में सेक्स संबंधी दोष पैदा कर सकते हैं। उन स्त्रियों को चरम-आनंद की प्राप्ति बहुत मुश्किल होती है जिन्हें मेरुरज्जु में चोट लगी हो।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">हार्मोन</span><br /><br />हाइपोथेलेमिक पिट्युइटरी एक्सिस दोष, औषधि या शल्यक्रिया द्वारा वंध्यकरण (Castration), रजोनिवृत्ति, प्रिमेच्योर ओवेरियन फेल्यर और गर्भ-निरोधक गोलियां स्त्री सेक्स विकार के हार्मोन संबन्धी कारण हैं, जिनमें मुख्य लक्षण शुष्क योनि (Dry Vagina), यौन-इच्छा विकार और कामोत्तेजना विकार हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">औषधियां</span><br /><br />कई तरह की औषधियां विशेषतौर पर मनोरोग में दी जाने वाली सीरोटोनिन रिअपटेक इन्हिबिटर्स (SSRI) स्त्रियों में सेक्स संबन्धी विकार का महत्वपूर्ण कारण है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">यौन उत्तेजना चक्र को प्रभावित करने वाले रोग</span><br /><br /><span style="font-weight: bold;">आर्थ्राइटिस</span><br /><br />यदि स्त्री को जोड़ों में दर्द और सूजन हो तो मुक्त लैंगिक-संसर्ग में कुछ अड़चन या दर्द होना तो स्वभाविक है, लेकिन संभोगपूर्व दर्द निवारक दवा, स्नेहन द्रव्य (Lubricant) या गर्म पानी की थैली और संभोग की आसान मुद्राओं (जिनके प्रयोग से दर्द कर रहे जोड़ों पर दबाव न पड़े) का प्रयोग करके संभोग का आनंद लिया जा सकता है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">हृदयरोग</span><br /><br />हृदयरोग में अधिक श्रम करने पर छाती में दर्द होना या पैरों में रक्त-प्रवाह कम होना सामान्य लक्षण हैं। लेकिन स्त्रियों को लैंगिक संसर्ग में इतना श्रम नहीं होता है कि वे संभोग न कर पाएं। जैसा भी हो चिकित्सक की राय ले लेनी चाहिये।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">डायबिटीज</span><br /><br />डायबिटीज से पीड़ित स्त्रियों की नाड़ियां क्षतिग्रस्त होना शुरू हो जाती हैं, जिससे उन्हें कामोत्तेजना देर से होना, चरम-आनंद मिलने में कठिनाई आदि लक्षण होना सामान्य है। डायबिटीज को नियंत्रण में रखने से ये विकार ठीक हो जाते हैं या इनके लिए उपचार लिया जा सकता है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">एपीलेप्सी</span><br /><br />एपीलेप्सी मस्तिष्क को जाने वाले नाड़ी संदेशों का शोर्ट सर्किट कर देती है जिससे यौन-इच्छा और कामोत्तेजना दोष होना स्वाभाविक है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">वृक्करोग</span><br /><br />किडनी में कोई विकार होने पर मूत्रपथ और जननेन्द्रियों में संक्रमण (UTI) होना स्वाभाविक है। स्त्रियों का मूत्रपथ अपेक्षाकृत छोटा होता है। हमेशा जननेन्द्रियों को स्वच्छ रखना चाहिये और संक्रमण से बचना चाहिये।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">मेरुरज्जु आघात</span><br /><br />स्पाइनल कोर्ड में कोई भी आघात होने पर लैंगिक संसर्ग (Sexual Intercourse) प्रभावित होना स्वाभाविक बात है। इससे जननेन्द्रियों की नाड़ियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं जिससे योनि में स्नेहन द्रव्य का स्राव कम होता है, हालांकि वे संसर्ग में चरम-आनंद प्राप्त करती रहती हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">स्ट्रोक</span><br /><br />मस्तिष्क की वाहिकाएं अवरुद्ध होने पर हाथ पैरों में लकवा पड़ना, पेशियों का कमजोर होना, हाथ पैरों में हरकत न होना जैसी तकलीफें होती हैं। इनके कारण लैंगिक संसर्ग प्रभावित होगा ही। लेकिन नाड़ियां क्षतिग्रस्त नहीं होती है, इसलिए हल्के-फुल्के बदलाव और जुगाड़ के साथ संभोग किया जा सकता है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">थायरॉयड रोग</span><br /><br />थायरॉयड हार्मोन के असंतुलन से मासिक धर्म संबन्धी अनियमितताएं, यौन-इच्छा दोष हो सकता है तथा अन्य सह-घटक भी सेक्स को प्रभावित करते हैं। थायरॉयड रोग के उपचार से यौन विकार भी ठीक हो जाते हैं।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 204, 0); font-weight: bold;">रजोनिवृत्ति (Menopause)</span><br /><br />रजोनिवृत्ति में स्त्री के अंडाशय ईस्ट्रोजन हार्मोन बनाना बंद कर देते हैं जिसके फलस्वरूप शरीर में कई परिवर्तन होते हैं, जो उसके लैंगिक संसर्ग को भी प्रभावित करते हैं। एक मुख्य परिवर्तन योनि का शुष्क होना है। योनि में चिकने स्राव न होने से संभोग कष्टप्रद हो जाता है। ईस्ट्रोजन कम होने से योनि की पेशियां सिकुड़ जाती हैं और जख्म लगने की संभावना ज्यादा रहती है। इसके उपचार हेतु ईस्ट्रोजन की गोलियां या क्रीम दी जाती हैं।<br /><br />सामान्यतः रजोनिवृत्ति में स्त्रियों की काम-इच्छा प्रभावित नहीं होती है और वे जीवन के आखिरी पड़ाव में भी लंबे समय तक लैंगिक संसर्ग का आनंद लेती रहती हैं, बशर्ते स्वास्थ्य अच्छा बना रहे और अपने जीवनसाथी से संबन्धों में मधुरता बनी रहे।<br /><br />फिर भी उम्र ढलने के साथ साथ स्त्री के लैंगिक व्यवहार में फर्क तो आता है, जैसे उसे उत्तेजित होने में ज्यादा समय लगता है और चरम-आनंद की प्राप्ति भी थोड़ी कठिनाई तथा विलंब से होती है। कई स्त्रियों को चरम-आनंद की स्थिति में योनि की पेशियों के संकुचन भी अपेक्षाकृत कम होते हैं। दूसरी ओर इस उम्र तक आते आते उनके साथी भी स्तंभनदोष के शिकार हो ही जाते हैं और कई बार ऐसे दम्पत्ति लैंगिक संसर्ग के स्थान पर हाथों या मुख से एक दूसरे की जननेन्द्रियों को उत्तेजित करके या अपने यौनांगों को साथी के यौनांगों से रगड़ कर ही अपनी पिपासा शांत कर लेते हैं। इस तरह इस उम्र में भी कई दम्पत्ति नियमित यौन क्रिड़ाएं करते हैं और संतुष्ट होते हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">रजोनिवृत्ति में शारीरिक परिवर्तन</span><br /><br /><span style="font-weight: bold;">त्वचा</span><br /><br />स्वेदन और सेबेशियस ग्रंथियों का स्राव कम होना, स्पर्श से कामोत्तेजना कम होना।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">स्तन</span><br /><br />स्तन में फैट की मात्रा कम होना, यौन-उत्तेजना होने पर स्तनों में फुलाव और स्तनाग्रों में संकुचन कम होना।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">योनि</span><br /><br />योनि के मांसल खोल की लंबाई और लचीलापन कम होना, योनि के गीलेपन में कमी, योनि का पीएच जो सामान्यतः 3.5 से 4.5 के बीच रहता है बढ़ कर 5 या ज्यादा हो जाना और योनि की आंतरिक झिल्ली का पतला हो जाना।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">आंतरिक जननेन्द्रियां</span><br /><br />डिम्बाशय (Ovary) और डिम्बवाही नलियों (Fallopian tubes) का छोटा होना, डिम्बाशय कूप अविवरता (Ovarian Follicular Atresia), गर्भाशय का वजन 30% से 50% कम होना, गर्भाशय की ग्रीवा का आकर्ष और श्लेष्मा (Mucous) का स्राव कम होना।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">मूत्राशय</span><br /><br />मूत्र नलिका (Ureter) और मूत्राशय त्रिकोण (Trigone of bladder) का अविवरता।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">कैंसर</span><br /><br />कैंसर का तो आगमन ही स्त्री को आतंकित, आशंकित और आहत कर देता है। उसे अपना लैंगिक आनंद तो अंधकारमय दिखाई देता ही है साथ में अपना आत्म-स्वाभिमान, सौंदर्य, आकर्षण या शरीर काई अंग खो जाने की कल्पना भी भयभीत करती रहती है। एक ओर मृत्यु और पति के बेवफा हो जाने खौफ़ बना रहता है तो दूसरी ओर सर्जरी, कीमो और रेडियो की त्रिधारी तलवार चौबीसों घंटे सिर पर लटकी रहती है। दुख की इस घड़ी में पति के प्यार की एक झप्पी जादू के समान काम करती है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">महिला सेक्स विकार के मनोवैज्ञानिक पहलू</span><br /><br />स्त्री लैंगिक विकार के कारणों में भौतिक पहलुओं के साथ साथ मनोवैज्ञानिक पहलू भी बहुत महत्व रखते हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">व्यक्तिगत</span><br /><br />धार्मिक वर्जना, सामाजिक प्रतिबंध, अहंकार, हीन भावना।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">पुराने कटु अनुभव</span><br /><br />पूर्व लैंगिक, शाब्दिक या शारीरिक प्रताड़ना, बलात्कार, सेक्स संबन्धी अज्ञानता।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">साथी से मतभेद</span><br /><br />संबन्धों में कटुता, विवाहेतर लैंगिक संबन्ध, वर्तमान लैंगिक, शाब्दिक या शारीरिक प्रताड़ना, कामेचछा मतभेद , वैचारिक मतभेद, संवादहीनता।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">दुनियादारी</span><br /><br />आर्थिक, काम-काज या पारिवारिक समस्याएं, परिवार में किसी की बीमारी या मृत्यु, अवसाद (Depression)।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">निदान</span><br /><br />स्त्रियों के सेक्स विकारों के कारण और उपचार के मामले में चिकित्सक दो खेमों में बंट गये हैं। हमें दोनों पर ध्यान देना है और दोनों के हिसाब से ही उपचार करना है।<br /><br />पहला खेमा वाहिकीय परिकल्पना को महत्व देता है और मानता है कि किसी बीमारी (जैसे डायबिटीज और एथरोस्क्किरोसिस), प्रौढ़ता या तनाव की वजह से जननेन्द्रियों में रक्तप्रवाह कम होने से योनि में सूखापन आता है तथा भगशिश्न की संवेदना कम होती है जिससे यौन उत्तेजना प्रभावित होती है। ये लोग ऐसी औषधियों और मरहम प्रयोग करने की सलाह देते हैं जो जननेन्द्रियों में रक्तप्रवाह बढ़ाती हैं।<br /><br />दूसरा खेमा हार्मोन की थ्योरी पर ज्यादा विश्वास रखता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्त्रियों के शरीर में स्त्री हार्मोन ईस्ट्रोजन और पुरूष हार्मोन टेस्टोस्टीरोन का स्राव कम होने लगता है। ईस्ट्रोजन के कारण ही स्त्रियों में यौन-इच्छा पैदा होती है। टेस्टोस्टिरोन पुरुष हार्मोन है लेकिन यह स्त्रियों में भी कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। स्त्रियों में इसका स्राव पुरूषों के मुकाबले 5% ही होता है। यह यौवन के आगमन के लिए उत्तरदायी है जिसमें किशोर लड़कियों के जननेन्द्रियों और बगल में बाल आने शुरू हो जाते हैं। स्तन और जननेन्द्रियाँ संवेदनशील हो जाती हैं और इनमें काम-उत्तेजना होने लगती है।<br /><br />पुरुष हार्मोन्स को एन्ड्रोजन के नाम से भी जाना जाता है। ये स्त्रियों में कामोत्तेजना के लिए प्रमुख हार्मोन हैं। साथ ही यह स्त्रियों में हड्डियों के विकास और घनत्व बनाये रखने के लिए भी अत्यंत आवश्यक हैं।<br /><br />स्त्रियों के शरीर में सबसे ज्यादा टेस्टोस्टिरोन का स्राव प्रजनन काल में होता है। इस हार्मोन की अधिकतर मात्रा एक विशिष्ट बंधनकारी ग्लोब्युलिन से जुड़ी रहती है। इसका मतलब उपरोक्त महत्वपूर्ण कार्यों के लिए इसकी एक सिमित मात्रा ही रक्त में विद्यमान रहती है। रक्त के परीक्षण द्वारा हम रक्त में मुक्त और बंधित टेस्टोस्टिरोन का स्तर जान सकते हैं और सही निदान कर सकते हैं।<br /><br />रजोनिवृत्ति में स्त्रियों के अंडाशय ईस्ट्रोजन और टेस्टोस्टिरोन दोनों का ही स्राव कम कर देते हैं। टेस्टोस्टिरोन की कमी के मुख्य लक्षण यौन इच्छा कम होना, लैंगिक कल्पनाएं, स्वप्न और विचार कम आना, स्तनाग्र, योनि और भगशिश्न की स्पर्श संवेदना कम होना है। स्वाभाविक है कि काम-उत्तेजना और चरम-आनंद की अनुभूति भी प्रभावित होगी।<br /><br />साथ ही शरीर की मांस-पेशियां भी पतली होने लगती हैं, जननेन्द्रियों के बाल कम होने लगते हैं और प्रजनन अंग सिकुड़ने शुरू हो जाते हैं। योनि और आसपास के ऊतक घटने लगते हैं। संभोग में दर्द होने लगता है और सिर के बाल भी पुरुषों की भांति कम होने लगते हैं।<br /><br />एक तीसरा सिद्धांत और सामने आया है जिसे अतृप्ति या असंतोष परिकल्पना कहते हैं, इसे भी ठीक से समझना जरूरी है। कई स्त्रियों में लैंगिक समस्याओं का कारण हार्मोन्स की कमी या जननेन्द्रियों में रक्त का कम प्रवाह न होना होकर संभोग के समय भगशिश्न और योनि का पर्याप्त घर्षण नहीं होना है। युवा स्त्रियों में यह बहुत महत्वपूर्ण है। कई बार स्त्री और पुरूष सेक्स के मामले में खुलकर वार्तालाप नहीं करते हैं। जिससे वे एक दूसरे की इच्छाओं, पसंद नापसंद, वरीयताओं से अनभिज्ञ रहते हैं। पुरूष को मालूम नहीं हो पाता कि वह स्त्री को किस तरह कामोत्तेजित करे, स्त्री को कौनसी यौन-क्रिड़ाएं ज्यादा भड़काती हैं, उसके शरीर के कौन से क्षेत्र वासनोत्तेजक (Erogenous) हैं और कौनसी लैंगिक मुद्राएं उसे जल्दी चरम-आनंद देती हैं। इस तरह स्त्री को मिलती है सेक्स में असंतुष्टि, आत्मग्लानि, अवसाद और लैंगिक संसर्ग से विरक्ति। यदि समय रहते समस्या का निदान और उपचार न हो पाये तो पहले आपस में तकरार, फिर संबंधों में दरार, आगे चल कर विवाहेतर सम्बंध और तलाक होने में भी देर नहीं लगती।<br /><br />कुछ ही वर्षों पहले तक माना जाता था कि अधिकतर (90% से ज्यादा) स्त्री लैंगिक रोग मनोवैज्ञानिक कारणों से होते हैं। लेकिन आज धारणायें बदल गयी हैं। अंततः चिकित्सक और शोधकर्ता इसके निदान और उपचार के नये-नये आयाम ढ़ूंढ रहे हैं। आजकल देखा जा रहा है कि स्त्री लैंगिक रोग के ज्यादातर मामले किसी न किसी शारीरिक रोग के कारण हो रहे हैं, न कि मनोवैज्ञानिक कारणों से। इसलिए उपचार भी संभव हो सका है।<br /><br />चिकित्सक को चाहिये कि वह एकांत और शांत परामर्श कक्ष में स्त्री को अपने पूरे विश्वास में लेकर सहज भाव से विस्तार में पूछताछ करे। रोगी से उसकी माहवारी, लैंगिक संसर्ग, व्यक्तिगत या पारिवारिक सूचनाएं, वर्तमान या अतीत में हुई कोई लैंगिक या अन्य प्रताड़ना आदि के बारे में बारीकी से पूछा जाना चाहिये। रोगी के साथी से भी अच्छी तरह पूछताछ की जानी चाहिये। एक ही प्रश्न कई तरीके से पूछना चाहिये ताकि रोगी की समस्या को समझने में कोई गलती न हो। बातचीत के दौरान उसे बीच-बीच में रोगी की आँखों में आँखे डाल कर बात करनी चाहिये और शारीरिक मुद्राओं पर भी पूरा ध्यान रखना चाहिये। स्त्री को भी बिना कुछ छुपाये अपनी समस्या स्पष्ट तरीके से चिकित्सक को बता देनी चाहिये। चिकित्सक को उन सारी औषधियों के बारे में भी बता देना चाहिये जिनका वह सेवन कर रही है। हो सकता है उसकी सारी तकलीफ कोई दवा कर रही हो और मात्र एक दवा बदलने से ही उसकी सारी तकलीफ मिट जाये।<br /><br />इसके बाद चिकित्सक को बड़े ध्यान से रोगी का क्रमबद्ध तरीके से परीक्षण करना चाहिये ताकि की रोग यहीं चिन्हित कर लिए जायें।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">यंत्रों द्वारा योनि परीक्षण</span><br /><br />योनि में रक्त के प्रवाह और संचय को फोटोप्लेथीस्मोग्राफी द्वारा नापा जाता है। इसमें एक टेम्पून के आकार का एक्रिलिक यंत्र योनि में डाला जाता है जो प्रकाश की किरणों द्वारा रक्त के बहाव और तापमान को नापता है। लेकिन यह चरम-आनंद की अवस्था में बहाव और तापमान को नापने में असमर्थ है। योनि का पीएच लेवल भी नापा जाता है। यूरोलोजिस्ट पीएच नाप कर योनि में संक्रमण करने वाले कीटाणुओं का अनुमान लगा लेते हैं। रजोनिवृत्ति में हार्मोन और योनि में स्राव की मात्रा कम होने से पीएच बढ़ कर 5 या ज्यादा ज्यादा हो जाता है। भगशिश्न तथा भगोष्ठ की दबाव और तापमान के प्रति संवेदना को बायोथीसियोमीटर नामक यंत्र द्वारा नापा है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">उपचार</span><br /><br />कई बार स्त्रियों की सेक्स समस्याओं के उपचार की आवश्यकता ही नहीं होती है। बस आप अपनी समस्या खुल कर साथी को बताते रहें, आपके साथी से तालमेल अच्छा हो तो छोटी मोटी समस्याएं आप मिल कर ही हल कर लेंगे। जरूरत सिर्फ अपनी नीरस और बोरिंग हो चले सेक्स रूटीन में जोश और रोमांस का तड़का लगाने और छोटी छोटी बुनियादी बातों को व्यवहार में लाने की है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">बुनियादी उपचार सूत्र</span><br /><br /><span style="font-weight: bold;">शिक्षा</span><br /><br />जननेन्द्रियों की संरचना और कार्यप्रणाली, माहवारी, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति, प्रौढ़ता आदि के बारे में स्त्रियों को किताबों, प्रदर्शनियों और टीवी के जरिये पूरी जानकारी दी जानी चाहिये। जब भी रोगी को कोई नई बीमारी का निदान हो या नई दवा दी जाये या कोई शल्यक्रिया हो तो उसे संबन्धित लैंगिक मुद्दों के बारे चर्चा की जानी चाहिये।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">तौरतरीकों में बदलाव</span><br /><br />लैंगिक संसर्ग के समय बातचीत करें, एकदूसरे की पसंद नापसंद, वरीयताएं जानें और एकदूसरे की उत्तेजना भड़काने वाली यौन-क्रियाएं मालूम करें। लैंगिक संसर्ग की मुद्राएं, समय और स्थान बदल कर जीवन में नयापन लायें। कभी कभी रोमांस के लिए एक दिन निश्चित करें, शहर से बाहर निकलें, सैर-सपाटा मौज मस्ती करें और किसी रोमांटिक रिसोर्ट में रात की पारी खेलें।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">इन्हें भी आजमायें</span><br /><br />कभी-कभी सप्ताहांत में दोनों साथी रूमानी हो जाये, अगरबत्ती जला कर फिजा को महकाये, शमां जला कर दिव्य माहौल बनाये, सपनों की दुनिया सजायें, बारी-बारी से एक दूसरे का प्यार से किसी अच्छे हर्बल तेल द्वारा मसाज करें, गुफ्तगू करें। एक दूसरे को बतायें कि उन्हें कहाँ और कैसा स्पर्श अच्छा लगता है। ऐसा मसाज से दम्पत्तियों के ऊर्जा चक्र खुल जाते हैं और वे एक दूजे में खो जाते हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">कीगल व्यायाम</span><br /><br /><span style="font-weight: bold;">लाभ</span><br /><br />• मूलाधार की पेशियां मजबूत होती हैं।<br /><br />• चरम-आनंद की तीवृता बढ़ती है।<br /><br />• चरम-आनंद के समय मूत्र निकल जाने की समस्या ठीक होती है।<br /><br />• संभोग के समय ध्यान का विकर्षण (Distraction) होता है।<br /><br />• संभोग के आनंद की अनुभूति बढ़ती है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">विधि</span><br /><br />विधि सरल है स्त्री योनि में अपनी अंगुली डाल कर मूलाधार (Perineum) की मांसपेशियों को उसी तरह धीरे धीरे दस तक गिनते हुए सिकोड़ें मानो मूत्र-त्याग की क्रिया को रोकना हो, फिर तीन गिनने तक मांसपेशियों को सिकोड़ें रहें और उसी तरह धीरे धीरे दस तक गिनते हुए मांसपेशियों को ढीला छोड़ें। इसे दस से पंद्रह बार रोज करें। बाद में इसे किसी भी समय, कहीं भी, किसी भी मुद्रा में किया जा सकता है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">यौन-इच्छा विकार</span><br /><br />यौन-उच्छा विकार का उपचार आसान नहीं है। रजोनिवृत्ति-पूर्व यौन-इच्छा विकार कई बार आधुनिक जीवनशैली के घटकों जैसे बच्चों की पढ़ाई या जिम्मेदारियों का बोझ, ऑफिस के कामों का मनोवैज्ञानिक दबाव, दवाइयां या अन्य सेक्स विकार आदि के कारण भी होता है। कई बार लैंगिक संसर्ग में आई उकताहट से भी यौन-इच्छा कम हो जाती है। रजोनिवृत्ति के दौरान यौन-इच्छा विकार के उपचार हेतु ईस्ट्रोजन का प्रयोग किया जाता है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">कामोत्तेजना विकार</span><br />कामोत्तेजना विकार के उपचार में अच्छे स्नेहन द्रव्य प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। ज्यादा उम्र की स्त्रियों में कई बार अपर्याप्त घर्षण के कारण उत्तेजना नहीं होती है। तब चिकित्सक उन्हें मैथुनपूर्व गर्म शावर लेने, मैथुनपूर्व कामक्रिड़ाएं बढ़ाने आदि की सलाह देते हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">चरम-आनंद विकार (Anorgasmia)</span><br /><br />ऐनोर्गेज्मिया का उपचार संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा और सेन्सेट फोकस द्वारा किया जाता है। इसके औषधीय उपचार में सिलडेनाफिल और बूप्रोपियोन का प्रयोग किया जाता है। लेकिन इनके नतीजे बहुत अच्छे नहीं हैं और ये एफ.डी.ए. द्वारा प्रमाणित भी नहीं है।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">कष्टप्रद संभोग</span><br /><br />के कई भौतिक कारण हो सकते हैं और उनका समाधान उपचार का पहला कदम होना चाहिये। यदि कारण मालूम न हो सके या अस्पष्ट हो तो उपचार बहु-आयामी और बहु-विषयक होना चाहिये। आवश्यकतानुसार मनोचिकित्सा भी देनी चाहिये जिसमें पुरुष को भी साथ रखना चाहिये और शारीरिक, भावनात्मक और आपसी तालमेल संबन्धी सभी मुद्दों के समाधान हो जाने चाहिये।<br /><br />लैंगिक दर्द विकार के कुछ कारणों जैसे वलवर वेस्टिब्युलाइटिस और वेजीनिसमस के उपचार में फिजियोथैरेपी (आपसी प्रतिक्रिया, श्रोणि की पेशियों का विद्युत उत्तेजन, श्रोणि का सोनोग्राम, वेजाइनल डाइलेटर्स) काफी लाभदायक है।<br /><br />योनि आकर्ष के उपचार में मनोचिकित्सक धीरे धीरे रोगी को विश्वास में लेता है। योनि का परीक्षण यह कह कर करता है कि दर्द होने पर परीक्षण रोक देगा और आहिस्ता आहिस्ता योनि को फैला देता है। इस तरह रोगी का डर निकाल देता है।<br /><br />वेजीनिसमस के औषधीय उपचार हेतु वेजाइनल एट्रोफी में ईस्ट्रोजन, वल्वोवेजाइनल केन्डायसिस में फंगसरोधी और वलवर वेस्टिब्युलाइटिस में एन्टीडिप्रेसेन्ट आदि प्रयोग करते हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">औषधियां</span><br /><br />यदि आपकी समस्या किसी भौतिक कारण से है तो चिकित्सक आपके उपचार की योजना बतला देगा। योजना में दवाइयां, जीवनशैली में छोटा-मोटा बदलाव या शल्यक्रिया का सुझाव भी हो सकता है। हो सकता है वह आपको मनोचिकित्सक से भी संपर्क करने को कहे। कुछ प्रभावशाली उपचार इस तरह हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">योनि स्नेहन द्रव्य</span><br /><br />शुष्क योनि के उपचार हेतु बाजार में विभिन्न स्नेहन क्रीम, जेल या सपोजीटरी मिलते है। ये बिना चिकित्सक प्रपत्र के भी खरीदे जा सकते हैं। पानी में घुलनशील क्रीम या जेल अच्छे रहते है। लेटेक्स रबर के बने कंडोम तेल में घुलनशील स्लेहन द्रव्य जैसे पेट्रोलियम जैली, मिनरल तेल या बेबी ऑयल से क्रिया कर फट सकते हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">ईस्ट्रोजन क्रीम</span><br /><br />रजोनिवृत्ति के बाद होने वाली शुष्क योनि तथा योनि क्षय में ईस्ट्रोजन क्रीम का प्रयोग काफी लाभप्रद रहता है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">सिलडेनाफिल</span><br /><br />सिलडेनाफिल पुरुषों के स्तंभनदोष में काफी प्रयोग की जाती है। स्त्रियों में काम-उत्तेजना पैदा करने के लिए एलोपैथी के पास अभी कोई दवा नहीं है। इसलिए सिलडेनाफिल को स्त्रियों में भी जुगाड़ के रूप में प्रयोग किया गया है, पर नतीजे ज्यादा अच्छे नहीं हैं। कुछ ही स्त्रियों की काम-उत्तेजना में लाभ देखा गया है। एफ.डी.ए. ने भी इसे स्त्रियों में प्रयोग करने के लिए प्रमाणित नहीं किया है। इसके पार्श्वप्रभाव सिरदर्द, जुकाम, चेहरे पर लालिमा, असामान्य दृष्टि, अपच आदि हैं। कभी-कभी उसके प्रयोग से रक्तचाप इतना कम हो सकता है कि घातक दिल का दौरा पड़ सकता है। नाइट्रेट सेवन करने वालों को सिलडेनाफिल लेना जानलेवा साबित हो सकता है। ।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">हार्मोन प्रतिस्थापना उपचार (Hormone Replacement Therapy)</span><br /><br />रजोनिवृत्ति से होने वाले विकारों के उपचार हेतु होर्मोन्स का प्रयोग किया जाता है। अकेला ईस्ट्रोजन उन स्त्रियों को दिया जाता है जिनका गर्भाशय शल्यक्रिया द्वारा निकाल दिया गया है जबकि गर्भाशय को साथ लिए जी रही स्त्रियों को ईस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन (कृत्रिम प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन) दिया जाता है क्योंकि प्रोजेस्टिन ईस्ट्रोजन की अधिकता के दुष्प्रभाव (गर्भाशय कैंसर) से गर्भाशय की सुरक्षा करते हैं। वर्षों तक यह समझा जाता रहा कि रजोनिवृत्ति में ईस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन उपचार स्त्रियों को हृदयरोग, उच्च-कॉलेस्टेरोल, कैंसर आंत, एल्झाइमर रोग और अस्थिक्षय (Osteoporosis) से बचाता है। परंतु 2002 में हुई खोज के अनुसार रजोनिवृत्ति में ईस्ट्रोजन या इस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन उपचार से स्तन कैंसर, हृदयाघात, स्ट्रोक और अंडाशय कैंसर का जोखिम बहुत बढ़ जाता है। होर्मोन उपचार उन स्त्रियों को बहुत राहत देता है जिनको रजोनिवृत्ति के कारण शुष्क योनि या संभोग में दर्द होता है साथ में हॉट फ्लशेज और अनिद्रा में भी लाभ मिलता है। अनुसंधानकर्ता छोटे अंतराल के लिए दिये गये होर्मोन उपचार को तो सुरक्षित मानते हैं लेकिन लंबे समय तक होर्मोन उपचार देने के पक्ष में नहीं हैं। पांच वर्ष के बाद होर्मोन उपचार बंद कर दिया जाना चाहिये। स्त्रियों में होर्मोन उपचार शुरू करने का निर्णय सोच समझ कर लिया जाना चाहिये और रोगी को इसके फायदे नुकसान अच्छी तरह समझा देने चाहिये।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">टेस्टोस्टिरोन</span><br /><br />वैज्ञानिकों के पास पर्याप्त सबूत हैं कि स्त्रियों में काम-इच्छा, काम-ज्वाला और लैंगिक संसर्ग के स्वप्न और विचारों को भड़काने में टेस्टोस्टिरोन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए इसे स्त्रियों के लिए हार्मोन ऑफ डिजायर कहा जाता है । अब प्रश्न यह है कि इसे कब देना चाहिये। अनुभवी चिकित्सक कहते हैं कि रजोनिवृत्ति में यदि काम-इच्छा का अभाव हो और रक्त में टेस्टोस्टिरोन का स्तर भी कम हो तो इसे अवश्य देना चाहिये।<br /><br />इसके लिए त्वचा पर चिपकाने वाले टेस्टोस्टीरोन के पेच मिलते हैं। इसकी मात्रा 300 माइक्रोग्राम प्रति दिन है और इसे तीन महीनें तक आजमाना चाहिए। यदि तीन महीनें में फायदा न हो तो बन्द कर दें। इसके पार्श्व प्रभाव जैसे सिर के बाल उड़ना, दाड़ी मूँछ उग आना, मर्दों जैसी आवाज हो जाना आदि जैसे ही दिखे, इसका सेवन बन्द कर देना चाहिए। वैसे मैं आपको टेस्टोस्टीरोन लेने की सलाह नहीं दूंगा, क्योंकि लाभ की संभावना कम और पार्श्व प्रभावों की संभावना ज्यादा रहती है। वैसे भी यह स्त्रियों में एफ.डी.ए. द्वारा प्रमाणित नहीं है।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">पीटी-141 नेजल स्प्रे</span><br /><br />फीमेल वियाग्रा के नाम से चर्चित पीटी-141 नेजल स्प्रे पेलेटिन टेक्नोलोजीज जोर शोर से बाजार में उतारने की तैयारी कर रही थी और कहा जा रहा था कि जैसे ही स्रियां अपने नाक में इसका स्प्रे लेंगी, 15 मिनट में उनकी कामेच्छा एकदम भड़क उठेगी। लेकिन हृदय पर इसके इतने घातक कुप्रभाव देखे गये कि इसकी शोध पर तुरंत रोक लगानी पड़ी। फिर भी कुछ लोग इसे बेच रहे हैं अतः आप इसे भूल कर भी नहीं खरीदें।<br /><br /><span style="font-weight: bold;">वैकल्पिक चिकित्सा</span><br /><br />आपने ऊपर पढ़ा है कि ऐलोपैथी में स्त्री यौन विकारों का उपचार पूर्णतया विकसित नहीं हुआ है और अभी प्रयोगात्मक अवस्था में ही है। लेकिन आयुर्वेद यौन रोगों में 5000 वर्ष पूर्व से शतावरी, शिलाजीत, अश्वगंधा, जटामानसी, सफेदमूसली जैसी महान औषधियाँ प्रयोग कर रहा है। ये पूर्णतः निरापद और सुरक्षित हैं और जादू की तरह कार्य करती हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 0);">संभोग से समाधि की ओर ले जाये अलसी</span><br /><br />अलसी आधुनिक युग<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/-uoaMYstCbvw/Tb05pJMUqKI/AAAAAAAAB-c/9lCMvEYXrCc/s1600/4.jpg"><img style="float: left; margin: 0pt 10px 10px 0pt; cursor: pointer; width: 248px; height: 256px;" src="http://4.bp.blogspot.com/-uoaMYstCbvw/Tb05pJMUqKI/AAAAAAAAB-c/9lCMvEYXrCc/s320/4.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5601696890523789474" border="0" /></a> में स्त्रियों की यौन-इच्छा, कामोत्तेजना, चरम-आनंद विकार, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की महान औषधि है। स्त्रियों की सभी लैंगिक समस्याओं के सारे उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। “व्हाई वी लव” और “ऐनाटॉमी ऑफ लव” की महान लेखिका, शोधकर्ता और चिंतक हेलन फिशर भी अलसी को प्रेम, काम-पिपासा और लैंगिक संसर्ग के लिए आवश्यक सभी रसायनों जैसे डोपामीन, नाइट्रिक ऑक्साइड, नोरइपिनेफ्रीन, ऑक्सिटोसिन, सीरोटोनिन, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स का प्रमुख घटक मानती है।<br /><br />• सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे।<br /><br /><br />• अलसी आपकी देह को ऊर्जावान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा।<br /><br /><br />• अलसी में ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन, लिगनेन, सेलेनियम, जिंक और मेगनीशियम होते हैं जो स्त्री हार्मोन्स, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स ( आकर्षण के हार्मोन) के निर्माण के मूलभूत घटक हैं। टेस्टोस्टिरोन आपकी कामेच्छा को चरम स्तर पर रखता है।<br /><br /><br />• अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट और लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे कामोत्तेजना बढ़ती है।<br /><br /><br />• इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करती हैं जिससे मस्तिष्क और जननेन्द्रियों के बीच सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।<br /><br /><img src="file:///C:/DOCUME%7E1/xp/LOCALS%7E1/Temp/moz-screenshot.png" alt="" /><br />इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, दिव्य सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।<br /><br />(साभारः डायबिटीज फोरम)Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-65516971761336575622010-02-25T05:30:00.000-08:002011-01-15T13:55:05.544-08:00कैसे मर्द चाहती है भारतीय नारी<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitmcTqcrAYtM0UtnXh35TRNtkoKYJGTy6yVIeJksUMMW-67_Bnr1ctYYtuJp2nh9WoyKtF9x17hEkY24rteQa1t55eDWLrrQVSCYHqWUJdwG7YU07nEVUP9op57sRRi3ZXk3Ww-w/s400/Indian_women_paintings_4.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 170px; height: 229px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitmcTqcrAYtM0UtnXh35TRNtkoKYJGTy6yVIeJksUMMW-67_Bnr1ctYYtuJp2nh9WoyKtF9x17hEkY24rteQa1t55eDWLrrQVSCYHqWUJdwG7YU07nEVUP9op57sRRi3ZXk3Ww-w/s400/Indian_women_paintings_4.jpg" alt="" border="0" /></a>(www.sexkya.com)भारत में किये गये एक सर्वेक्षण ने मर्द को लेकर भारतीय नारी की पसंद का खुलासा किया है. इस सर्वेक्षण के अनुसार ज़्यादातर भारतीय लड़कियाँ चाहती हैं कि उन्हें ऐसा पति मिले जिसका शादी से पहले यौन संबंध नहीं रहा हो साथ ही उन्हें बेइमान और बेवफ़ा मर्दों से सख़्त नफ़रत है लेकिन ऐसा आदमी पसंद है जो उन्हें समझ सके.<br />इस सर्वेक्षण में बदलते ज़माने में लड़कियों की बदलती पसंद के बारे में दस भारतीय शहरों में 2,150 लड़कियों से प्रश्न पूछे गए थे.<br /><br />अभी तक यह धारणा थी अच्छा पैसा, ज़मीन-जायदाद, अच्छी शक्ल और सेहत वाले मर्दों को लड़कियाँ पति के रूप में पसंद करती हैं. लेकिन सर्वेक्षण के अनुसार, "औरतों की ज़रूरत के प्रति आदमी कितना संवदेनशील है यह ज़्यादा महत्वपूर्ण है.''<br />''उन्हें अपने जीवनसाथी की बात सुननी चाहिए, उन्हें अपने बराबर सम्मान देना चाहिए और उसे ईमानदार होना चाहिए."<br /><br /><span style="color: rgb(255, 153, 255);">सेक्स संबंध</span><br />अब तक आप अगर यह समझते थे कि साड़ी में लिपटी रहने वाली भारतीय नारी सेक्स के बारे में बात करने से कतराती थी शायद यह सर्वेक्षण पढ़<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixe-FLG4yqDAGGqWlo9zoK0B8ApLHGOrwFuIxtQTexfKXpmTOZg9OKzIGpds9z6O-e4nUS60CExNGUXRHbyXFu2ZiX5Oc0j5YeISwQil5AXJBQgtM1dSK3bFGo5dDIUfG8mRvF/s1600-h/saree.JPG"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 140px; height: 152px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixe-FLG4yqDAGGqWlo9zoK0B8ApLHGOrwFuIxtQTexfKXpmTOZg9OKzIGpds9z6O-e4nUS60CExNGUXRHbyXFu2ZiX5Oc0j5YeISwQil5AXJBQgtM1dSK3bFGo5dDIUfG8mRvF/s200/saree.JPG" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5442178691922679858" border="0" /></a>ने के बाद आँखें खुल जाएँ.<br /><br />सर्वेक्षण के अनुसार, "किसी भी अच्छे रिश्ते के लिए अच्छे सेक्स संबंध होने भी ज़रूरी हैं. यहाँ तक कि ज़्यादा उम्र की महिलाओं के अनुसार भी अच्छे सेक्स संबंध होने ज़रूरी हैं."<br />"फिर भी 55 फ़ीसदी महिलाओं का कहना था कि उनके पति का शादी से पहले यौन संबंध नहीं होना चाहिए."<br />51 फ़ीसदी महिलाओं ने तो यहाँ तक कहा कि उनके पति को किसी भी तरह के यौन संबंधों का अनुभव भी नहीं होना चाहिए जबकि 37 प्रतिशत का कहना था कि अगर थोड़ा-बहुत अनुभव हो तो भी उन्हें कोई एतराज़ नहीं होगा.<br /><br /><span style="color: rgb(255, 153, 255);">पसंद</span><br />तो सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय नारी की मर्दों के बारे में पसंद कुछ इस तरह है-<br /><br />* सबसे बड़ा गुण यह है कि उसमें अपनी बीबी को समझने की क्षमता हो.<br />* इसके बाद नंबर आता है ईमानदारी का. साथ ही वह महिलाओं का सम्मान करे, बुद्धिमान हो, घरेलू हो और साथ ही वफ़ादार भी हो.<br />* फिर प्राथमिकता दी गई है कि उसका झुकाव आध्यात्म की ओर हो. इसके अलावा वह एक अच्छा प्रेमी हो जो सेक्स के बारे में नए तरीक़े से सोच सके.<br />* मर्द की अच्छी शक्ल और पैसा प्राथमिकता की सूची में सबसे बाद में आता है.<br /><br /><span style="color: rgb(255, 153, 255);">नापसंद</span><br />अगर आप ऊपर की सूची में अपने किन्हीं गुणों को पाकर अगर यह सोच रहे हैं कि आपकी संभावनाएँ अच्छी हैं तो ज़रा एक नज़र इधर भी डालें कि भारतीय महिलाओं को क्या नापसंद है?<br /><br />* भारतीय महिलाओं को खूब शराब पीने वाले से सख़्त नफ़रत है.<br />* इसके बाद ग़ैर ज़िम्मेदार मर्दों का नंबर आता है और फिर ऐसे मर्दों का जो औरतों के बारे में ग़लत-सलत बातें करते हैं.<br />* तुनक मिज़ाजी मर्दों से भी उन्हें परेशानी है.<br /><br />सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश महिलाओं ने कहा कि उन्हें अपनी ज़िंदगी में मर्दों की ज़रूरत है.<br /><br />84 फ़ीसदी महिलाएँ चाहती हैं कि उनके पति घर के काम में उनका हाथ बटाएँ.<br /><br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">अगर पति किसी और महिला के साथ रंगरेलियाँ मनाएँ तो वे क्या करेंगी?</span><br />43 फ़ीसदी महिलाओं ने कहा कि वे रिश्ता तोड़ देंगी जबकि 37 फ़ीसदी महिलाओं ने कहा कि वे घर पर बैठकर मातम मनाएँगी. हाँ! 20 फ़ीसदी महिलाओं ने कहा कि वे भी ग़ैर मर्दों के साथ रंगरेलियाँ मनाना शुरू कर देंगी.<br /><br /><span style="color: rgb(255, 255, 102);">और अगर पति हाथ उठाए तो?</span><br />इस पर 35 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे भी अपने पति को एक-दो हाथ जमा देंगी. 31 प्रतिशत रिश्ता तोड़ देंगी और 18 प्रतिशत महिलाएँ इस बारे में चुप्पी साध लेंगी.Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-77407006212811918472009-12-29T21:57:00.000-08:002009-12-29T22:01:41.902-08:00गर्भधारण के लिये कैसे करें सेक्स<div id="articles_content"> <div class="uni_txt"> <p>वैसे तो दुनिया में शायद गर्भधारण करना बेहद आसान है। लेकिन कुछ जोड़ों के लिए एक बहुत ही कठिन टास्क की तरह होता है। <img alt="sex" src="http://www.bhaskar.com/2009/12/12/images/sex21.jpg" align="left" border="1" hspace="10" vspace="10" />जिसे पूरा करना उनके लिए आसान नहीं होता। इसके पीछे उनके स्वयं के पारीवारिक और अन्य कारण हो सकते हैं। साथ ही शारीरिक अक्षमता भी इसके पीछे एक सबसे बड़ा कारण होती है।</p><p>कुछ मामलों में प्रकृति आपसे एक छोटा सा प्रयास मांगती है ताकि वह वंश वृद्धि में आपके साथी की मदद कर सके। पुरुष के शुक्राणु का साथी महिला के गर्भ में जाकर गर्भधारण होना इसके पीछे का एक सामान्य नियम है। महिला के अंडाणु से शुक्राणु का मेल होना और निशेचन की क्रिया का होना ही गर्भधारण का मूल कारण है।</p><p>जिसके बारे में प्राय: सभी जानते हैं। लेकिन यहां हम बता रहे हैं गर्भधारण के कुछ ऐसे तरीकों के बारे में जिनके माध्यम से गर्भधारण करना बेहद आसान हो सकता है। गर्भधारण के लिए इन पांच स्थितियों पर विचार कर अपनाया जा सकता है।</p><p style="color: rgb(255, 204, 255);"><b>मिशनरी या पारंपरिक स्थिति</b></p><p>इस स्थिति में बिस्तर पर पुरुष महिला के ऊपर सीधा लेटा हुआ होता है। इस स्थिति में सेक्स करने पर स्पर्म को सीधे और सरल तरीके से गर्भाशय तक पहुंचने में आसानी होती है। चूंकि लिंग योनी में काफी गहराई तक समाया हुआ होता है। इसलिए यह गर्भधारण करने का सबसे अच्छा और आसान तरीका कहा जाता है।</p><br /><b style="color: rgb(255, 204, 255);">हिप्स को ऊपर उठाना</b><br />इस स्थिति में महिला के हिप्स को ऊपर उठाना होता है। जिसके लिए सामने लेटी महिला के नीचे तकिया आदि रखा दिया जाता है। ऐसा करने पर महिला का गर्भाशय काफी हद तक स्पर्म की पहुंच में आ जाता है। सीमन आसानी से गर्भ तक पहुंचता है और गर्भधारण करना एक सरल प्रक्रिया हो जाती है।<br /><br /><p style="color: rgb(255, 204, 255);"><b>डॉगी स्टाइल</b></p><p>इसमें पुरुष महिला के पीछे होता है और लिंग से निकलने वाला स्पर्म सीधा गर्भ तक जाता है। वैसे यह क्रिया सामान्यत: कम ही अपनाई जाती है। इस स्थिति में भी गर्भ तक स्पर्म आसानी से पहुंचते हैं।</p><br /><b style="color: rgb(255, 204, 255);">एक दूसरे के बगल में लेटकर</b><br />इस स्थिति में महिला व पुरुष एक दूसरे के बगल में लेटकर इंटरकोर्स करते हैं। ऐसा करते वक्त गर्भ को अच्छा एक्सपोजर मिलता है जिससे स्पर्म आसानी से अंदर पहुंचकर निशेचन की क्रिया को आगे बढ़ाकर गर्भधारण में सहायक होते हैं।<br /><br /><p><b style="color: rgb(255, 204, 255);">महिला का चरम आनंद</b><br /></p><p>यह कोई आसन या स्थिति नहीं है जिसे अपनाकर गर्भधारण को आसान बनाया जाए, बल्कि यह इंटरकोर्स के दौरान होने वाली क्रिया है। इसमें महिला को चरमोत्कर्ष तक पहुंचना होता है। शोध कहते हैं कि यदि महिला इंटरकोर्स के दौरान चरमोत्कर्ष पर पहुंचती है और उसी समय पुरुष के स्पर्म बाहर आते हैं तो महिला का यह चरमोत्कर्ष से पुरुष के स्पर्म को गर्भ की ओर धकेलने का काम करता है। ऐसा होने पर गर्भधारण सबसे आसान होता है।</p><p>साभारः भास्कर<br /></p></div><!-- / Full Article Matter --> </div><!-- / Article Content -->Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-8364373883161444072009-11-24T01:03:00.000-08:002009-11-29T01:46:05.248-08:003 मिनट पर्याप्त है सेक्स के लिये<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SxJBN9OJapI/AAAAAAAAB7c/zzMfhN-4dhw/s1600/time.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 153px; height: 297px;" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SxJBN9OJapI/AAAAAAAAB7c/zzMfhN-4dhw/s200/time.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5409457810453392018" border="0" /></a>यहां अक्सर यह सवाल पूछे जा रहे हैं कि सेक्स समय बढ़ाने का उपाय बतायें जिससे पता चलता है कि ज्यादातर लोगों को <a href="http://www.sexkya.com/2008/08/blog-post_12.html">सेक्स की टाइमिंग के बारे में काफी भ्रम</a> है. जबकि हकीकत कुछ मिनटों की ही होती है.<br />अमेरिकी और कनाडाई यौन विशेषज्ञों द्वारा सेक्स संबंधी एक नए सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक 'श्रेष्ठतम यौन क्रिया' कुछ ही मिनटों की होती है। सर्वेक्षण में साफतौर पर कहा गया है कि 'लंबी' यौन क्रिया का दावा करने वाले संभवत: झूठ कहते हैं। पेन्न स्टेट विश्वविद्यालय के शोधकर्मियों एरिक कोर्टी एवं जिने गार्डियानी ने सोसायटी फॉर सेक्स थैरेपी एंड रिसर्च के सदस्यों के समूह से बात करने के बाद अपने नतीजे घोषित किए। समूह के सदस्यों में अनेक मनोविश्लेषक, डॉक्टर, समाजसेवी, विवाह एवं परिवार सलाहकार और नर्से शामिल हैं जिन्होंने कई दशकों के अनुभव के आधार पर अपने विचार दिए।<br />शोधकर्ताओं के अनुसार 'संतोषप्रद' यौन क्रिया का काल तीन से 13 मिनट के बीच का ही होता है। समूह के 68 प्रतिशत सदस्यों ने यौन क्रिया की शुरुआत से अंत तक की भिन्न समयावधियां निर्धारित की।<br /><br />उन्होंने सात मिनट की अवधि को 'पर्याप्त', 13 मिनट को 'संतोषप्रद', एक से दो मिनट को 'काफी कम', और दस से तीस मिनट को 'उबाऊ' कहा। शोधकर्ताओं के अनुसार आधुनिक समाज में यौन क्रियाओं संबंधी अनेक भ्रामक धारणाओं ने सिर उठा लिया है। अनेक युवक और युवतियां लंबी यौन क्रियाओं की फंतासियां रचने लगे हैं।<br /><br />उनके अनुसार इस सर्वेक्षण से सेक्स संबंधी अनेक झूठी धारणाओं को समाप्त करने में मदद मिलेगी और इससे यौन संबंधी उदासीनता और असमर्थता पर भी रोक लगेगी।Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-75465083417067093432009-10-23T00:55:00.000-07:002009-10-23T01:04:54.815-07:00चुंबन से होती है सेक्स की शुरुआत<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SuFiJm6axgI/AAAAAAAAB6k/4x0A7JQp4Rk/s1600-h/350px-Kiss-on-the-steps-2535.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 320px; height: 213px;" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SuFiJm6axgI/AAAAAAAAB6k/4x0A7JQp4Rk/s320/350px-Kiss-on-the-steps-2535.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5395701745770481154" border="0" /></a>सेक्स के जरूरी है कि पार्टनर को सेक्स के लिये तैयार किया जाय. यह प्रक्रिया फोरप्ले कहलाती है. इसका सबसे महत्वपूर्ण अंग माना जाता है चुंबन. हाल में हुए अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि पूरे आवेग से लिया गया चुंबन एक खास किस्म के कांप्लेक्स केमिकल को दिमाग की तरफ भेजता है, जिससे व्यक्ति खुद को ज्यादा उत्तेजित, खुश अथवा आरामदायक स्थिति में महसूस करता है।<br />प्यार का इजहार करने के लिए चुंबन से बढ़कर शायद ही कोई दूसरा माध्यम हो। एक प्यार भरा चुंबन प्रेमी या प्रेमिका को दिन भर की तमाम उलझनों से मुक्त करके एक प्यार भरे संसार में ले जा सकता है। चुंबन के महत्व को देखते हुए यहां चुंबन के विभिन्न प्रकारों को बताया जा रहा है-<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">1.बिगिनर्स किस-</span> इस कि<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SuFh7a2b7NI/AAAAAAAAB6c/vhBHfAq9HAs/s1600-h/beginner.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 96px; height: 96px;" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SuFh7a2b7NI/AAAAAAAAB6c/vhBHfAq9HAs/s200/beginner.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5395701502014385362" border="0" /></a>स का अर्थ दो होठों के साधारण मिलन से है। यह किस होठों को ब्रुश के समान स्पर्श करके या हल्का दबाकर किया जाता है। इस किस के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत नहीं होती। अपने लवर को चारों तरफ से चूमकर इस किस को अंजाम दिया जाता है।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">2.बटरफ्लाई किस-</span> अपनी आंखों की बरौनी से प्रेमी के होठों, आंखों के बाल, गाल और गर्दन के स्पर्श को बटरफ्लाई किस कहते हैं।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">3.लार किस-</span> इस प्रकार का किस को पूरी गर्मजोशी के साथ किया जाता है। जब आप अपने प्रेमी को पूरी आत्मीयता से किस करें तो अपने होठों को धीर से हटा लें और लार की कुछ बूंदे प्रेम से उनके मुख में टपका दें।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">4.फ्रेंच किस-</span> फ्रेंच <a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SuFjYETJjnI/AAAAAAAAB60/SgZcK-Jh9Ww/s1600-h/150px-1279_7_126.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 110px; height: 82px;" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SuFjYETJjnI/AAAAAAAAB60/SgZcK-Jh9Ww/s200/150px-1279_7_126.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5395703093688634994" border="0" /></a>किस में अपनी जीभ अपने प्रेमी के मुख की कोमल त्वचा में डालकर उसे चारों ओर घुमाया जाता है। मुख से मुख मिलाकर फ्रेंच किस किया जाता है।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">5.लवर्स पास-</span> जब आप अपने प्रेमी को कुछ उत्तेजना भरा संदेश देना चाहें तो यह किस अपनाया जाता है। इसमें चाकलेट, फल या बर्फ का टुकड़ा अपने होठों से दबाकर अपने प्रेमी के होठों का स्पर्श किया जाता है। स्पर्श के बाद अपनी जीभ के सहारे दबाया गया टुकड़ा अपने प्रेमी के मुख में डाल दिया जाता है।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">6.लस्ट लैप-</span> यह किस पूरे नियंत्रण के साथ किया जाता है। इस किस में होठों से दबाकर चाटा जाता है। अपने होठों से अपने प्रेमी के होठों और त्वचा को सख्ती से दबाकर इसका आनंद लिया जाता है।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">7.मेडिवल नेकलेट-</span> कहा जाता है कि इस प्रकार का किस मध्यकाल के नाइट्स अपनी प्रेमिका या पत्नी को करते थे, जब वह लो कट नेकलाइन्स पहनती थीं। इस किस में उनकी गर्दन को चारों तरफ से धीरे-धीरे चूमा जाता था। पुरूष और महिलाएं दोनों इस प्रकार के चुंबन का लुत्फ उठाते थे।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">8.मेडिटिरनियन फ्लिक-</span> कहा जाता है कि इस चुंबन की उत्पत्ति लैटिन के प्रेमियों ने की थी। इस चुंबन का आनंद लेने के लिए लैटिन प्रेमी मिठाई के दानों को अपने प्रेमी के शरीर पर डालते थे। उसके बाद अपनी जीभ से उनके शरीर पर धीरे से हमला करते थे। अपने प्रेमी के शरीर की मनपसंद जगह में इन मिठाई के दानों को डाला जाता था। स्तन और पेट के आसपास के चुंबन से इसका विशेष रूप से आनंद लिया जाता है।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">9.नॉटी डॉग-</span> यह किस शरीर के सर्वाधिक संवेदनशील हिस्सों खासकर गर्दन, छाती, पेट और निचली जांघों में किया जाता है। अधखुला मुंह खोलकर इन हिस्सों का स्पर्श किया जाता है। छाती के निचले हिस्सों विशेषकर स्तन के निप्पलों को चूमने में विशेषरूप से आनंद आता है।<br /><br /><span style="color: rgb(51, 255, 51);">10.स्लाइडिंग किस-</span> इस चुंबन में जीभ आगे पीछे गति करती है। जिस प्रकार क्रीम या सॉस को चाटा जाता है ठीक उसी प्रकार स्लाइडिंग किस किया जाता है। फोरप्ले में यह किस काफी उपयोगी होती है।Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-84134175361272083182009-10-20T14:45:00.000-07:002009-10-20T16:48:29.116-07:00फोरप्लेः जाने इसके बारे में<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/St5KE5hLc-I/AAAAAAAAB6U/2NPoSstbgQM/s1600-h/sex_682_537202a.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 320px; height: 188px;" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/St5KE5hLc-I/AAAAAAAAB6U/2NPoSstbgQM/s320/sex_682_537202a.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5394830851656348642" border="0" /></a>हमारे पास अक्सर फोरप्ले को लेकर तरह तरह के सवाल आते हैं. इनमें ज्यादातर यह जानना चाहते हैं कि फोरप्ले होता क्या है, फोरप्ले किसे कहा जाता है... आदि... आदि. यहां हम उनके इन्ही सवालों का जवाब देने का प्रयास कर रहे हैं.<br />सेक्स के मामले में स्त्री-पुरुष की कामेच्छा लगभग एक समान ही होती है, लेकिन पुरुष की कामेच्छा स्त्री की कामेच्छा की अपेक्षा जल्दी जागृत होती है. इसी असमानता को बराबर करने के लिये संभोग के पूर्व कुछ क्रियाएं की जाती हैं जिन्हे फोरप्ले कहा जाता है. वैज्ञानिक तौर पर भी यह सिद्ध हो चुका है कि मर्द जब स्त्री के अंग-अंग का भरपूर आनंद लेता है तभी स्त्री को परम आनंद मिलता है. पुरुष , स्त्री को प्यार करता है , सेक्स के लिए – जबकि औरत सेक्स के सहारे प्यार चाहती है. तभी तो जब मर्द उसको उत्तेजक स्पर्श करता हुआ उसके कोमल अंगो से खेलता है तो औरत इनकार नही करती बल्कि उसका प्यार पाने के लिए वो समर्पण की मुद्रा मे आ जाती है- यह उत्तेजक स्पर्श ही फोरप्ले कहलाता है- जो दोनो को संभोग की मंजिल तक ले जाता है.<br />फोरप्ले और उद्दीपन सफल और आनंदमय प्रेम व्यवहार के लिए आवश्यक है – अगर संभोग मुख्य भोजन है तो फोरप्ले एक स्नॅक्स की तरह है और सभी जानते है की भोजन ( संभोग) मे सबसे अधिक मुह मे पानी लानेवाला यही स्नॅक्स हो सकता है- कभी कभी तो इन्ही भूख जगानेवाली चटपटी चीज़ो से सम्पूर्ण तृप्ति पाई जा सकती है. सभी उत्तेजक स्पर्श से संभोग का मज़ा दुगना हो जाता है. फोरप्ले के दौरान सभी पाँचो इन्द्रियां ( स्पर्श-गंध-दृश्य-ध्वनि-और स्वाद ) सक्रिय रोल अदा करती है –<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">स्पर्श :</span> स्पर्श का प्यार और सेक्स से गहरा रिश्ता है – थोड़ी तन से छेड़ छाड़ – तन से तन का स्पर्श ही काम की इच्छा को जागृत करता है.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">सुखद सुगंध -</span> रति कीड़ा मे , सुगंध भी एक अहम भूमिका निभाती है. प्राचीन काल मे तरह -तरह के इत्र का इस्तेमाल होता था. महकता बदन और बेडरूम में मदहोश करने वाली सुगंध से काम की इच्छा को और बढ़ा देती है.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">दृश्य : </span>मर्द की कामुक निगाहें और आंखों से कामुक इशारे – औरत को खुश करते है और औरत भी अपनी सेक्स अपील उभारने के लिए –झीनी नाइटी या उत्तेजक पोशाक का सहारा लेती है और जो जरूरी भी है के मर्द की दृष्टि पड़ते ही, काम की भावना के वशीभूत हो जाए.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">ध्वनि :</span> संवाद भी जरूरी है – कुछ मदहोश करने वाली बातें, सेक्सी जोक्स -जिसे हम कामुक भाषा कहते है यह भी बहूत जरूरी है.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">अतुलनीय स्वाद :</span> जैसे होठो का रसास्वादन – यह भी संभोग की और ले जाते है जिससे परम सुख मिलता है. वैसे तो मर्द– औरत के अंगो को चूमता है , जीभ से चाटता है<br /><br />कुल मिलाकर यह सब फोरप्ले ही कहलाते है और काम की इच्छा को जगाते है और सेक्स की क्रिया को सरल व सम्पूर्ण बनाते है - क्योंकि स्त्री पुरुष को एक अद्भुत आंनद मिलता है - फोर प्ले मे जितना समय लगाएँगे –उतनी ही कामोत्तेजना आप में जागेगी – मर्द के हाथ और जीभ फोर प्ले के मुख्य उपकरण का काम करते है इन्ही के सहारे आप स्त्री के तन से उन अंगो को पहचान सकते है , जिनसे वो जल्दी उत्तजित होकर समर्पण कर दे.<br />फोरप्ले स्त्री के अंगो का स्पर्श करना, उन्हे छूना - सहलाना - चुंबन लेना – दुलारना - पुचकारना – सभी कुछ है- दूसरे शब्दों में -मर्द , स्त्री के कामोत्तेजक अंगो से खेलना और उसे आनंद के चरम सीमा तक पहुचा कर सेक्स के लिये राजी करना है- पुरुष के ऐसे फोरप्ले से औरत कैसे चुप रह सकती है – जब मर्द उनके होटो-गर्दन–स्तन से होते हुए संभोग क्रिया संपन्न करते है.<br /><br /><span style="color: rgb(255, 204, 255); font-weight: bold;">फोरप्ले के दौरान की जाने वाली गड़बडियां </span><br />फोरप्ले, सेक्स का एक अहम हिस्सा है जब युगल अपने आप को उन अंतिम चरम क्षणों के लिए तैयार करते हैं. लेकिन फोरप्ले के दौरान कुछ ऐसी गलतियाँ हो सकती है जिससे आपके सेक्स जीवन में नीरसता व्याप्त हो जाए. कुछ ऐसी ही गलतियाँ निम्नलिखित हैं.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">जल्द निपटारा:</span> फोरप्ले सेक्स का एक हिस्सा है ना कि सेक्स के पहले का शुरूआती दौर. कई युगल, विशेषरूप से पुरूष, फोरप्ले के दौरान हडबडी दिखाते हैं. यहाँ यह समझना जरूरी है कि पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं को सेक्स के लिए तैयार होने में समय लगता है और अच्छा फोरप्ले उनके लिए बेहद जरूरी होता है. इसलिए फोरप्ले के दौरान हडबडी करने से बचना चाहिए. फोरप्ले यदि थोडा अधिक समय तक चले तो भी कोई हर्ज नहीं है बल्कि यह चरम क्षणों के दौरान आपके रोमांच को बढाता ही है.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">काटना:</span> फोरप्ले के दौरान उत्तेजित होकर अथवा मजाक में अपने साथी के गले अथवा कान को काटना एक आम प्रवृति है. लेकिन इस दौरान ध्यान ना रखने से आपके साथी को चोट लग सकती है. कभी भी उत्साह में आकर होश ना खोएँ और ध्यान रखें की आपके काटने से साथी को चोट ना लगे.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">नाखुनों का हमला: </span>महिलाओं के हाथों के नाखुन आम तौर पर बढे हुए होते हैं. प्रेम के क्षणों के दौरान महिलाएँ अपने नाखुनों का इस्तेमाल करती हैं. यहाँ भी ध्यान देने योग्य बात है कि उनके नाखुनों से कहीं उनके पुरूष मित्र को चोट ना लग जाए. यह ना केवल प्रेम के उन क्षणों को पलभर में समाप्त कर देता है बल्कि आपके रोमांचक पल दवाई लगाने में लग सकते हैं.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">स्नायूओं का खिंचाव: </span>सेक्स एक अच्छी कसरत जरूर है, लेकिन कसरत भी एक हद तक ही उपयोगी होती है. कसरत करने का भी एक प्रकार होता है और उसका ध्यान ना रखने से चोट लग सकती है. सेक्स के दौरान भी ध्यान रखें की उत्साह में आकर आप कोई इस तरह का आसन ना अपना लें जिससे आपके स्नायूओं पर अनावश्यक बोझ पडे और मोच तथा सूजन आ जाए.<br /><span style="color: rgb(255, 255, 153);">लंबा न खींचे:</span> फोरप्ले छोटा ना हो यह जरूरी है, लेकिन इतना लम्बा भी ना हो कि आप चरम आनंद प्राप्त करने के लिए शयनकक्ष में जाएँ और जाते ही थकान के मारे सो जाएँ. यकीन मानिए, कई युगलों को यह परेशानी रहती है कि फोरप्ले के बाद वे दोनों इतना थक जाते हैं, नींद अपने आप आ जाती है. वैसे कोई भी यह नहीं चाहेगा.Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-62734385741376332322009-09-30T18:52:00.000-07:002009-09-30T19:00:01.213-07:00सेक्स करने का सही समय क्या<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SsQM0WYKk3I/AAAAAAAAB5k/avgoSBukhs8/s1600-h/sx.JPG"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 205px; height: 205px;" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SsQM0WYKk3I/AAAAAAAAB5k/avgoSBukhs8/s320/sx.JPG" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5387445147741623154" border="0" /></a>अगर आप अपने पार्टनर के साथ सेक्स का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं तो कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आपके पास होना बेहद जरूरी है। जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ बेम्बर्गन के शोधकर्ताओं ने सैकड़ो महिलाओं पर किए गए एक रिसर्च में पाया कि किस समय महिलाओं के साथ सेक्स करने में ज्यादा आनंद की अनुभूति होती है। <p>सेक्सोलोजिस्टों के मुताबिक मासिक पूरा हो जाने के पांच से सात दिन तक महिलाएं सेक्स के मूड में ज्यादा होती हैं क्योंकि मासिक पिरियड पूरा होने के बाद सेक्स के लिए जवाबदार गिने जाने वाले हार्मोस सक्रिय हो जाते हैं। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने युवतियों के ब्रेइन वेब्ज पर काफी रिसर्च किया, जिसमें पाया गया कि मासिक पिरियड के पांच से सात दिन में सेक्स करना ज्यादा ही आनंद की अनुभूति कराता है साथ ही इस लाभ कम से कम 12 दिनों तक रहता है।</p> <p>वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के साइक्रियाट्रिक मेडिसिन के प्रोफेसर क्लेटन ने कहा कि मासिक पिरियड के बाद महिलाओं में सेक्स की तीव्र इच्छा जागृत होना स्वाभाविक है, क्योंकि इन दिनों में गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।</p> <p>इस सर्वे में 1000 युवाओं और महिलाओं को शामिल किया गया, जिसमें हर एक महिला ने यह बताया कि मासिक पीरियड के पांच से सात दिनों में वे भरपूर सेक्स का आनंद चाहती हैं। इस समय में किए गए सेक्स में जो आनंद आता है व अन्य दिनों के मुकाबले कहीं अधिक होती है।</p> <p>इन सबके उपरांत सर्वे में यह भी पाया गया कि महिलाओं के साथ उनके सेक्स पार्टनर का इन दिनों के बीच किया जाने वाला सेक्स वैवाहिक संबंधों को सुखी बनाता है और भविष्य में दोनों के बीच सेक्स को लेकर दूरियां कभी नहीं आती। लेकिन अधिकतर शोधकर्ताओं का मानना है कि महिलाओं को इस पीरियड में अपने सेक्स पार्टनर को सहकार देना जरूरी है। अगर इन दिनों पार्टनर को सहकार न दे तो महिलाओं में उनकी सेक्स की भूख कभी नहीं मिटाया जा सकता है। परिणाम स्वरूप सेक्स लाइफ में तनाव आ जाता है।</p>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-84826310630964712302009-08-18T00:50:00.000-07:002009-08-18T01:03:34.833-07:00पार्टनर सेक्स से जी चुराए तो...<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SopfamwICGI/AAAAAAAAB4U/8Dldmf1CUh0/s1600-h/sex_surgery.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 320px; height: 214px;" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SopfamwICGI/AAAAAAAAB4U/8Dldmf1CUh0/s320/sex_surgery.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5371210416276375650" border="0" /></a>सेक्स के मामले में अगर आप अपनी पार्टनर के बदलते मूड से कंफ्यूज हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। जानते हैं, क्या हैं वे -<br /><br />पुरुषों का मानना है कि महिलाएं बेहद राजदार होती हैं। उनकी सेक्स ड्राइव को लेकर भी वे कुछ ऐसा ही सोचते हैं। कई बार वे उन्हें सिडक्टिव लगती हैं, तो ऐसे मौके भी आते हैं जब वे क्लोज आने में दिलचस्पी नहीं दिखातीं। दरअसल, इसके पीछे कई कारण होते हैं और अपनी परेशानी दूर करने के लिए आपको उन कारणों को दूर करना ही होगा।<br /><br /><span style="color: rgb(255, 255, 0); font-weight: bold;">मूड न होना</span><br />हायपोएक्टिव सेक्सुअल डिजायर डिसऑर्डर के केसेज महिलाओं में बहुत ज्यादा देखने में आते हैं। यह बात यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में 18 से 59 साल की महिलाओं पर की गई एक स्टडी से साबित हुई। इस डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति को सेक्स में ज्यादा दिलचस्पी नहीं होती। इस डिसऑर्डर की प्राइमरी स्टेज में महिला को सेक्स की इच्छा ही नहीं होती, जबकि सेकंडरी स्टेज में उसकी पहली वाली दिलचस्पी खत्म हो जाती है। कंडिशन के बिगड़ने पर वह सेक्स से दूर भागने लगती है। इस डिसऑर्डर की वजहें कम्यूनिकेशन प्रॉब्लम, लड़ाई, प्यार का न मिलना, अकेलापन वगैरह हो सकती हैं।<br /><span style="font-weight: bold;">क्या करें</span><br />उससे प्यार जताएं, लेकिन जबर्दस्ती न करें। उससे बातें करें और अपने साथ सहज होने का मौका दें।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">थकान होना</span><br />महिला चाहे गृहिणी हो या प्रफेशनल, तमाम परेशानियां उनके लिए एंजॉय करने का स्कोप कम ही छोड़ती हैं। फिर रिसर्च से भी यह बात साबित हो चुकी है कि तनाव में रहने वाली महिलाओं को सेक्स में ज्यादा दिलचस्पी नहीं होती। इसके अलावा, सेक्स को लेकर नर्वस होना, प्रेग्नेंसी का डर, दर्द वगैरह की वजह से भी वे सेक्स से दूर रहती हैं।<br /><span style="font-weight: bold;">क्या करें</span><br />उनके साथ प्यार से पेश आएं और उनके लिए कुछ स्पेशल करें। फोर प्ले पर ध्यान दें। सेंसुअल मसाज या हॉट वॉटर बाथ जादू की तरह काम करेंगे।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">कमी का अहसास</span><br />उसे लाइट में कपड़े उतारने में दिक्कत होती है और सेक्स के तुरंत बाद कपड़े पहनने की जल्दी। ऐसा तभी हो सकता है, जब वह अपनी बॉडी को लेकर सहज न हों। अचानक वजन का बढ़ना, स्ट्रेच मार्क्स, दाग या पार्टनर के कॉमेंट्स उनमें हीन भावना जगा सकते हैं।<br /><span style="font-weight: bold;">क्या करें</span><br />उनके साथ जिम में टाइम बिताएं। उन्हें ताई ची क्लास जॉइन करने के लिए प्रोत्साहित करें। वर्कआउट करने से उनकी बॉडी टोन होगी और सेक्स ड्राइव भी बढ़ेगी। उन्हें किसी हीरोइन या मॉडल की तरह बनने को न कहें। उन्हें बताएं कि साइज जीरो न होने के बावजूद वह आपको खूबसूरत लगती हैं।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">डाइट का रोल</span><br />सेक्स ड्राइव बढ़ाने में खाने का भी अहम रोल है। 25 साल की एक लड़की ने शादी से पहले वजन घटाने के लिए खूब डाइटिंग की। शादी तक वह स्लिम तो हो गई, लेकिन शादी के बाद सेक्स में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। कुछ फूड आइटम्स स्टैमिना बढ़ाकर, बॉडी टोन करके और त्वचा को ग्लो देकर सेक्स ड्राइव बढ़ाते हैं। जबकि जंक फूड, कैफीन, हैवी खाना वगैरह इस चीज को कम करते हैं।<br /><span style="font-weight: bold;">क्या करें</span><br />ध्यान रखें कि आपकी पार्टनर चॉकलेट, ओटमील, वॉलनट जैसी चीजें खूब खाएं। दरअसल, ये मूड लिफ्टर्स होती हैं। साथ ही, आलू के चिप्स की जगह उन्हें सलाद दें और कोला की जगह पानी।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">दवाइयों पर दें ध्यान</span><br />घबराहट, तनाव, डिप्रेशन को दूर करने के लिए ली जाने वाली दवाइयां भी महिलाओं की सेक्स में दिलचस्पी कम करती हैं। बर्थ कंट्रोल पिल्स महिलाओं की ऑव्यूलेशन साइकल में बदलाव लाती है और इस वजह से भी फिजिकल इंटीमेसी में उनकी इच्छा पर असर डालती है।<br /><span style="font-weight: bold;">क्या करें</span><br />अगर किसी खास दवाई के लेने से आपकी पार्टनर की सेक्स ड्राइव प्रभावित हो रही है, तो इस मामले में डॉक्टर की सलाह लें।<br /><br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">कुछ दोष कल्चर का भी</span><br />हमारी सोसाइटी में सेक्स को लेकर लड़कियों को कभी खुलने नहीं दिया जाता। ऐसे में उनके मन में सेक्स को लेकर तमाम सवाल व दुविधाएं रहती हैं, जिससे कई बार शादी के लंबे अर्से बाद तक वे अपने हसबैंड के साथ सहज नहीं हो पातीं।<br /><span style="font-weight: bold;">क्या करें</span><br />पार्टनर को काउंसलिंग दिलवाएं। मैरिज काउंसलिंग, कपल स्टिमुलेशन, सेल्फ हेल्प गाइड्स वगैरह आपकी मदद कर सकते हैं। फोर प्ले पर ध्यान दें।<br /><br />(यह मैटर हमें भेजा है इटारसी से सौरभ ने )Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-15464469086407987532009-07-17T00:48:00.000-07:002009-12-29T22:33:05.728-08:00योगा फॉर सेक्ससेक्स लाइफ को रोमांचक बनाने के लिये नए-नए एक्सपेरिमेंट करना जरूरी है. यह भी देखा गया है कि योगा के द्वारा भी सेक्स क्षमता बढ़ाई जा सकती है. इससे शारीरिक लाभ तो होगा ही सेक्स क्षमता में भी इजाफा होगा. यहां हम आपको दे रहे हैं सेक्सुअल पावर बढ़ाने के लिये कुछ खास एक्सरसाईज-<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 102);">1. कैमल पोज-</span><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SmAxEqIsfCI/AAAAAAAABw4/49eSwVQYVog/s1600-h/Swimsuit_Ustrasana_glow.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 200px; height: 200px;" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SmAxEqIsfCI/AAAAAAAABw4/49eSwVQYVog/s200/Swimsuit_Ustrasana_glow.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5359337512670886946" border="0" /></a><br />घुटने मोड़ कर बैठे. पैरों में 6 से 7 इंच की दूरी हो. हल्के से उठें. सांस लें. हाथों को पीछे की ओर ले जाकर एड़ियों पर रखे. सीना सामने की ओर निकला हो. हिप्स व कमर को भी सामने की ओर स्ट्रेच करें. नजर ऊपर की ओर हो. 10 से 15 सेकंड बाद सांस छोड़ दें.<br /><span style="color: rgb(255, 153, 255); font-weight: bold;">लाभः </span><br />इससे जांघों, हिप्स, कंधों व सीने में खिंचाव(स्ट्रेच) पैदा होता है. हृदय चक्र को भी उत्तेजना मिलती है. जिससे मन भावनात्मक रूप से सेक्स के लिये तैयार हो जाता है.<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);">2. फ्राग पोज</span><a style="font-weight: bold; color: rgb(255, 255, 51);" onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SmWXE_T63hI/AAAAAAAAB0E/FaC1br4uO3c/s1600-h/frog_200.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 200px; height: 138px;" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SmWXE_T63hI/AAAAAAAAB0E/FaC1br4uO3c/s200/frog_200.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5360857043424697874" border="0" /></a><br />इसमें घुटने के बल जमीन पर बैठे. दोनों घुटनों के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए कमर को झुकाएं. दोनों हाथ शरीर के पास हों. सीना बाहर निकालें. कंधे पीछे की ओर हों. पेट को अंदर की ओर खींचे. सीधे देखें व सांस लें. यही क्रिया दोहराएं.<br /><span style="font-weight: bold; color: rgb(255, 204, 255);">लाभः</span><br />इससे अंदरूनी जांघों का लचीलापन बढ़ता है एवं वे मजबूत होती है. साथ ही हिप्स में उठाव आने के साथ कसावट आती है.<br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>पद्मासन : </b>इस आसन से कूल्हों के जाइंट, माँसमेशियाँ, पेट, मूत्राशय और घुटनों में खिंचाव होता है जिससे इनमें मजबूती आती है और यह सेहतमंद बने रहते हैं। इस मजबूती के कारण उत्तेजना का संचार होता है। उत्तेजना के संचार से आनंद की दीर्घता बढ़ती है।</span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>भुजंगासन : </b>भुजंगासन आपकी छाती को चौड़ा और मजबूत बनाता है। मेरुदंड और पीठ दर्द संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है। यह स्वप्नदोष को दूर करने में भी लाभदायक है। इस आसन के लगातार अभ्यास से वीर्य की दुर्बलता समाप्त होती है। </span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>सर्वांगासन : </b>यह आपके कंधे और गर्दन के हिस्से को मजबूत बनाता है। यह नपुंसकता, निराशा, यौन शक्ति और यौन अंगों के विभिन्न अन्य दोष की कमी को भी दूर करता है।</span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>हलासन : </b>यौन ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इस आसन का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पुरुषों और महिलाओं की यौन ग्रंथियों को मजबूत और सक्रिय बनाता है।</span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>धनुरासन : </b>यह कामेच्छा जाग्रत करने और संभोग क्रिया की अवधि बढ़ाने में सहायक है। पुरुषों के वीर्य के पतलेपन को दूर करता है। लिंग और योनि को शक्ति प्रदान करता है।</span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>पश्चिमोत्तनासन : </b>सेक्स से जुड़ी समस्त समस्या को दूर करने में सहायक है। जैसे कि स्वप्नदोष, नपुंसकता और महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े दोषों को दूर करता है।</span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>भद्रासन : </b>भद्रासन के नियमित अभ्यास से रति सुख में धैर्य और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। यह आसन पुरुषों और महिलाओं के स्नायु तंत्र और रक्तवह-तन्त्र को मजबूत करता है।</span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>मुद्रासन : </b>मुद्रासन तनाव को दूर करता है। महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े हए विकारों को दूर करने के अलावा यह आसन रक्तस्रावरोधक भी है। मूत्राशय से जुड़ी विसंगतियों को भी दूर करता है।</span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>मयुरासन : </b>पुरुषों में वीर्य और शुक्राणुओं में वृद्धि होती है। महिलाओं के मासिक धर्म के विकारों को सही करता है। लगातार एक माह तक यह आसन करने के बाद आप पूर्ण संभोग सुख की प्राप्ति कर सकते हो।</span><br /><br /><span style="font-size: 10pt; color: rgb(0, 0, 0);"><b>कटी चक्रासन : </b>यह कमर, पेट, कूल्हे, मेरुदंड तथा जंघाओं को सुधारता है। इससे गर्दन और कमर में लाभ मिलता है। यह आसन गर्दन को सुडौल बनाकर कमर की चर्बी घटाता है। शारीरिक थकावट तथा मानसिक तनाव दूर करता है।</span><br /><br /><span style="font-weight: bold;">शेष शीघ्र ही... </span>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-9519046795571577442008-12-16T11:14:00.000-08:002008-12-16T13:35:46.055-08:00क्या हो लिंग का आकार ?<span style="color:#ffff99;">क्या </span><a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SUgFBNi5f_I/AAAAAAAABX0/TEPFqE7YfnA/s1600-h/penis+.jpg"><span style="color:#ffff99;"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 142px; FLOAT: left; HEIGHT: 198px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5280476081465950194" border="0" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SUgFBNi5f_I/AAAAAAAABX0/TEPFqE7YfnA/s200/penis+.jpg" /></span></a><span style="color:#ffff99;">सेक्स के लिए लिंग का आकार महत्वपूर्ण है ?</span> यह सेक्स मामलों के लिये सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला प्रश्न है. जबकि वास्तव में यह गैर महत्वपूर्ण प्रश्न है क्योंकि सेक्स क्रिया के लिये लिंग की लंबाई से कोई लेना देना नहीं होता. लिंग की लंबाई महत्वपूर्ण तब होती है जब सिर्फ आप इस बारे में सोचते हैं. यदि आप किसी से सेक्स कर रहे हैं और आप की आकांक्षा लंबे लिंग की है तब लिंग का आकार महत्वपूर्ण होगा वह भी सिर्फ आपके लिये . सेक्स क्रिया के लिये यदि आपको लगता है लिंग का लंबा होना जरूरी हैतब और तब सिर्फ आपके लिये मात्र ही लिंग की लंबाई महत्वपूर्ण होगी. जबकि कई महिलाओं का कहना है कि ज्यादातर आदमी लिंग की लंबाई को लेकर झूलते , परेशान होते रहते हैं जबकि उन्हे इससे कोई लेना देना नहीं है . विशेषज्ञों के अनुसार योनि की लंबाई मात्र 8 से.मी. से 13 से.मी. (3 से 5 इंच ) होती है और छोटा से छोटा लिंग भी इसके व्यास के आकार को छू सकता है. इसलिये कुल मिलाकर सेक्स के लिए लिंग की लंबाई कोई मायने नहीं रखती यह सिर्फ पुरुषों के दिमाग का भ्रम है.<br />मैन्डेस क्रॉप की किताब के अनुसार औसतन लिंग की लंबाई 15 से.मी. मानी जाती है. इसके साथ ही 90 फीसदी लोगों के लिंग की लंबाई 13 से 18 से.मी. के बीच पाई जाती है. पूर्णतः काम कर रहे लिंग में सबसे छोटे लिंग की लंबाई 1.5 से.मी. तथा अधिकतम लंबाई 30 से.मी. रिकार्ड की गई है.<br /><br /><br /><span style="color:#ff6600;">■</span> <span style="color:#ffcc33;">क्या लिंग का आकार बढ़ाया जा सकता है?</span><br />हां लिंग का आकार बढ़ाया जा सकता है लेकिन वह सिर्फ सर्जिकल तरीके से . एक तरीका बायहेरी और दूसरा फैट इंजेक्शन है. बायहेरी तरीके में शरीर के एक हिस्से से लिगमेंट( ligament) काट कर लिंग में जोड़ा जाता है. इस तरीके से सिर्फ 2 इंच तक ही लिंग की लंबाई बढ़ाई जा सकती है. दूसरा तरीका फैट इंजेक्शन का है. इसमें शरीर के हिस्से से फैट निकाल लिया जाता है और उसे लिंग में इंजेक्ट किया जाता है. इसके अलाबा लिंग बढाने के जो भी तरीके दवा या अन्य बताए जाते है वह सिर्फ ठगी का कारण बनते है.<br /><br /><br /><span style="color:#ff6600;">■</span> <span style="color:#ffcc33;">लिंग की लंबाई कैसे मापी जाती है?</span><br />हेराल्ड रीड जो रीड सेंटर फॉर एम्बुलैटरी यूरोलॉजिकल सर्जरी के डॉक्टर हैं के अनुसार लिंग की लंबाई नापने का सही तरीका निम्न है-सर्वप्रथम आप सीधे खड़े हो जाएं फिर लिंग को पूर्ण उत्तेजित अवस्था में ले आएं. इसके बाद लिंग को पकड़ कर तब तक नीचे झुकाएं जब तक कि वह जमीन के समानान्तर अवस्था में न आ जाए. इसके पश्चात लिंग जहां शरीर से शुरू होता है वहां से शिश्न मुण्ड की सीध तक स्केल से नाप लें. जो लंबाई आएगी वही लिंग की वास्तविक लंबाई है.<br /><br /><br /><span style="color:#ff6600;">■</span> <span style="color:#ffcc33;">लिंग का एक ओर झुकाव (दाएं या बायें ) कुछ गलत है ?</span><br />लगभग सभी लिंग उत्तेजना के दौरान किसी न किसी दिशा में झुके रहते हैं. इनमें से कुछ नीचे की ओर झुके होते हैं. यदि उत्तेजना के दौरान यह झुकाव न हो तो यह लिंग में दर्द का कारण बन सकता है. इसलिये लिंग में झुकाव कुछ गलत नहीं है और न ही यह लक्षण आपके लिंग के साथ कुछ असामान्य है. इस झुकाव से सेक्स क्रिया पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता है.अपवाद स्वरूप कुछ केस जिसे पेरोंस सिन्ड्रोम कहते है में लिंग का झुकाव बीमारी माना जाता है. यह बचपन से होता है. इस अवस्था में झुकाव की सीमा काफी अधिक कभी-कभी तो 90डिग्री तक पहुंच जाती है. यदि ऐसी परिस्थितियां होती हैं तो फिर चिकित्सक(यूरोलॉजिस्ट ) को दिखाना जरूरी होता है.<br /><br />ज्यादा जानकारी के लिये क्लिक करें <a href="http://www.sexkya.com/2006/10/blog-post.html">लिंग और उसका आकार</a>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-53100545221478921732008-11-13T13:53:00.000-08:002008-11-22T00:53:42.557-08:00सेक्स संबंधी आम सवाल<span style="color:#ff9900;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SRyvTfN6wiI/AAAAAAAABFE/xyKpHtTqs6o/s1600-h/Sex_QuestionTN.jpg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 109px; FLOAT: left; HEIGHT: 200px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5268278413448888866" border="0" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SRyvTfN6wiI/AAAAAAAABFE/xyKpHtTqs6o/s200/Sex_QuestionTN.jpg" /></a>प्रश्नः</span> कुछ लड़कियों में उनकी योनि से इतनी तेज गंध क्यों आती है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> हर लड़की की गंध भिन्न होती है, और उसकी तेज़ी भी कम या अधिक हो सकती है. योनि की सतह के नीचे तेल की ग्रँथियाँ होती हैं जो उत्तेजित होने के समय काम करना शुरु करती हैं और सम्भोग के समय यौनी को चिकना बनाती हैं. किसी किसी पुरुष को यह गंध अच्छी नहीं लगती या बहुत तेज लगती है तो यौन सम्पर्क से पहले यौनी की नाजुक सी क्रीम से साफ करना लाभ दे सकता है.</blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> क्या संभोग के समय बेहोश हो जाना सामान्य बात है? मैं एक स्त्री हूँ.<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> नहीं, यह सामान्य बात नहीं, शायद आप ठीक से साँस नहीं लेती. संभोग के समय भी ठीक से साँस लेना आवश्यक है, यानि खुल कर पूरी छाती में साँस लेना चाहिये, अगर आक्सीजन कम होगी तो बेहोशी आ जायेगी. </blockquote><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः </span>मेरी एक परेशानी है, मेरे लिंग का ऊपरी भाग जो चिकना होता है, वह बहुत सूखा रहता है, इसलिए लिंग को खड़ा करने भी मुश्किल होती जब तक उसे कुछ गीला न करूँ, जैसे कि थूक लगा कर. क्या यह नोरमल है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> कभी कुछ चिकनापन की जरूरत पड़े यह नोरमल बात है, अगर अधिक सूखा लगे तो उस पर कोई भी बेबी क्रीम लगा सकते हो जिससे कुछ नमी बनी रहे.</blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः </span>मुझे बता सकते हैं कि क्यों सम्भोग से समय मुझे अच्छा लगता है कि मेरी गुदा में मेरी साथी अपनी उँगली घुसाये? क्या मैं नोर्मल हूँ?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> गुदा में बहुत तंत्रिकाँए यानि नर्वस्(nerves) होती हैं, और उन्हे छूने से अच्छा लगना स्वाभाविक है. इसलिए यह बिल्कुल नोरमल है कि तुम्हे यह अच्छा लगता है.</blockquote><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> मैं पंद्रह साल का लड़का हूँ और वेटलिफ्टिंग यानि वजन उठाने की कसरत करता हूँ, मैंने सुना है कि वजन उठाने से लिंग छोटा रह जाता है, क्या यह सच है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> खाली वजन उठाने से लिंग को कुछ नहीं होगा, कठिनाई तब होती है जब माँसपेशियों को बढ़ाने के लिए लोग होरमोन वगैरा लेना शुरु करते हैं. वजन उठाने से माँसपेशियाँ बढ़ जाती हैं तो बाकी शरीर के सामने लिंग पहले से छोटा लग सकता है पर असल में लिंग तो जैसा था वैसा ही रहता है, बस छोटा लगता है.</blockquote><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> मैं चालिस साल का पुरुष हूँ. मैंने सुना है कि काम की चिंता होने से, स्ट्रैस होने से, वजन बढ़ने से, सेक्स की शक्ति बिगड़ जाती है और लिंग ठीक से नहीं तनता. तुम्हारा क्या विचार है.<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> तुमने ठीक ही सुना है. चिंता और बढ़ता वजन दोनो से ही सेक्स तो खराब होता ही है, और भी कई तकलीफें हो सकती हैं. सारे जीवन पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए अपना ठीक से ख्याल रखना चाहिये, काम के बाद आराम करने का पर्याप्त समय भी होना चाहिये.</blockquote><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> मैं 21 साल का युवक हूँ, मेरी कठिनाई है कि जब मेरा लिंग खड़ा होता है तो भी उसका शिश्न मुण्ड (सुपारा) नहीं खुलता, चमड़ी बहुत तंग है और वह मेरे लिंग से चिपकी रहती है. इससे मुझे हस्तमैथुन में तो कोई मुश्किल नहीं पर मुझे डर है कि मैं ठीक से सम्भोग नहीं कर पाऊँगा. मैंने कण्डोम लगाने की भी कोशिश की पर उसमें भी मुझे बहुत कठिनाई हुई. मुझे कुछ सलाह दो, धन्यवाद.<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> धीरे धीरे चमड़ी को सुपारे से पीछे हटाने की रोज़ कोशिश कर सकते हो, थोड़ा ध्यान से करना क्योंकि तुम्हारा सुपारा बहुत जल्दी संवेदित हो जायेगा. जिस समय लिंग तना न हो, उस समय वह चमड़ी से ढका रहे, यह तो नोरमल है पर जब सम्भोग के समय तुम उसे योनि में घुसाओगे, तो चमड़ी पीछे होने चाहिये. कण्डोम पहनने में अगर कठिनाई हो तो उसे लिंग के पूरी तरह खड़े होने से पहले ही लगा लो. तुम कहते हो कि हस्तमैथुन में तकलीफ नहीं इसका अर्थ है कि चमड़ी बिल्कुल चिपकी हुई नहीं है और शल्यचिकित्सा की आवश्यकता नहीं होनी चाहिये.लेकिन जिन लोगों की चमड़ी काफी कसी होती है तथा नीचे पूरी तरह नहीं खुलती है उन्हें सेक्स के दौरान परेशानी हो सकती है. इससे बचने के लिये किसी सर्जन को समस्या बता कर इलाज करा लेना चाहिये. इसके लिये काफी छोटा ऑपरेशन होता है तथा कुछ दिनों में ही सब कुछ नार्मल हो जाता है. तथा किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती.</blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः </span>मुझे अपने लिंग और नीचे गोलियों की थैली पर सफेद सफेद सी छोटी छोटी गोलियाँ सी दिखतीं हैं, इनका क्या इलाज हो सकता है? क्या यह तकलीफ और पुरुषों को भी होती है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> हाँ यह बात कई लोगों को होती है और अपने आप घटती बढ़ती रहती है. क्या तुमने इस बारे में किसी डाक्टर से बात की? मेरे विचार में डाक्टर से बात करनी चाहिये. </blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> जब मेरा लिंग खड़ा होता है तो नीचे की ओर झुक जाता है, क्या इससे मुझे सेक्स में कठिनाई होगी, क्या मुझे आपरेशन करवाना पड़ेगा?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः </span>लिंग में कुछ टेढ़ापन, या एक तरफ झुकना या नीचे झुकना सामान्य बाते हैं और बहुत से पुरुषों को होती हैं, अधिकतर लोगों को इससे कोई तकलीफ नहीं होती और वह नारमल तरह से सम्भोग कर सकते हैं. हाँ अगर झुकाव बहुत अधिक हो तो कुछ ऑपरेशन करवाना पड़ता है. </blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः </span>मेरी माहवारी हमेशा समय से महिने के महीने आती थी, पर पिछले एक साल में कुछ परिवर्तन आया है. मुझे भूख कम लगती है, अक्सर थकान रहती है और माहवारी भी ठीक नहीं आती, क्या वजह हो सकती है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> हो सकता है कि हारमोन की कुछ तकलीफ हो, मेरे विचार में आप को स्त्रीरोग विषेशज्ञ यानि गायनेकोलोजिस्ट को दिखाना चाहिये. </blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> मैं अपने साथी के साथ तीन सालों से हूँ पर जब भी यौन सम्पर्क करते है, मेरी योनि में बहुत दर्द होता है. और सब तरह से हमारा रिश्ता अच्छा है पर इस बात का हम दोनों पर बहुत बुरा असर हो रहा है और मुझे बहुत चिंता है. मुझे सलाह दो कि मैं इस बाधा से छुटकारा पाऊँ. धन्यवाद.<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> मेरे विचार में तुम्हें स्त्रीरोग विषेशज्ञ से मिलना चाहिये. जैसे तुम बता रही हो वेजिनिस्म यानि यौनी का स्पासम की तकलीफ लगती है. मेरे विचार में यह तकलीफ ठीक इलाज से अवश्य दूर हो जायेगी और तुम अपने साथी के साथ सेक्स का सही आनंद ले सकोगी. </blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> मेरी शादी को चार साल हो गये और हमारी दो साल की बेटी है. तकलीफ यह है कि बच्चे के बाद से मेरी पत्नी सेक्स नहीं चाहती. क्या करूँ?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> पहले तो पत्नी की जाँच कराईये कि हारमोन की तकलीफ न हो. दूसरी बात है कि पत्नी के साथ समय बिताईये, उसकी बात समझने की कोशिश करिये. सेक्स में रुचि न होना, अन्य भावनात्मक कठिनाईयों की वजह से भी हो सकती है.लेकिन ज्यादातर मामलों में यह होता है कि बच्चे के बाद मां का ध्यान बच्चे पर ज्यादा होने से उसका मन सेक्स आदि पर कम जाता है. इसपर पुरुष को चाहिए कि वह अपनी पार्टनर को धीरे धीरे सेक्स रुचिकर बातों में ध्यान बंटाए. तथा छेड़छाड़ जैसे प्रयत्न करे. साथ ही फोरप्ले भी करें इससे उसकी रुचि सेक्स में जागेगी. ज्यादातर सेक्स से अरुचि का कारण मानसिक होता है. इसमें दोनों को खुलकर बातें करना चाहिए तथा सेक्स से अरुचि का कारण खोज उसके अनुरुप प्रयास करना बेहतर होता है.</blockquote><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> क्या लड़की को गुदा मैथुन से भी आनंद मिल सकता है? किस कारण से बहुत सी लड़कियाँ गुदा मैथुन नहीं चाहतीं?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः </span>लड़कों और लड़कियों दोनो को गुदा से आनंद मिल सकता है, सेक्स की बहुत सी बातें हमारे सोचने के तरीके से जुड़ी हैं, अगर आप के मन में गुदा के साथ शर्म, ग्लानी या गंदगी के विचार है या दर्द होने का डर है तो आप को वह अच्छा नहीं लगेगा. गुदा मैथुन के लिए शरीर को तैयार करना आवश्यक है, गुदा में कुछ मोटी चीज घुसाने से पहले उसे किसी छोटी चीज से जैसे कि उँगली और क्रीम से तैयार करना चाहिये. पर जबरदस्ती नहीं होनी चाहिये, अगर किसी को यह अच्छा नहीं लगता तो उसे मना करने का पूरा हक है. </blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> कुछ डाक्टर कहते हैं कि गुदा मैथुन एक तरह की बीमारी है, क्योंकि गुदा मल को बाहर निकालने के लिए बनी है न कि इस लिए कि उसमें कुछ घुसाया जाये. जो गुदा मैथुन करवाते हैं उनको मल को अंदर रोकने में कठिनाई होने लगती है और बीमारी हो जाती है. आधुनिक सेक्सोलोजी इस विषय में क्या कहती है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> सेक्सोलोजी की तरफ से इसमें कोई गलत बात नहीं. पर यह तो सच है कि शरीर के साथ कुछ भी करने से पहले यह ख्याल रखा जाये कि शरीर को नुक्सान न पहुँचे और चोट न लगे. </blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः </span>जैसे पुरुष में जल्दी वीर्यपात हो सकता है क्या स्त्रियों में इस तरह वीर्यपात हो सकता है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः </span>नहीं स्त्रियों को यह तकलीफ नहीं होती, स्त्रियाँ अपने आनंद के चर्म के होने के बाद भी सेक्स में कोई कठिनाई नहीं पाती जबकि पुरुष एक बार चर्म पर पहुँच जाये तो उसके लिए सेक्स वहीं समाप्त हो जाता है. दरअसल महिला स्खलित नहीं होती है. स्खलन सिर्फ पुरुषों में होता है. </blockquote><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः</span> कुछ दिन पहले की बात है, मैं हस्तमैथुन कर रहा था जब अंत में वीर्य निकला तो देखा कि उसमें कुछ रक्त के कण भी थे. क्या यह बहुत गम्भीर बात है? मुझे चिंता हो रही है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः </span>कभी कभी लिंग की छोटी छोटी रक्त की धमनियाँ टूट जाती हैं और वीर्य में कुछ रक्त दिख सकता है. अगर एक बार आ कर फ़िर न दिखे तो कोई बात नहीं, सब ठीक है. पर अगर हर बार इस तरह होता है तो डाक्टर को दिखाना चाहिये. </blockquote><br /><span style="color:#ff9900;">प्रश्नः </span>मुझे अच्छा लगता है कि सम्भोग के बाद मेरी पत्नी मेरी टेस्टिकल यानि गोलियों को सहलाये, मुझे लगता है जैसे दूसरी बार सेक्स का आनंद मिल रहा हो, क्या यह नारमल बात है?<br /><blockquote><span style="color:#ffff00;">उत्तरः</span> हाँ, इसमें कोई खराबी नहीं. जो बात मन को अच्छी लगे और किसी अन्य का कुछ न बिगड़े तो उसमें क्या खराबी हो सकती है!<br /></blockquote><br /><br /><br />साभारः <a href="http://www.kalpana.it/hindi/index.htm">कल्पना</a>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-47222570445736714892008-11-01T05:33:00.000-07:002008-11-12T23:02:50.040-08:00सेक्स शब्दकोष (sex Dictionary)<a href="http://w/">http://w</a><a href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQxNNzGXRsI/AAAAAAAABEY/f20ef2T_A_A/s1600-h/sex.JPG"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 177px; FLOAT: left; HEIGHT: 200px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5263666963939804866" border="0" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQxNNzGXRsI/AAAAAAAABEY/f20ef2T_A_A/s200/sex.JPG" /></a><a href="http://www.sexkya.com/">ww.sexkya.com/</a> ने एक नए प्रयोग के तहत सेक्स शब्दको<a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQq0_2rav8I/AAAAAAAABDY/9wHBMUtY6ck/s1600-h/sex.JPG"></a>ष (sex Dictionary) को भी इसमें शामिल कर दिया गया है. साथ ही यह भी प्रयास किया जा रहा है ज्यादातर शब्दों को उससे संबंधित वेबपेज का लिंक भी दे दिया जाय. ताकि लोग उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा समझ सके. यह सुविधा वेबपेज के दाहिनी ओर सबसे नीचे दी गई है. इसके लिये सेक्स संबंधी हिन्दी में अनुवादित नीले रंग के अक्षरों पर माउस ले जाकर क्लिक करें. इससे आप उससे संबंधित पेज पर आसानी से पहुंच जाएंगे. इससे संबंधित कोई सुझाव हो तो दे सकते हैं. यदि आपके संज्ञान कोई अन्य सेक्स शब्दावली आए तो हमें मेल कर सकते हैं.Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-22911328170528232702008-10-31T17:22:00.000-07:002008-11-01T05:42:54.160-07:00हस्तमैथुन (masturbation)एक सामान्य शारीरिक मनोविज्ञान से जुड़ी प्रक्रिया है. इसे यौन तुष्टि हेतु पुरूष स्त्री सभी करते है. चरम उत्सर्ग को पाने के लिये सामान्य तौर पर यह हाथों द्वारा या फिर कई बार शारीरिक संपर्क(संभोग को छोड़कर) या वस्तुओं तथा उपकरणों का प्रयोग किया जाता है. हस्तमैथुन (masturbation) शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन शब्द manu stuprare (हाथ के साथ अशुद्धि) से मानी जाती है.<br /><strong><span style="color:#ffff66;"></span></strong><br /><strong><span style="color:#ffff66;">हस्तमैथुन तकनीक</span></strong><br />दोनों लिंगों के लिये हस्तमैथुन की तकनीक समान है. इसमें जननांग या जननांग क्षेत्र में दबाव या रगड़ने की क्रिया अपनाई जाती है. इसके लिये उंगलियों, हथेली या किसी वस्तु जैसे तकिया आदि का इस्तेमाल सामान्य तौर पर किया जाता है. कई बार लिंग या योनि को उत्तेजित करने के लिये वाईब्रेटर(vibrators) का इस्तेमाल भी किया जाता है. कुछ लोग हस्त मैथुन को और उत्तेजक बनाने के लिये स्तनों या अन्य कामोद्दीपक अंगों को छूते, रगड़ते, चिकोटी आदि काटते हैं. कई बार दोनो लिंगो के लोग ज्यादा सनसनी पाने के लिये स्निग्ध पदार्थों ( lubricating) का भी प्रयोग अपने गुप्तांगो या उपकरणों पर करते हैं.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">पुरूष कैसे करते है</span></strong><br />पुरुषों द्वारा ह<a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQuiMI9SBzI/AAAAAAAABEA/phsHXMJ7NiU/s1600-h/Male_masturbation_1.jpg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 200px; FLOAT: left; HEIGHT: 109px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5263478918959204146" border="0" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQuiMI9SBzI/AAAAAAAABEA/phsHXMJ7NiU/s200/Male_masturbation_1.jpg" /></a>स्तमैथुन की तकनीक कई कारकों तथा व्यक्तिगत पसंद से प्रभावित होती है तथा यह सामान्य तथा खतना वाले लिंगों में भी अलग-अलग हो सकती है. हस्तमैथुन के कुछ तरीके किसी के लिये सामान्य तो किसी के लिए पीड़ा दायी भी हो सकते हैं. इसलिये यह अलग-अलग लोगों द्वारा अलग अलग तरीके से किया जा सकता है. हस्तमैथुन के सामान्य व प्रचलित तरीके में पुरुष अपने शिश्न को अपनी हथेली मे दबा कर अपनी अंगुलियाँ से इसे पकड़ लेते हैं, और इसे रगड़ना और हिलाना शुरु करते है. इस दौरान वे लिंग की अग्रत्वचा को हथेली में दबा कर उपर नीचे करते हैं. यह प्रक्रिया कभी कभी चिकनाई लगा कर भी करते है । ये कार्य वे तब तक करते है जब तक उनका वीर्यपात नहीं हो जाता है. अग्र त्वचा को हथेलियों में दबाकर उपर नीचे करने की गति अलग-अलग लोगों में अलग-अलग हो सकती है तथा स्खलन के ठीक पहले यह गति तेज हो जाती है. इसके अलावा कई लोग हस्तमैथुन के लिये शिश्न मुण्ड को भी सहलाकर या रगड़ कर हस्तमैथुन की क्रिया कारित करते हैं. इस क्रिया को खड़े होकर, बैठ कर, लेट कर किया जा सकता है.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">स्त्री कैसे करती है</span></strong><br />महिलाएं हस्त<a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQuiWa4B5LI/AAAAAAAABEI/dPtUwU_aWgo/s1600-h/Female_masturbation.jpg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 200px; FLOAT: left; HEIGHT: 102px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5263479095567705266" border="0" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQuiWa4B5LI/AAAAAAAABEI/dPtUwU_aWgo/s200/Female_masturbation.jpg" /></a>मैथुन के लिये सामान्य तौर पर अपनी योनि या भग क्षेत्र को सहलाकर, रगड़कर या फिर थपथपा कर चरमोत्कर्ष को प्राप्त करती हैं. इसके लिये ज्यादतर वे अपनी भगशिश्निका या फिर योनि का उपयोग करती है तथा अपनी मध्यमा या बीच की उंगलियों का सहारा लेती है. कुछ महिलाएं इसके लिये वाइब्रेटर का भी प्रयोग करती है. भगशिश्निका को तो सहलाकर उद्दीप्त किया जाता है लेकिन योनि के अंदर उंगलियां डालकर अंदर बाहर किया जाता है. इस क्रिया के लिये वे अपना भगशिश्न को रगडना शुरु कर देती है इसके बाद वे अपनी योनि मे अन्गुली या कोई वस्तु डाल कर लिन्ग प्रवेश का सुख अनुभव करती है ये कार्य वे तब तक जारी रखती है जब तक वे मदनोत्कर्ष तक नहीं पहुचं जाती है. यह क्रिया बैठे-बैठे टांगे फैलाकर, लेटे हुए टांगे खोल कर या उठा कर, खड़े होकर, या फिर खुली टांगों के साथ घुटने के बल बैठकर संपादित की जा सकती है.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">परस्पर हस्त<a href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQuv1K-DwFI/AAAAAAAABEQ/iRYOl-LteXM/s1600-h/Erste_Privat-Badinage_der_Jungfrauen_vom_Bayrischen_Platz_in_12_Exemplaren.jpg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 200px; FLOAT: left; HEIGHT: 178px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5263493917525131346" border="0" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQuv1K-DwFI/AAAAAAAABEQ/iRYOl-LteXM/s200/Erste_Privat-Badinage_der_Jungfrauen_vom_Bayrischen_Platz_in_12_Exemplaren.jpg" /></a>मैथुन</span></strong><br />जब दो या दो से ज्यादा समान या विपरीत लिंग के लोग एक दूसरे को हाथों द्वारा यौन सुख प्रदान करते है उसे परस्पर हस्तमैथुन कहा जाता है. जब स्त्री-पुरूष दोनो एक दूसरे को यौन सुख देने हेतु एक दूसरे का हस्तमैथुन करते है. यह क्रिया उपर दिये गए तरीके या फिर किसी अन्य तरीकों द्वारा अलग- अलग पसंदीदा पोजीशनों में की जा सकती है.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">हस्तमैथुन आवृत्ति, उम्र और सेक्स</span></strong><br />हस्तमैथुन की आवृत्ति कई कारकों पर निर्भर करती है मसलन यौन तनाव की प्रतिरोध क्षमता, यौन उत्तेजना को प्रभावी करने वाले हार्मोन का स्तर, यौन आदतें, उत्तेजना का प्रभाव, संगत तथा संस्कृति का असर. चिकित्सा कारणों को भी हस्तमैथुन से संबद्ध किया गया है. विभिन्न अध्ययनों में पाया गया है कि मानवों में हस्तमैथुन सामान्य तथा अंतराल में की जाने वाली क्रिया है. अल्फ्रेड किन्सी ने अपने शोध में पाया है कि 92% पुरुष तथा 62% महिलाएं अपने जीवनकाल<br />में हस्तमैथुन करते हैं. इसी प्रकार के परिणाम एक ब्रिटिश राष्ट्रीय संभाव्यता सर्वेक्षण में पाये गए है. जिसमें 95% पुरुष तथा 71% महिलाएं अपने जीवनकाल में हस्तमैथुन करते हैं. वर्ष 2004 में टोरंटो पत्रिका के सर्वेक्षण में हस्तमैथुन के चौंकाने वाले परिणाम सामने आए. परि णामों में पुरुषों का एक भारी बहुमत 81% ने 10 से 15 वर्ष के बीच ही हस्तमैथुन प्रारंभ कर चुके थे. ठीक कुछ इसी तरह के आंकड़े महिलाओं के भी सामने आए जिनमें 55% ने 10 से 15 वर्ष के बीच हस्तमैथुन का आनंद ले चुकी थीं. यहां एक और चौंकाने वाले तथ्य महिलाओं में सामने आए हैं. इन 55% महिलाओं में 18% ने 10 वर्ष की आयु से ही हस्तमैथुन प्रारंभ कर दिया था वहीं 6% ने 6 वर्ष की आयु में ही हस्तमैथुन किया इसकी वजह उनके घर के बड़े सदस्यों की नकल या उनके द्वारा उकसाया जाना सामने आयी. चाइल्ड सेक्सुअल्टी पर अध्ययन करने वाले दल ने अपने सर्वे में बताया कि कई बच्चे काफी कम उम्र में ही हस्तमैथुन करना शुरू कर देते हैं भले ही इस उम्र में उनमें स्खलन नहीं होता है.<br />NOW नामक पत्रिका ने अपने सर्वेक्षण में पाया कि 17 वर्ष की आयु के बाद हस्तमैथुन की आवृत्ति में गिरावट होने लगती है. इस सर्वे में पाया गया कि इस उम्र में ज्यादातर पुरुष रोज या रोज कई बार हस्तमैथुन करते हैं. वहीं 20 वर्ष की आयु में इस आवृत्ति में कुछ गिरावट आ जाती है. यह गिरावट इस उम्र की महिलाओं में ज्यादा तेजी से होती है वहीं पुरुषों में धीरे-धीरे होती है. महिलाएं 13 से 17 वर्ष की आयु के बीच में प्रतिदिन हस्तमैथुन करती हैं. वहीं 18 से 22 वर्ष की महिलाएं माह में 8 से 9 बार हस्तमैथुन करती हैं जबकि इस उम्र में पुरुषों द्वारा हस्तमैथुन लगभग 12 से 18 बार किया जाता है. सर्वेक्षण से पता चला है कि किशोरवय युवा एक दिन में 6 बार तक हस्तमैथुन द्वारा स्खलन को पा चुके हैं. वहीं प्रोढ़ दिन में एक बार हस्तमैथुन द्वारा स्खलन प्राप्त करते पाए गए हैं. इसके अलावा 21 से 28 वर्ष के स्वस्थ युवा एक दिन में 8 से 10 बार तक हस्तमैथुन द्वारा स्खलन को प्राप्त करते पाए गए हैं. यह सर्वे विकसित देशों के हैं इसलिये अलग-अलग क्षेत्रों व संस्कृति के अनुसार इन आंकड़ों में परिवर्तन अवश्यंभावी है.<br />इन सर्वेक्षणों से एक परिणाम यह भी सामने आया है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में हस्तमैथुन को कम तरजीह देती वजाय विपरीत सेक्स करने के. इसके अलावा वे लोग जो यौन रिश्तों में सक्रिय नहीं है वे हस्तमैथुन ज्यादा करते है. जो लोग सेक्स कर रहे होते हैं उनके द्वारा हस्तमैथुन की आवृत्ति कम हो जाती है. वहीं जो लोग समलैंगिक होते हैं उनके द्वारा हस्तमैथुन क्रिया ज्यादा की जाती है.<br />सर्वे में यह साबित हुआ है सेक्स क्रिया की आवृत्ति का हस्तमैथुन की आवृत्ति से काफी संबंध हैं. अर्थात सेक्स ज्यादा करने पर हस्तमैथुन कम होगा तथा सेक्स रिलेशन कम होने पर हस्तमैथुन ज्यादा होगा. इसी प्रकार संस्कृति से भी हस्तमैथुन का जुड़ाव है. मसलन एरीजोन के होपी, ओसिआनिया के वोगेनो और अफ्रीका के डहोमीन्स और नामू संस्कृतियों में पुरुषों को नियमित हस्तमैथुन के लिये प्रोत्साहित किया जाता है. ठीक इसी तरह मिलानेसियन समुदायों के बीच युवा लड़कों द्वारा हस्तमैथुन के प्रति आशान्वित रहा जाता है. ऐसा ही एक रोचक मोड़ न्यू गिनी की सांबिया जनजाति का है. यहां मुखमैथुन द्वारा वीर्यपात को पुरुषत्व के नजरिये से सामाजिक संस्कारों के रुप में लिया जाता है. यहां वीर्य को मूल्यवान तथा हस्तमैथुन को वीर्य नष्ट करने वाला माना जाता है फिर भी हस्तमैथुन प्रोत्साहन को प्राप्त है. वहीं कुछ संस्कृतियों में बतौर संस्कार पहले वीर्यपात की क्षमता को उसके पुरुषत्व का पैमाना माना जाता जो हस्तमैथुन द्वारा होता है. इसी प्रकार अगाटा व फिलीपींस की कुछ जनजातियों में कम उम्र से यौवनारंभ तक जननांगो की उत्तेजना को प्रोत्साहित किया जाता है. वहीं भारत व कई एशियाई देशों में हस्तमैथुन को सामाजिक तौर पर उतने बेहतर नजरिये से नहीं देखा जाता है. यहां विवाह के पूर्व किसी कृत्रिम तरीके से वीर्यपात को गलत माना जाता है लेकिन इन क्षेत्रों में भी अब परिवर्तन नजर आने लगा है और युवा पीढ़ी मान्यताओं के विपरीत जाने लगी है. आजकल तो हस्तमैथुन स्वस्थ व्यवहार व सुरक्षित पद्धति के रूप में स्वीकार किया जाता है बजाय एक असुरक्षित संभोग के.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">विकासवादी उपयोगिता</span></strong><br />संभोग के दौरान हस्तमैथुन से प्रजनन क्षमता में वृद्धि हो सकती है. महिला हस्तमैथुन से योनि,ग्रीवा और गर्भाशय की स्थिति बदलती है, इस तरह हस्तमैथुन के समय के आधार पर संभोग को दौरान गर्भाधान ने चांस भी बदल जाते हैं. महिलाओं में संभोग सुख के एक मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक वीर्यरोपण के लिये शुक्राणु के अण्डे तक जाने की संभावना ज्यादा होती है. इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि यदि एक महिला एक की अपेक्षा ज्यादा पुरुषों से संसर्ग करती है तो उसके गर्भधारण करने के चांस ज्यादा होंगे ठीक उसी तरह संभोग के दौरान हस्तमैथुन है. महिला हस्तमैथुन उसे गर्भाशय की ग्रीवा के संक्रमण से बचाता है जो उस क्षेत्र से स्त्रावित होने वाले द्रव की अम्लता की वजह से हो सकता है. इसी तरह पुरुषों द्वारा किए गए हस्तमैथुन से पुराने शुक्राणु बाहर निकाल दिये जाते हैं. इस प्रकार अगले वीर्यपात में जो शुक्राणु बाहर आते हैं वे ज्यादा फ्रेश होते हैं जिसकी वजह से गर्भाधान की संभावना भी ज्यादा होती है. स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक प्रभाव लाभ हस्तमैथुन का शारीरिक लाभ ठीक संभोग की ही तरह होता है इसमें बढ़े रक्त संचार की वजह से चेहरा प्लावित रहता है तो कई तरह के तनावों से भी छुटकारा मिलता है. कई बार यह अवसाद की स्थितियों को भी दूर करता है. हस्तमैथुन भागीदारों के रिश्ते को भी बराबर करता है जैसे यदि कोई एक भागीदार ज्यादा सेक्स चाहता है इस अवस्था में हस्तमैथुन भागीदारिता को संतुलित कर सकता है. वहीं हस्तमैथुन द्वारा चरमोत्कर्ष के आनंद को भी बढ़ाया जा सकता है. वर्ष 2003 में आस्ट्रेलियाई रिसर्च टीम ने एक अनुसंधान द्वारा पता लगाया है कि हस्तमैथुन प्रोस्टेट कैंसर की रोक में भी सहायक होता है. इसके अलावा हस्तमैथुन परपुरुष व परस्त्री गामी लोगों को होने वाली बीमारियों से बचाव करता है, अर्थात हस्तमैथुन यौन संक्रमित रोगों के संपर्क के जोखिम से भी रक्षा करता है.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">रक्तचाप(Blood pressure)</span></strong><br />हस्तमैथुन दोनों लिंगों के लिए रक्तचाप कम रखने में सहायक होता है. शोध द्वारा यह पता चला है जो लोग संभोग या हस्तमैथुन करते है उनका रक्तचाप ज्यादा बेहतर रहा बजाय उनके जो कि किसी यौनिक क्रिया में शामिल नहीं रहे हैं.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">प्रवेशन </span></strong><br />हस्तमैथुन के लिये यह ध्यान रखना चाहिये कि महिलाएं अपने गुप्तांगों में जिस किसी भी ची ज को प्रवेश कराती हैं वह पूर्ण रूप से साफ सुथरी तथा संक्रमण मुक्त हो. इसी तरह पुरुष को भी ध्यान रखना चाहिए कि उसकी हथेलियां भी साफ हो या यदि वह कोई उपकरण प्रयोग कर रहा हो तो वह भी साफ व संक्रमण मुक्त हो. इसके अलावा यदि कोई उपकरण प्रयुक्त किये जा रहे हों तो यह ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उनमें किसी प्रकार की खरोंच न हो. अन्यथा वह गुप्तांगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">चिकित्सकीय नजरिया</span></strong><br />20वीं शताब्दी के पहले तक चिकित्सकीय नजरिये से हस्तमैथुन को गलत माना जाता था. तब बताया जाता था कि यह आत्म प्रदूषण की क्रिया है. तथा इसमें जिस वीर्य का पतन होता है वह काफी आवश्यक द्रव्य है. इसके पतन से अनेक व्याधियां मसलन स्मरण शक्ति में कमी, सिर दर्द, खून में कमी आदि आती है. तब एक मिथक भी प्रचलित रहा कि 40 बूंद खून से वीर्य की एक बूंद बनती है इस लिये हस्तमैथुन से वीर्य का नाश करना शरीर को नुकसान पहुंचाना है. लेकिन आधुनिक चिकित्सकीय खोजों तथा वीर्य पर किये विस्तृत अध्ययन ने यह सभी पुरानी चिकित्सकीय धारणाएं बदल दीं तथा बताया गया कि वीर्य का खून से कोई लेना देना नहीं होता है. यह शरीर में सतत निर्माण होने वाली क्रिया के तहत लगातार शरीर में उत्पादित होता रहता है. यदि इसे कृत्रिम तरीके से न निकाला जाय तो उत्पादन ओव्हर फ्लो होने पर अपने आप बाहर निकल सकता है. साथ ही हस्तमैथुन से लिंग का झुकाव भी किसी दिशा विशेष में नहीं होता जैसा कि मिथक में लोग कहते हैं कि हस्तमैथुन से उनका लिंग एक दिशा में झुक गया है. न ही हस्तमैथुन से लिंग की लंबाई बढ़ती या घटती है. कुल मिलाकर हस्तमैथुन एक सामान्य यौनिक प्रक्रिया है जिससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है.Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-84128715185833462242008-10-30T00:07:00.000-07:002008-10-30T04:53:05.661-07:00लिंग पर दाने (pimples on penis)कई लोग लिंग में होने वाले दाने या पिंपल को लेकर काफी परेशान होते <a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmdiEE2sCI/AAAAAAAABB4/bcHVcLIBwIM/s1600-h/fordyce_spots_on_penis_1_040611.jpg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 191px; FLOAT: left; HEIGHT: 135px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5262910848094351394" border="0" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmdiEE2sCI/AAAAAAAABB4/bcHVcLIBwIM/s200/fordyce_spots_on_penis_1_040611.jpg" /></a>हैं तथा कई लोग इसे सेक्स क्रिया का भी दुष्परिणाम मानते हैं तो कई इसे सेक्स क्रिया में बाधक मानते हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं है. यह एक सामान्य शारीरिक क्रिया की निष्पत्ति हैं. पिंपल या<a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQldzBsozQI/AAAAAAAABBY/Ktr4qrJ9yDI/s1600-h/Fordyces_spot_closeup.jpg"></a> फुंसी वास्तव में त्वचा के छेद में एक रुकावट का परिणाम है और यह शरीर पर कहीं भी हो सकता है: चेहरा, पीठ, पैर, गुप्तांग (genitals) सहित शरीर के किसी भी अंग में. पिंपल सामान्य और लगातार चलने वाली स्थिति है जो तेल ग्रंथियों में रूकावट की वजह से पैदा होती है या फिर कह सकते हैं कि पिंपल त्वचा में तेल ग्रंथियों की असमान्यता का प्रभाव है. हर रोम कूप में तेल ग्रंथियां पाई जाती हैं. जब इन रोम कूपों में कोई रुकावट या अवरोध पैदा होता है तो वहां पर त्वचा पर दाने होने लगते हैं. जिन्हे फुंसी, मुंहासे, दाने या पिंपल कहते हैं. क्या लिंग पर दाने सामान्य हैं हां और नहीं दोनों. तथाकथित pimples के कुछ प्रकार (bumps ,...) सामान्य होते हैं और बहुत ही सामान्य स्थिति का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन कुछ मामलों में कुछ bumps खतरनाक हो सकता है और इसके लिये चिकित्सा समाधान की जरूरत होती है. लिंग या अंडकोष पर Pimples आमतौर पर किशोरावस्था में होते हैं, लेकिन यह भी संभव है कि पुरुष अपने जीवन में कुछ समय बाद में भी pimples का अनुभव कर सकते है. आंकड़े बताते हैं कि आठ से दस आदमी अपने जीवन में कुछ समय पर लिंग और / या अंडकोष पर pimples अनुभव करने का दावा करते हैं. ये सभी दाने कुछ समय बाद या फिर एक या दो सप्ताह मे अपने आप खत्म या कम होने लगते हैं. लेकिन यदि यह पिंपल यदि पीड़ादायक होने लगे तथा इनका आकार असामान्य तौर पर बढ़ने लगे तो चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए.<br /><br /><div><strong><span style="color:#ffcc33;">दाने होना कब सामान्य हैं</span></strong></div><div>ज्यादातर सामान्य<a href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmedLAZlPI/AAAAAAAABCA/tqn2XUG08r0/s1600-h/Fordyces_spot_closeup.jpg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 180px; FLOAT: left; HEIGHT: 119px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5262911863566996722" border="0" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmedLAZlPI/AAAAAAAABCA/tqn2XUG08r0/s200/Fordyces_spot_closeup.jpg" /></a>तौर पर दिखाई देने वाले पिंपल सामान्य ही होते हैं. ये देखने में हलके मोतिया दाने की तरह होते हैं, आकार में काफी छोटे (1-2 मिलीमीटर) तथा देखने में छोटे मुंहासों की तरह होते हैं लेकिन यह मुंहासे नहीं होते. ये वास्तव में छोटी ग्रंथियां हैं और इन्हें ज्यादा चुनना नहीं चाहिए. ये शिश्न के चारों ओर एक मार्जिन में होते हैं तथा जब शिश्न की चमड़ी को पीछे की ओर खींचा जाता है तो यह ज्यादा स्पष्ट नजर आते हैं. ये आमतौर पर किशोरावस्था में विकसित होते हैं लेकिन कुछ लोगों में इनका विकास क्रम 40 वर्ष की उम्र तक बना रह सकता है. ऐसे दाने कोई नुकसान दायक नहीं होते हैं तथा 15 फीसदी लोग इस तरह के दानों से प्रभावित होते हैं. इसको लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए. </div><div>कभी कभी हस्तमैथुन या संभोग के पश्चात लिंग की त्वचा पर कहीं कहीं कठोर उभार या दाने जैसी आकृति दिखाई देती है. इसे भी अंजाने में कुछ लोग खतरनाक मानकर भयभीत हो जाते हैं जबकि यह भी सामान्य प्रक्रिया है. इस स्थिति को lymphocele कहा जाता है. यह स्थिति लसिका चैनल में आए अस्थायी अवरोध की वजह से बनती है जो कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है तथा इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है इस लिये इसे लेकर भी घबराने की आवश्यकता नहीं है.<br /><strong><span style="color:#ffcc33;"></span></strong></div><br /><div><strong><span style="color:#ffcc33;">लिंग पर दाने कब असामान्य हैं</span></strong></div><div><strong><span style="color:#ffff99;">अल्सरः</span><a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmex6hntSI/AAAAAAAABCI/45ziSLyIpSI/s1600-h/ulcer.bmp"><span style="color:#ffff99;"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 110px; FLOAT: left; HEIGHT: 144px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5262912219920184610" border="0" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmex6hntSI/AAAAAAAABCI/45ziSLyIpSI/s200/ulcer.bmp" /></span></a></strong><span style="color:#ffff99;"> </span>यदि लिंग पर अल्सर जैसी स्थितियां विकसित हो रही हैं तो इन्हे तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए. अल्सर सामान्य तौर पर craters क्रेटर (ज्वालामुखी के मुहाने ) की तरह दिखाई देते हैं तथा यह त्वचा की मोटाई की हानि को प्रदर्शित करते हैं. आमतौर पर अल्सर में पपड़ी होती है तथा उसके अंदर सामान्य साफ तरल या पस(मवाद) भी भरा हो सकता है. शुरुआती दौर के ये छोटे अल्सर आगे जाकर जननांगों के संक्रमण या कैंसर का भी कारण बन सकते हैं.<br /><strong><span style="color:#ffff99;">Papules:</span></strong>ये लिंग की उपरी सतह पर उभरने वाले काफी छोटे-छोटे <a href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmfJSHQ8BI/AAAAAAAABCQ/ztP9WDAd3w8/s1600-h/10f1.jpg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 161px; FLOAT: left; HEIGHT: 165px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5262912621389082642" border="0" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmfJSHQ8BI/AAAAAAAABCQ/ztP9WDAd3w8/s200/10f1.jpg" /></a>(एक सेमी. से भी कम) चमकीले दाने होते हैं. इनमें से ज्यादातर चिंताजनक नहीं होते हैं लेकिन कुछ को चिकित्सकीय सलाह की आवश्यकता होती है. इनमें से Molluscum contagiosum बहुतायत व सामान्यतः पाया जाने वाले दाने है लेकिन इन्हे तुरंत चिकित्सकीय परीक्षण की आवश्यकता होती है. ये गुलाबी-सफेद गोल घेरे के १-५ मिमी ब्यास के चमक भरे दाने होते हैं. यह वायरस की वजह से होते हैं.<br /><strong><span style="color:#ffff99;">Plaques:</span></strong> ये सामान्यतौर पर एक सेंटीमीटर से बड़े आकार के हो<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmfcGOf8iI/AAAAAAAABCY/xd6UyFnii4A/s1600-h/3.jpg"><img style="MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 200px; FLOAT: right; HEIGHT: 168px; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5262912944615715362" border="0" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SQmfcGOf8iI/AAAAAAAABCY/xd6UyFnii4A/s200/3.jpg" /></a>ते हैं. इनके होने की कोई वायरस से संबंधित वजह नहीं होती है. यह काफी कम लोगों में पाया जाता है लेकिन इसके कुछ प्रकार गंभीर बीमारी को भी जन्म दे सकते हैं इसलिये चिकित्सकीय निगरानी करा लेनी चाहिए. </div>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-62738477346738753982008-09-17T15:32:00.000-07:002008-09-17T15:36:41.481-07:00सुहागरात कैसे यादगार बनाएं<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SNGGNgLmhFI/AAAAAAAAA94/02-GryP9rB4/s1600-h/suhagrat.jpg"><img style="float:left; margin:0 10px 10px 0;cursor:pointer; cursor:hand;" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SNGGNgLmhFI/AAAAAAAAA94/02-GryP9rB4/s200/suhagrat.jpg" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5247122607398356050" /></a><div>सुहागरात जीवन का अहम पल है। हर कोई इसे यादगार बनाना चाहता है। लेकिन न्यूली वेडेड कपल को जहां इस पल का बेसब्री से इंतजार रहता है, वहीं वे कुछ टेंशन में भी रहते हैं। उन्हें चिंता सताते रहती है कि वह अपने पार्टनर को सेक्सुअली संतुष्ट कर पाएंगे या नहीं। इस रात जल्दीबाजी में की गई कोई भी गलती आपको अपने पार्टनर के सामने झेंपने के लिए मजबूर कर सकती है। <br /></div><div><br /></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-weight: bold;"><span class="Apple-style-span" style="color: rgb(255, 255, 51);">डरना मना है </span></span></div><div>अक्सर ऐसा होता है कि न्यूली वेडेड कपल को सेक्स के बारे में ज्यादा नॉलिज नहीं होती। पुरुषों को प्रेमचर इजैक्युलेशन की चिंता सताती रहती है, तो महिलाएं सेक्स के वक्त होनेवाले दर्द के चलते परेशान रहती हैं। इसी डर की वजह से दोनों ठीक से शारीरिक संबंध नहीं बना पाते हैं और सुहागरात के उनके हसीन सपनों पर पानी फिर जाता है। इसलिए आप टेंशन और डर छोड़िए और एक-दूसरे में पूरी तरह डूबने की कोशिश कीजिए। </div><div><br /></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-weight: bold;"><span class="Apple-style-span" style="color: rgb(255, 255, 51);">फोरप्ले सेशन है काफी अहम </span></span></div><div>एक बात गांठ बांध लीजिए कि कोई भी आदमी मास्टर सेक्स परफॉर्मर नहीं होता। इसलिए आप पहले एक दूसरे को जानने की कोशिश करें और फोरप्ले पर ज़्यादा ध्यान लगाएं। अगर आप किसी वजह से पहली बार में अपने पार्टनर को सेक्सुअली खुश नहीं कर पाते हैं, तो घबराइए नहीं। फिर से ट्राई कीजिए इस बार फोरप्ले पर और अधिक माइंड कॉन्सनट्रेट करें। </div><div><br /></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-weight: bold;"><span class="Apple-style-span" style="color: rgb(255, 255, 51);">एक्सपेरीमेंट से बचें </span></span></div><div>अपने पार्टनर के साथ आप पहली बार सेक्स कर रहे हैं, इसलिए आप ओवरएक्साइट होने से बचें। आप सेक्स के लिए वही आसन अपनाएं जो दोनों के लिए सुविधाजनक हो। बाद में आप नए-नए एक्सपेरिमंट कर सकते हैं और सेक्स के लिए अलग-अलग आसन अपना सकते हैं। </div><div><br /></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-weight: bold;"><span class="Apple-style-span" style="color: rgb(255, 255, 51);">हर रात सुहागरात है </span></span></div><div>माना कि सुहागरात मिलन की रात और ज़िंदगी में एक बार आती है। लेकिन अपने पार्टनर के साथ सेक्स करने का सुहागरात एक मात्र मौका नहीं है। सुहागरात तो सेक्सुअल संबंधों की शुरुआत की रात है। जैसे-जैसे वक्त बितेगा आप अपने पार्टनर को बेहतर तरीके से जान सकेंगे और उसकी सेक्सुअल नीड को समझ सकेंगे। इसलिए हर रात सुहागरात की तरह खास है। आपके मन में सेक्स के बारे में जो टेंशन है, उसे निकाल दीजिए और तनावमुक्त होकर अपने पार्टनर के साथ सेक्स कीजिए। </div><div><br /></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-weight: bold;"><span class="Apple-style-span" style="color: rgb(255, 255, 51);">क्या पहनें </span></span></div><div>पुराने जमाने में सुहागरात के मौके पर दुल्हन ट्रडिशनल ड्रेस पहनती थी और पति घूघंट उठाकर संबंधों की शुरुआत करता था। लेकिन आज के दौर में दुल्हन सुहागरात में सेक्सी परिधान पहनना पसंद करती हैं। पर पारंपरिक परिधान में जो चार्म है, वह सेक्सी गाउन या लॉन्जरी में नहीं है। इसलिए इस मौके पर ट्रडिशनल परिधान ही सही रहेगा, लेकिन खयाल रखें कि यह सेक्सी हो। </div><div><br /></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-weight: bold;"><span class="Apple-style-span" style="color: rgb(255, 255, 51);">गिफ्ट ज़रूरी है </span></span></div><div>गिफ्ट भी सुहागरात को यादगार बनाते हैं। घूंघट उठाने के वक्त गिफ्ट देने की रवायत रही है। इसलिए आप भी गिफ्ट दें, लेकिन यह थोड़ा हटकर होना चाहिए। आप रोमैंटिक हनीमून पैकिज़, सेक्सी ड्रेस और ग्लैमरस परिधान जैसे गिफ्ट दे सकते हैं।</div>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-88672861687553080072008-08-18T19:00:00.000-07:002008-08-18T19:34:19.165-07:00फीमेल कंडोम का प्रयोग कैसे करें<strong><span style="color:#ffff66;"><a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKopfknMMuI/AAAAAAAAA4Y/4KNmPAR4S1c/s1600-h/f1.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236043139152360162" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKopfknMMuI/AAAAAAAAA4Y/4KNmPAR4S1c/s200/f1.jpg" border="0" /></a>1.</span></strong>ध्यान से पैकेज खोलें, पैकेट में दाहिनी ओर बने खांचे की जगह से पैकेट को फाड़े, पैकेट को खोल ने के लिये कैंची या चाकू का प्रयोग न करें.<br /><br /><br /><br /><div><div><br /><div><br /><div><br /><br /><div><a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKopnV-gFAI/AAAAAAAAA4g/ktP-8Stcjag/s1600-h/f2.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236043272662553602" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKopnV-gFAI/AAAAAAAAA4g/ktP-8Stcjag/s200/f2.jpg" border="0" /></a> <strong><span style="color:#ffff33;">2.</span></strong>बाहरी रिंग योनि का बाहरी क्षेत्र कवर करती है तथा अंदरूनी रिंग संभोग के दौरान म्यान रूपी हिस्से को थामने का काम करती है.<br /><br /><br /><br /><br /><div><div><br /><a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKopsiMNKII/AAAAAAAAA4o/byHVeSB-zzw/s1600-h/f3.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236043361840605314" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKopsiMNKII/AAAAAAAAA4o/byHVeSB-zzw/s200/f3.jpg" border="0" /></a><strong><span style="color:#ffff33;">3.</span></strong>इसमें फीमेल कंडोम को अंदर डालने की तैयारी है. इसके लिय े कंडोम के भीतरी रिंग को जो कि काफी लचीला होता है उसे अंगूठे की बगल वाली तथा मध्यमा उंगली के बीच फंसा कर दबाएं. इससे रिंग संकरा और लंबा हो जाएगा.<br /><div><a href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKop8TazxqI/AAAAAAAAA4w/KEkNQe7JLjQ/s1600-h/f4.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236043632753231522" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKop8TazxqI/AAAAAAAAA4w/KEkNQe7JLjQ/s320/f4.jpg" border="0" /></a> <strong><span style="color:#ffff33;">4.</span></strong>रिंग को अंदर डालने के लिये अपनी सुविधानुसार आरामदायक पोजीशन चुन लें. इसके लिये खड़े होकर एक पांव उपर करके, बैठ कर या फिर लेटकर दोनो पांव फैला कर अंदर प्रवेश की क्रिया को अंजाम दे सकते हैं.<br /><br /><a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKotZFh2eEI/AAAAAAAAA5o/dDpxS6VUByY/s1600-h/f5.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236047425775761474" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKotZFh2eEI/AAAAAAAAA5o/dDpxS6VUByY/s200/f5.jpg" border="0" /></a><strong><span style="color:#ffff00;">5.</span></strong>अब भीतर ी रिंग को धीरे से योनि के अंदर डालें. तथा इसे अंदर तब तक डालते जाएं जब तक रिंग अंदर प्रवेश करा सके.<br /><div><strong><span style="color:#ffff33;"><a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKouQ6G3LuI/AAAAAAAAA5w/O8ZGbsQKD6Y/s1600-h/f6.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236048384782446306" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKouQ6G3LuI/AAAAAAAAA5w/O8ZGbsQKD6Y/s200/f6.jpg" border="0" /></a>6.</span></strong>रिंग के बाद कंडोम के अंदर तर्जनी अंगुली डाल कर भीतरी रिंग को अंदर ढकेलना शुरू करें. इसे तब तक अंदर करें जब तक कि कंडोम अपनी गहराई तक न पहुंच जाए साथ ही उसमें मरोड़ न आने लगे. इस दौरान बाहरी रिंग योनि के बाहरी हिस्से में ही रहे<br /><br /><div><br /></div><br /><div></div><br /><div><a href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqQd0TY9I/AAAAAAAAA5I/V8qaHngyblw/s1600-h/f7.jpg"></a></div><br /><div><strong><span style="color:#ffff33;"><a href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqQd0TY9I/AAAAAAAAA5I/V8qaHngyblw/s1600-h/f7.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236043979141899218" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqQd0TY9I/AAAAAAAAA5I/V8qaHngyblw/s200/f7.jpg" border="0" /></a>7.</span></strong>अब फीमेल कंडोम स्थापित हो चुका है तथा आपके पार्टनर के साथ प्रयोग के लिये तैयार है..<br /><br /></div><div> </div><div> </div><div> </div><div> </div><div><br /> </div><div></div><div></div><div></div><div></div><div></div><div></div><div><strong><span style="color:#ffff33;"><a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqWlxJLAI/AAAAAAAAA5Q/J0SZxNF5T88/s1600-h/f8.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236044084355345410" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqWlxJLAI/AAAAAAAAA5Q/J0SZxNF5T88/s200/f8.jpg" border="0" /></a>8.</span></strong>जब आप सेक्स के लिये तैयार हों तब पार्टनर के शिश्न को दिशा दें. इसके लिये एक हाथ की उंगलियों से कंडोम को आधार देते हुए दूसरे हाथ से लिंग को कंडोम के द्वार तक लाकर प्रवेश सुनिश्चित करें. तथा यह ध्यान दें कि शिश्न एक बार सही तरीके से अंदर तक चला जाए तथा कंडोम लिंग व योनि के बीच दीवार की तरह फिट हो जाए. </div><div></div><div></div><div></div><div><br /><a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqdKvxpYI/AAAAAAAAA5Y/NVwRbf4Zzqs/s1600-h/f9.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236044197360936322" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqdKvxpYI/AAAAAAAAA5Y/NVwRbf4Zzqs/s200/f9.jpg" border="0" /></a><strong><span style="color:#ffff33;">9.</span></strong>सेक्स पूर्ण होने के उपरांत कंडोम निकालें. इसके लिये बाहरी रिंग को घुमाते हुए धीरे से कंडोम को बाहर खींचे. </div><div> </div><div> </div><div> </div><div> </div><div> </div><div><br /><br /> </div><div></div><div></div><div></div><div></div><div></div><div></div><div><div><a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqiu-9w_I/AAAAAAAAA5g/IxVXhDBbJWU/s1600-h/f10.jpg"></a></div><div><a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqiu-9w_I/AAAAAAAAA5g/IxVXhDBbJWU/s1600-h/f10.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5236044292987667442" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqiu-9w_I/AAAAAAAAA5g/IxVXhDBbJWU/s200/f10.jpg" border="0" /></a></div><strong><span style="color:#ffff33;">10.</span></strong>बाहर निकालने के पश्चात उसे मोड़ कर या बांध कर डस्टबिन या उचित जगह पर निस्तारित करें. </div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div><a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKoqiu-9w_I/AAAAAAAAA5g/IxVXhDBbJWU/s1600-h/f10.jpg"></a></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div><br /><div></div></div></div></div></div></div></div></div></div></div>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-84498126144257219292008-08-16T18:06:00.000-07:002008-12-11T03:50:46.909-08:00संवेदनशील कामुक स्पाटक्या आपको तलाश है अपने - या अपने पार्टनर की उत्तेजना को और तेज करने के रास्ते <a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/RfkJ4vmMgAI/AAAAAAAAAH0/VsgWNGpJooA/s1600-h/g1.JPG"></a>की? यदि हां तो यहां हम दें रहे हैं आपकी तलाश को एक रास्ता. महिला के जननांगों में शामिल योनि मार्ग और उसे घेरे हुए भगोष्ठ क्षेत्र में कामुक संवेदना के चार छोटे-छोटे केन्द्र होते हैं. जो कि महिला के उत्तेजना की स्थिति में लाने में कामुकता की दृष्टि से काफी संवेदनशील होते हैं. और ये चार केन्द्र हैं भगशिश्न (clitoris), यू-स्पॉट, जी-स्पॉट और ए-स्पॉट. इनमें से पहले दो योनि से बाहर हैं और बाद के दो योनि के अंदर.<br /><br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">भगशिश्न(Clitoris)</span></strong><br />यह महिला जननांग के सर्वश्रेष्ठ ज्ञात हॉट स्पॉट के रुप में जाना जाता है, <a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKd6iprIbrI/AAAAAAAAA3g/XxxP5MtWZdQ/s1600-h/anatomy.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5235287827562393266" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; CURSOR: hand" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKd6iprIbrI/AAAAAAAAA3g/XxxP5MtWZdQ/s200/anatomy.JPG" border="0" /></a>जो कि भग के शी<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SGqv3e6hV5I/AAAAAAAAAtc/KxFy_cm1JhI/s1600-h/anatomy.JPG"></a>र्ष पर स्थित होता है. इसी स्थान पर आन्तरिक भगोष्ठ बाह्य भगोष्ठ से जुड़ता है. इसका दृश्य भाग काफी छोटा तथा निप्पल के आकार का होता है. महिलाओं में यह पुरुष के लिंग के अगले सिरे के समकक्ष होता है. यह आंशिक रूप से सुरक्षा कवच(protective hood) से ढंका होता है. मूल रूप से यह 8000 तंत्रिका तंतुओं (nerve fibres) का बंडल होता है, जो कि इसे महिला के शरीर का सबसे संवेदनशील अंग बनाती है. यह विशुद्ध रूप से यौन कार्य के लिये ही है. यह मैथुन क्रिया के दौरान दीर्घ (बड़ी, फूली हुई ,तनी हुई) तथा ज्यादा संवेदनशील हो जाती है. फोरप्ले के दौरान अक्सर यह सीधे छूने मात्र से ही उत्तेजित हो जाती है. दूसरी ओर वे महिलाएं जो योनि संभोग से पूर्ण कामोत्तेजना को नहीं पाती है वे इसे भगशिश्न उत्तेजना (विभिन्न तरीकों व माध्यमों) से जल्दी पा लेती हैं. हाल ही में एक आस्ट्रेलियन सर्जन ने बताया बताया कि इसका जितना आकार दिखाई देता है हकीकत में यह उससे काफी बड़ा है. इसका काफी कुछ हिस्सा सतह के नीचे छिपा हुआ है. इसका जो हिस्सा दिखाई देता है वह नोंक मात्र है. अंदर इसकी लंबाई इसके नीचे से - छड़ नुमा - योनि द्वार तक के बराबर होती है. इस तरह जैसे ही योनि में शिश्न की हरकत होती है तो यह सख्ती से संदेश भेजती है. इसलिये योनि संभोग के दौरान भले ही भगशिश्न (clitoris) को नहीं छूते फिर भी वह उत्तेजना के अनुरूप उठाव में आ जाती है. कई महिलाओं का कहना है कि जब इसमें एक लयबद्ध घर्षण होता है तो वह फंतासी के काफी करीब तक पहुंच जाती है. इस लिये महिला को कामोन्माद की चरम अवस्था तक पहुंचाने के लिये इस अंग की प्रभावी भूमिका होती है जिसकी कई बार पुरुष अवहेलना कर देते हैं या फिर इस ओर ध्यान नहीं देते हैं.<br /><br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">यू-स्पॉट(U-Spot)</span></strong><br />यह संवेदनशील, उत्तेजित होने योग्य उत्तकों का छोटा सा पैच होता है जो कि मूत्र द्वार के ऊपर और दोनो ओर पाया जाता है लेकिन यह मूत्र मार्ग के नीचे(जो कि मूत्रद्वार व योनिद्वार के बीच का छोटा हिस्सा होता है) नहीं पाया जाता है. हालांकि इसके बारे में अभी भगशिश्न से कम ही जानकारी हो पाई है. अभी इसकी कामुक क्षमता के बारे में अमेरिका के चिकित्सीय अनुसंधानकर्ता जांच कर रहे हैं. अब तक की जांच में उन्होंने पाया है कि यदि इस क्षेत्र को धीरे-धीरे उंगली, जीभ या शिश्न के सिरे की सहायता से सहलाया(caresse) जाय तो वहां अप्रत्याशित रूप से शक्तिशाली कामुक प्रतिक्रिया होती है.<br /><br /><blockquote>वहीं दूसरी महिला के मूत्रमार्ग के विषय में एक बात और है जो काफी उल्लेखनीय है वह है महिला स्खलन(female ejaculation). पुरुष के मामले में मूत्रनलिका से ही मूत्र और शुक्राणु मिश्रित वीर्य बाहर आता है. लेकिन महिलाओं के मामले में माना जाता है कि वे सिर्फ मूत्र उत्सर्जन ही करती हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. जब कोई असामान्य रूप से शक्तिशाली संभोग करता है तो कुछ महिलाएं अपने मूत्रमार्ग से एक द्रव छोड़ती है लेकिन यह द्रव मूत्र नहीं होता है.</blockquote>दरअसल मूत्रनलिका के चारों ओर कुछ विशेष ग्रंथियां होती हैं. जिन्हें स्कीनी(skene) ग्रंथि<a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKd6vcyLD9I/AAAAAAAAA3o/4HoTBsuNlfI/s1600-h/Skenes_gland.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5235288047440564178" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; CURSOR: hand" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKd6vcyLD9I/AAAAAAAAA3o/4HoTBsuNlfI/s200/Skenes_gland.jpg" border="0" /></a>यां <a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SGqwHdMiRCI/AAAAAAAAAtk/UpgXIUh8Sz8/s1600-h/300px-Skenes_gland.jpg"></a>या अ<a href="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SGqosSAqXJI/AAAAAAAAAtU/JTAL2sxjIxc/s1600-h/300px-Skenes_gland.jpg"></a>र्ध मूत्रमार्ग (para-urethral) ग्रंथियां कहते हैं(देखें चित्र) जो कि पुरुष की प्रोस्टेट ग्रंथियों के ही समान होती है. ये ग्रंथियां चरम उत्तेजना के दौरान तरल रासायनिक क्षारीय(alkaline) द्रव का उत्पादन करती हैं जो पुरुष वीर्य संबंधी द्रव के समान ही होता है. वे महिलाएं जो ऐसे स्खलन(जो कुछ बूंद या कुछ चम्मच के बराबर हो सकता है) का अनुभव रखती हैं उन्हे चरम उत्तेजना के क्षणों में अत्यधिक पेशीय थकान की अनुभूति होती है. इस सामान्य शरीरक्रिया विज्ञान को न समझने की वजह से वे इसे अनैच्छिक पेशाब की भी संज्ञा दे देती है या कई बार वे इसे पेशाब की अनुभूति भी कह सकती है. कई बार तो कुछ अज्ञान चिकित्सकों ने भी इस घटना की जानकारी न होने पर अप्रत्याशित तरीके से इलाज की भी सलाह दे डाली तो कुछ पुरुष इस स्खलन से यह कहकर घृणा करते हैं कि उस की पार्टनर सेक्स के दौरान पेशाब करती है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस स्खलन का तात्पर्य क्या है या इसके मूल्य क्या हैं. हालांकि कुछ लोग इसे योनि स्नेहन(lubrication) जोड़ते जबकि हकीकत में यह क्रिया योनि दीवारों द्वारा स्वयं की जाती है. हम तो इसे यौन क्रिया के चरम में इसे महिला की एक तरल फंतासी मानते हैं जो यौन क्रिया को उत्सकर्ष के अत्यधिक समीप ले जाती है.<br /><br /><strong><span style="color:#ffff66;">जी-स्पॉट(G-Spot)</span></strong><br />यह योनि के अन्द<a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SG64jHLV4fI/AAAAAAAAAts/jWZeu0q2dvs/s1600-h/gspot.jpg"></a>र की<a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKd64ngmd3I/AAAAAAAAA3w/gsFZxBSlVrs/s1600-h/gspot.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5235288204938475378" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKd64ngmd3I/AAAAAAAAA3w/gsFZxBSlVrs/s320/gspot.jpg" border="0" /></a> ओर ऊपरी दीवार पर 5-8से.मी.(2-3इंच) की गहराई में पाया जाने वाला छोटा लेकिन काफी संवेदनशील क्षेत्र होता है. इसकी खोज प्रसिद्ध जर्मन स्त्री रोग विशेषज्ञ अर्नस्ट ग्रेफेनबर्ग ने की थी. सन् 1940 में जब महिला संभोग की प्रकृति पर अनुसंधान चल रहा था तब पाया गया कि योनि के उपर की ओर मूत्र नलिका उत्तेजित होने योग्य उत्तकों से घिरी हुई है यह ठीक उसी तरह का व्यवहार करती है जिस तरह पुरुष का शिश्न. जब महिला सेक्सुअली उत्तेजित हो जाती है तब ये ऊत्तक फूलने लगते हैं. ऊत्तकों का यही विस्तार योनि के अंदर उपरी दीवार पर छोटे पैच के रूप में समझ में आता है जिसे जी-स्पॉट के नाम से जाना जाता है. ग्रेफेनबर्ग ने इसी उठे हुए पैच को प्राथमिक कामुक क्षेत्र की संज्ञा दी तथा बताया कि उत्तेजना के मामले में यह भगशिश्न(clitoris) से ज्यादा संवेदनशील है. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब लोग यौन व्यवहार के लिये 'मिशनरी पोजीशन' अपनाते हैं तो यह स्पॉट अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाता है लेकिन अन्य कई सेक्स पोजीशन इस कामुकतायुक्त क्षेत्र को उत्तेजित करने और चरमोत्कर्ष पाने में काफी प्रभावी होती है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इसके खोजकर्ता ग्रेफेनबर्ग स्वयं इस क्षेत्र का प्रयोग नहीं कर पाये उन्होंने बस इस क्षेत्र को 'कामुक क्षेत्र' मात्र घोषित किया था.हालांकि यह काफी बेहतर वर्णन योग्य क्षेत्र है लेकिन दुर्भाग्य से आज के इस मार्डन युग में इसके काफी लोकप्रिय हो जाने से कई गलतफहमियां भी इसके साथ जुड़ गईं हैं. कुछ महिलाएं इसके अस्तित्व पर आशावादी तरीके से विश्वास करती है तो कुछ का मानना है कि जबर्दस्त कामाग्नि पैदा करने के लिये यह एक 'सेक्स बटन' है जिसे किसी भी समय स्टार्टर बटन की तरह प्रयुक्त किया जा सकता है. वहीं कई का यह भी मानना है कि जी-स्पॉट की पूरी अवधारणा ही गलत है. जबकि सच्चाई पूर्व में ही स्पष्ट की जा चुकी है कि जी- स्पॉट कामुकता से भरा वह क्षेत्र है जो धीरे से तभी निकलता है जब मूत्र नलिका के चारों ओर के ऊत्तकों में फूलने से विस्तार होता है. जी-स्पॉट के अस्तित्व को उसकी पहली ही कान्फ्रेंस में कई शीर्ष स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा नकार दिया गया था लेकिन बाद में जब इसका विस्तार से प्रदर्शन के साथ वर्णन किया गया तो आगे जाकर इस विशेषज्ञों ने भी जी-स्पॉट के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया. यह माना जाता है कि जी स्पॉट योनि की फ्रंट दीवार पर पाया जाता है जो प्यूबिक बोन और गर्भद्वार के मध्य में होता है. इस पर प्रहार करने के लिये, इसको खोजने का सरलतम तरीका होगा कि इसे गर्भद्वार की ओर से शुरू करें. इसका संरचनात्मक अनुभव नाक के अगले सिरे (tip of nose ) की तरह होता है. फिर धीरे-धीरे योनि की अग्र दीवार से होते हुए नीचे की ओर आएं. उत्तेजना के दौरान यह फूला रहता है, यह पहचान इसकी खोज में सहायक होती है. कुछ लोग इसे कुछ ज्यादा स्पंजी क्षेत्र के रूप में अनुभव करते हैं और जब इस पर प्रहार किया जाता है तो वह अत्यंत आनंददायी होता है. लेकिन ऐसा अनुभव सभी महिलाओं के प्रति नहीं रहा. कुछ ने तो इस पर प्रहार के दोरान पेशाब जाने की इच्छा भरी सनसनाहट का अनुभव किया वहीं कुछ महिलाएं इस क्षेत्र को लेकर भावशून्य रहीं. वहीं कुछ महिलाएं जी स्पाट उत्तेजना के दौरान एक रंगहीन गंधहीन द्रव स्खलन करते भी पाईं गईं. कुछ रिसर्च के दौरान पाया गया कि इस द्रव में प्रोस्टैटिक एन्जाइम पाए गये हैं इस आधार पर यह माना गया कि यह प्रोस्टेट के समतुल्य है.<br /><br /><span style="color:#33ffff;"></span><br /><span style="color:#33ffff;">शेष ए-स्पॉट पर जानकारी अगले दिनों में...</span>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-87282952333914673242008-08-13T23:58:00.000-07:002008-08-18T02:41:01.141-07:00सेक्स क्या में चैट सुविधा शुरूसेक्स क्या <a href="http://www.sexkya.com/">http://www.sexkya.com/</a> में पाठकों की सुविधा के मद्देनजर चैट बाक्स की सुविधा प्रारंभ कर दी है. इसमें वे ब्लाग से संबंधी सुझाव तो दे ही सकते हैं इसके अलावा वे अपने सवाल भी यहां उठा सकते हैं. आशा है यह सुविधा सेक्स क्या के पाठकों को काफी पसंद आएगी.Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-39920114994823465322008-08-12T14:22:00.000-07:002008-11-25T02:59:55.462-08:00शीघ्रपतन की हकीकत<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKIAHF1mZdI/AAAAAAAAA1s/rrDDE5Bijqg/s1600-h/ejuculation.jpg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; FLOAT: left; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5233745838784013778" border="0" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKIAHF1mZdI/AAAAAAAAA1s/rrDDE5Bijqg/s200/ejuculation.jpg" /></a>सेक्स क्रिया में मानवों के बीच शीघ्रपतन नामक शब्द काफी अहमियत रखता है. यदि इस शब्द की शाब्दिक व्याख्या करें तो शीघ्र गिर जाने को शीघ्रपतन कहते हैं। लेकिन सेक्स के मामले में यह शब्द वीर्य के स्खलन के लिए, प्रयोग किया जाता है। पुरुष की इच्छा के विरुद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाए, स्त्री सहवास करते हुए संभोग शुरू करते ही वीर्यपात हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात होना रोक न सके, अधबीच में अचानक ही स्त्री को संतुष्टि व तृप्ति प्राप्त होने से पहले ही पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाना या निकल जाना, इसे शीघ्रपतन होना कहते हैं। इस व्याधि का संबंध स्त्री से नहीं होता (<a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKIBTASFxWI/AAAAAAAAA10/a-1knw6RGl4/s1600-h/sex.jpg"></a>क्योंकि स्त्रियों में स्खलन की क्रिया नहीं पायी जाती), यह<a href="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKIBt3AiTVI/AAAAAAAAA18/ZDWQ8yrkStA/s1600-h/sex.jpg"><img style="MARGIN: 0px 0px 10px 10px; FLOAT: right; CURSOR: hand" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5233747604329876818" border="0" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SKIBt3AiTVI/AAAAAAAAA18/ZDWQ8yrkStA/s400/sex.jpg" /></a> पुरुष से ही होता है और यह व्याधि सिर्फ पुरुष को ही होती है। शीघ्र पतन की सबसे खराब स्थिति यह होती है कि सम्भोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। सम्भोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानी कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए, इसका कोई निश्चित मापदण्ड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है। वीर्यपात की अवधि स्तम्भनशक्ति पर निर्भर होती है और स्तम्भन शक्ति वीर्य के गाढ़ेपन और यौनांग की शक्ति पर निर्भर होती है। स्तम्भन शक्ति का अभाव होना शीघ्रपतन है। बार-बार कामाग्नि की आंच (उष्णता) के प्रभाव से वीर्य पतला पड़ जाता है सो जल्दी निकल पड़ता है। ऐसी स्थिति में कामोत्तेजना का दबाव यौनांग सहन नहीं कर पाता और उत्तेजित होते ही वीर्यपात कर देता है। यह तो हुआ शारीरिक कारण, अब दूसरा कारण मानसिक होता है जो शीघ्रपतन की सबसे बड़ी वजह पाई गई है। एक और लेकिन कमजोर वजह और है वह है हस्तमैथुन. हस्तमैथुन करने वाला जल्दी से जल्दी वीर्यपात करके कामोत्तेजना को शान्त कर हलका होना चाहता है और यह शान्ति पा कर ही वह हलकेपन तथा क्षणिक आनन्द का अनुभव करता है। इसके अलावा अनियमित सम्भोग, अप्राकृतिक तरीके से वीर्यनाश व अनियमित खान-पान आदि। शीघ्रपतन की बीमारी को नपुंसकता श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि यह बीमारी पुरुषों की मानसिक हालत पर भी निर्भर रहती है। मूलरूप से देखा जाय तो 95 फीसदी शीघ्रपतन के मामले मानसिक हालत की वजह से होते हैं और इसके पीछे उनमें पाई जाने वाली सेक्स अज्ञानता व शीघ्रपतन को बीमारी व शीघ्रपतन से संबंधी बिज्ञापन होते हैं. कई बार तो इन विज्ञापनों से वीर्य स्खलन का समय इतना अधिक बता दिया जाता है जो मानव शक्ति से काफी परे होता है मसलन 20 मिनट से आधे घंटे तो कई बार इससे भी ज्यादा जबकि वर्तमान शोधों से पता चला है स्खलन का सामान्य समय तीन से चार मिनट का होता है.<br />कई युवकों और पुरुषों को मूत्र के पहले या बाद में तथा शौच के लिए जोर लगाने पर धातु स्राव होता है या चिकने पानी जैसा पदार्थ किलता है, जिसमें चाशनी के तार की तरह लंबे तार बनते हैं। यह मूत्र प्रसेक पाश्वकीय ग्रंथि से निकलने वाला लसीला द्रव होता है, जो कामुक चिंतन करने पर बूंद-बूंद करके मूत्र मार्ग और स्त्री के योनि मार्ग से निकलता है, ताकि इन अंगों को चिकना कर सके। इसका एक ही इलाज है कि कामुकता और कामुक चिंतन कतई न करें। एक बात और पेशाब करते समय, पेशाब के साथ, पहले या बीच में चूने जैसा सफेद पदार्थ निकलता दिखाई देता है, वह वीर्य नहीं होता, बल्कि फास्फेट नामक एक तत्व होता है, जो अपच के कारण मूत्र मार्ग से निकलता है, पाचन क्रिया ठीक हो जाने व कब्ज खत्म हो जाने पर यह दिखाई नहीं देता है। धातु क्षीणता आज के अधिकांश युवकों की ज्वलंत समस्या है। कामुक विचार, कामुक चिंतन, कामुक हाव-भाव और कामुक क्रीड़ा करने के अलावा खट्टे, चटपटे, तेज मिर्च-मसाले वाले पदार्थों का अति सेवन करने से शरीर में कामाग्नि बनी रहती है, जिससे शुक्र धातु पतली होकर क्षीण होने लगती है।<br />दरअसल सेक्स के दौरान शीघ्रपतन होना एक सामान्य समस्या है। यह समस्या अधिकांशत: युवाओं के बीच कहते-सुनते देखा जा सकता है। एक अमेरिकी सर्वे के अनुसार दुनिया की 43 फीसदी महिलाएं और 31 प्रतिशत पुरूष शीघ्रपतन की समस्या के शिकार हैं। हालांकि यह समस्या गर्भधारण या जनन के लिए बाधा उत्पन्न नहीं करती है, फिर भी यह एक स्वस्थ शरीर और अच्छे व्यक्ितत्व के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।इस समस्या से ग्रसित व्यक्ित के स्वभाव में सबसे पहले परिवर्तन आता है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि इस परेशानी की वजह से पीडि़त व्यक्ित का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। वह अक्सर सिरदर्द जैसे शारीरिक समस्याओं से भी ग्रसित हो सकता है या कुछ समय के बाद सेक्स में अरूचि भी आ जाने की संभावना रहती है। इसके अलावा शारीरिक दुर्बलता भी हो सकती है।आज भी बहुत से लोग इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जो लेते भी हैं वह इस समस्या को किसी के सामने रखने से डरते हैं। एक आकलन के अनुसार पुरूष का संभोग समय औसतन तीन मिनट का होता है। कुछ लोग दस मिनट तक संभोगरत रहने के बाद खुद को इस समस्या से बाहर मानते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। इसके बरक्स अगर आप एक दूसरे को संतुष्ट करने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं तो यह शीघ्रपतन माना जाता है। यह समस्या असाध्य नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से इसके उपचार को लेकर लोगों में अनेक तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। जबकि सेक्स के कुछ तरीकों में परिवर्तन करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। सबसे पहले तो इस समस्या को भी एक आम शारीरिक परेशानी की तरह लें।<br />सेक्स के दौरान चरम पर आने से पहले सेक्स के विधियों में बदलाव करें। मसलन आप मुखमैथुन, गुदामैथुन आदि की ओर रूख कर सकते हैं। इसके बाद भी अपनी अवस्थाओं को बदलते रहने का प्रयास करते रहें। सेक्स के दौरान कुछ देर तक लंबी सांस जरूर लें। यह प्रक्रिया शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करती है। आपको मालूम होना चाहिए कि एक बार के सेक्स में करीब 400 से 500 कैलोरी तक ऊर्जा की खपत होती है। इसलिए अगर संभव हो सके तो बीच-बीच में त्वरित ऊर्जा देने वाले तरल पदार्थ जैसे ग्लूकोज, जूस, दूध आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आपसी बातचीत भी आपको स्थायित्व दे सकता है। ध्यान रखें, संभोग के दौरान इशारे में बात न करके सहज रूप से बात करें।डर, असुरक्षा, छुपकर सेक्स, शारीरिक व मानसिक परेशानी भी इस समस्या का एक कारण हो सकती है। इसलिए इससे बचने का प्रयत्न करें। इसके अलावे कंडोम का इस्तेमाल भी इस समस्या के निजात के लिए सहायक हो सकता है। समस्या के गंभीर होने पर आप किसी अच्छे सेक्सोलॉजिस्ट से सलाह ले सकते हैं।<br /><span style="color:#ffccff;">शीघ्रपतन से बचाव का सबसे बेहतर तरीका है कि आप अपने दिमाग से यह निकाल दें कि आप शीघ्रपतन के शिकार हैं और शीघ्रपतन कोई बीमारी है. शुरुआती दौर में अस्सी फीसदी लोग संभोग के दौरान शीघ्रपतन का शिकार होते है. इसलिये इसे बीमारी के रूप में न लें न ही विज्ञापनों से भ्रमित हों.<br /></span>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-50110280725969786602008-07-21T17:23:00.000-07:002008-12-11T03:50:47.666-08:00सेक्स के जादुई आनंद का बटनकई लोगों ने यह जानना चाहा है कि संभोग के पूर्व क्या किया जाना बेहतर हो सकता है. प्रस्तुत है सेक्स के जादुई आनंद का बटन <span style="color:#ffccff;"><a href="http://www.sexkya.com/2007/01/blog-post_13.html">भगशिश्न(clit)</a></span>:<br /><span class=" transl_class" title="Click to correct">यह</span> महिला के लिये सेक्स के जादुई आनंद का बटन है. भगशिश्न मूलतः पुरुष के शिश्न की ही तरह है लेकिन आकार में काफी छोटा है. यदि इसे सही तरीके से सहलाया जाता है तो यह महिला काफी ज्यादा आनंद व उत्तेजना प्रदान करता है. महिला के शरीर में भगशिश्न ही ऐसी इकलौती इन्द्रिय है जिसका एकमात्र कार्य सेक्स आनंद है। यह लगभग 1 सेमी. लंबी होती है तथा योनि द्वार के ऊपर पायी जाती है. <img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5225629919282434514" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SIUquZp7kdI/AAAAAAAAAz8/TiGCebMOhOg/s200/clit.jpg" border="0" /><br /><span class=" transl_class" id="1" title="Click to correct">शिश्न</span> की ही तरह, भगशिश्न की भी अग्र त्वचा(foreskin) और एक दंड(shaft) होता है. लेकिन भगशिश्न को सहलाने के कई तरीके होते हैं. जो कि हर महिलाओं में अलग-अलग होते हैं. इसके लिये आपको स्वयं तलाशना होगा कि कौन सा तरीका आपकी महिला पार्टनर के लिये सबसे बेहतर हो सकता है. सबसे सही और शीघ्रता वाला तरीका तो यही है कि उसे कहें कि वह स्वयं अपने भगशिश्न को सहला कर बताए, फिर आप उसके तरीके की नकल कर लें. कई महिलाएं तो भगशिश्न को सहला कर ही हस्तमैथुन की क्रिया को अंजाम देती हैं। इसी दौरान आपको देखना होगा कैसे वह परम आनंद की ओर जाती है। लेकिन कई महिलाएं इस तरीके से हस्तमैथुन नहीं करती तो कई महिलाएं आपके सामने इस क्रिया को अंजाम नहीं देना चाहती. इन परिस्थितियों में उसकी उत्तेजना के बारे में जानने के लिये आपको कई प्रयोग करने होंगे. इसके लिये आपको उसके भग शिश्न को विभिन्न तरीकों से सहलाना होगा.<br /><span class=" transl_class" title="Click to correct">यहां</span> यह ध्यान रखे कि सीधे आप उसके भगशिश्न तक न पहुंचे. हमेशा लैंगिक उत्तेजना की शुरुआत उसके शरीर से खिलवाड़(foreplay) द्वारा करके उसे जमकर सताएं. इसके बाद जब उसके भगशिश्न के पास पहुंचे तो उसके चारों ओर के क्षेत्र की मालिश करें या मसले. यह क्रिया उसके भगशिश्न में पर्याप्त मात्रा में रक्त भर देगी(शिश्न की तरह). इसके पश्चात भगशिश्न सीधे तरीके से खिलवाड़ के लिये तैयार होगी.<br /><blockquote><span style="color:#ffff99;">अभ्यास 1: भगशिश्न के चारों ओर खिलवाड़</span><br />उसके भगशिश्न के चारों ओर अंगमर्दन(Massage) करें: मसलन जांघे, उदर(पेट), कूल्हे. अंगमर्दन की यह क्रिया आहिस्ता-आहिस्ता भगशिश्न के निकट करते जाएं. अंगमर्दन द्वारा भगशिश्न के चारों ओर एक घेरा बनाएं लेकिन भगशिश्न को छुएं नहीं. इस क्रिया को कुछ मिनटों तक दोहराते रहें. अब जब आप उसके भगशिश्न तक पहुंचे तो अपनी एक उंगली के सिरे का उपयोग करें. उंगली द्वारा भगशिश्न को काफी हल्के से वृत्ताकार घेरे में रगड़े, फिर ऊपर नीचे की दिशा अपनाएं फिर बाएं व दाएं की दिशा के अनुसार उंगली से सहलाएं. यह सब इसपर निर्भर करता है कि उंगली की किस हरकत को महिला ज्यादा तरजीह देती है. क्योंकि हर महिला व हर भगशिश्न अलग प्रवृत्ति की होती है. लेकिन सामान्य तौर पर पहली हरकत काफी हल्के स्पर्श या छुअन के रुप में होनी चाहिए.<br /><br /><span style="color:#ffff99;">अभ्यास 2: भगशिश्न से खिलवाड़</span><br />जब आप निश्चित हो जाएं कि वह तैयार हो गई है तो आप अपनी उंगली के अग्रभाग को उसके भगशिश्न पर ले जाएं. यह तब ज्यादा आसान होगा जब उसके पांव फैले हों. अब उसके भगशिश्न को काफी हल्के तरीके से सहलाना शुरू करें. सबसे पहले गोलाई में सहलाएं फिर अन्य दिशाओं में भी प्रयत्न करें. साथ ही उससे पूछे कि वह किस स्थिति को ज्यादा पसंद कर रही है. <img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5225630048665710882" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; CURSOR: hand; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://2.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SIUq17pTsSI/AAAAAAAAA0E/ZewZkoYrKLY/s200/clit2.jpg" border="0" /></blockquote><br />इसके अलावा सबसे अच्छा तरीका है कि उसके भगशिश्न को उस तरह सहलाया जाए जिस तरीके से वह हस्तमैथुन करती है. इसके लिये उससे पूछे या उसे करके दिखाने को कहें. यदि वह कोई प्रस्ताव या सलाह देती है तो उसे स्वीकार करें. यहां यह जरूर ध्यान रखें जब भी आप उसके भगशिश्न के समीप जाएं अपने नाखून काट कर रखें या काफी छोटे रखें. भगशिश्न की कोमलता की वजह से लंबे और तीखे नाखून छिलने या कटने का कारण बन सकते हैं. इतना कुछ करने के बाद भी आप प्रतिपुष्टि (feedback) नहीं पा रहे हैं तो समझे कि आप निश्चित तौर पर उसके भगशिश्न को गलत तरीके से सहला रहे हैं(यह न भूले कि कभी कभी जो चीज किसी व्यक्ति के लिये सही होती है वही दूसरे के लिये गलत भी हो सकती है).<br />यहां यह भी जानने योग्य है कि आप यदि गलत कर रहें हैं तो भी वह आपसे नहीं कहेगी. इसलिये आपको ही अपने अंदाज से उससे पूछना पड़ेगा कि किस तरीके से सहलाने पर उसे आनंद की प्राप्ति ज्यादा होती है. यदि एक बार आपने सही तरीका पा लिये तो उसे आप बेहतरीन सेक्स आनंद का लाभ दे सकते हैं और उसकी उत्तेजना को शिखर तक पहुंचा सकते हैं.Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-9054823595035214882008-06-03T09:38:00.000-07:002008-12-11T03:50:47.876-08:00सेक्स उन्मुख बॉडी लैंग्वेजबातें वही होती है जो मुंह से बोली या सुनी जाती हैं लेकिन कुछ ऐसी भी बातें है जो देख कर समझी जाती हैं और वह है शरीर की भाषा(बॉडी लैंग्वेज). दरअसल शरीर की भाषा वह भाषा है जो कभी गलत नहीं होती क्योंकि शरीर की भाषा रूपी संदेश अंजाने ही स्वतः भेजे जाते हैं. लेकिन इसे समझना इतना आसान भी नहीं है. यहां यह भी जान ले कि एक ही समय में महिलाएं पुरुषों की तुलना में पांच गुना अधिक शरीर की भाषा व भाव<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SEV05G53ScI/AAAAAAAAApY/cG7BxxCEVPM/s1600-h/flirting_legs.jpg"></a> संदेश भेजती हैं. सेक्स क्या में हम यह बताने जा रहे हैं कि किस तरीके से किसी महिला या पुरुष के हाव भाव के अनुरूप आप यह जान सकते हैं कि उसकी रुचि सेक्स में हैं<br />या फिर किसी और में. हालांकि यहां पर हम सेक्स अभिरुचि मात्र से संबंधित शारीरिक भाषा संदेशों के बारे में नहीं बताएंगे बल्कि उससे संबंधित सभी संदेशों को बताने का प्रयास करेंगे. हमने शारीरिक संकेतों के संकलन की कोशिश की है यदि आप के पास भी कुछ ऐसे ही शरीर की भाषा से संबंधित संकेतों की जानकारी है तो मुझे मेल करें (<a href="mailto:sharmarama2000@yahoo.com">sharmarama2000@yahoo.com</a>)<br />शरीर विज्ञान के जानकारों का कहना है कि यौन हितों से संबंधित मामलों में शरीर की भाषा के बहुत ही प्रभावी परिणाम हो सकते हैं. ज्यादातर शरीर भाषा विज्ञानियों का कहना है कि एक महिला आसानी से अपनी शारीरिक भाषा की सहायता से पुऱुषों को अपनी ओर उकसा या बहका सकती है. इसकी वजह है कि एक ही समय अवधि में महिला पुरुषों की तुलना में पांच गुना अधिक शारीरिक भाषा व भाव संदेशों को भेज सकती हैं. यहां काफी संख्या में महिलाओं द्वारा दिये जाने वाले शारीरिक भाषा के संकेत हैं जो पुरुषों की सेक्सुअल सहज वृत्ति को बढ़ा सकते हैं. शोध द्वारा पता चला है कि कई बार शरीर से निकले संकेत अनजाने में ही बाहर आ गये हैं जिन्हे जानकार ही समझ सकते हैं तो कई बार कुछ जानकार लोग जानबूझ कर कुछ उद्देश्य पूर्ण संकेत देते हैं. यहां अनजाने ही स्वतः रुप से बाहर निकले शारीरिक संदेशों पर चर्चा करेंगे क्योंकि वही हकीकत के काफी निकट होते हैं.<br /><br />सामान्य तौर पर किसी महिला का बल पूर्वक अपने पैरों को लपेटना(पुरुष<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SEV1A3dg80I/AAAAAAAAApg/123GbOBGvcY/s1600-h/flirting_legs.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5207697201872040770" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SEV1A3dg80I/AAAAAAAAApg/123GbOBGvcY/s200/flirting_legs.jpg" border="0" /></a> सामान्य तौर पर ऐसा नहीं करते क्योंकि उनके कूल्हे महिलाओं की अपेक्षा काफी संकीर्ण होते हैं) किसी पुरुष का ध्यान अपनी ओर आसानी से खींच सकता है. जिसका आशय यह निकल सकता है कि वह काफी रक्षात्मक मुद्रा में है तथा पुरुष से यौन संबंध के लिये रास्ते बंद का संकेत है. हालांकि उसकी कसी या तनी हुई पांवों की मांसपेशियां किसी पुरुष के लिये काफी अपीलिंग होती है लेकिन यह उस पुरुष के लिये काफी उलझन भरा चैलेंज होता है और बेहतर है उससे दूर रहा जाए.<br /><span style="color:#ffff99;"><strong>अगले दिनों में अन्य बॉडी लैंग्वेज की जानकारी देते रहेंगे</strong></span>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-73470033243678698852008-05-20T14:50:00.000-07:002008-12-11T03:50:48.029-08:00मोटे लोगों के लिये सेक्स पोजीशन<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SDNICmKfOQI/AAAAAAAAAno/X2xhZ-zrJvg/s1600-h/fat2.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5202581203984529666" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/SDNICmKfOQI/AAAAAAAAAno/X2xhZ-zrJvg/s200/fat2.JPG" border="0" /></a>आमतौर पर कहा और सुना जाता है कि मोटे लोग सेक्स का सही लुत्फ नहीं उठा पाते हैं लेकिन यह गलत है. यह जरूर है कि सामान्य युगल की तरह वे सेक्स के तौर तरीके नहीं अपना सकते हैं लेकिन सामान्य पोजीशनों में थोड़ा बहुत परिवर्तन करके वे सेक्स का पूरा आनंद उठा सकते हैं.<br />दरअसल सामाजिक तौर पर लोगों के द्वारा बनाए गए मिथक और ताने मोटे लोगों को सेक्स विरक्त या सेक्स के अयोग्य साबित करते हैं जबकि मोटे लोग भी सेक्स का आनंद एक आम आदमी की ही तरह ले सकते हैं. यहां प्रयास किया जा रहा है कि मोटे लोगों को सेक्स के चरम तक पहुंचाया जा सके... सेक्स पोजीशन पर जानकारी से पहले यह जान लेना जरूरी है कि किन वजहों से मोटे लोग सेक्स में असफल होते हैं-कहा जाता है कि मोटे लोग सेक्स में असफल होते हैं लेकिन मैं यहां बता देना चाहूंगा कि उनकी सेक्स में असफलता का कारण शारीरिक कम बल्कि मानसिक ज्यादा होता है. दरअसल मोटापे की शुरुआत से साथ ही सामाजिक तानों के द्वारा उनके दिमाग में यह भर दिया जाता है कि वे सेक्स करने में पूर्ण सफल नहीं होगे. यही बात उनके दिमाग में घर कर जाती है और वे दिमागी तौर पर सेक्स के लिये असफल होने लगते हैं. वहीं दूसरी ओर यह धारणा भी बन चुकी है कि मोटे लोग सेक्स उत्तेजना नहीं पाते यह भी उन्हे मानसिक तौर पर सेक्स के प्रति कमजोर करती है. जबकि हकीकत इसके उल्टी है. देखा यह गया है कि मोटे लोग ज्यादा सेक्स उत्तेजना को पाते हैं. तथा सेक्स का ज्यादा आनंद ले सकते हैं बजाय सामान्य युगल के.<br />अब आते हैं मोटे लोगों की सेक्स पोजीशन पर तो यहां यह समझना भी जरूरी है कि मोटापा कैसा है. दरअसल मोटापा कई प्रकार का होता है. कुछ लोगों की जांघे मोटी होती हैं तो कुछ के कूल्हे और कुछ पेट से ज्यादा मोटे होते हैं. इस आधार पर सुविधा अनुरूप अलग-अलग मोटाई के अनुसार सेक्स पोजीशन का चयन किया जाता है. साथ ही यह भी देखा जाता है पार्टनर में कौन मोटा है. महिला मोटी है या पुरुष या फिर दोनो मोटे हैं.<br />यहां हम शुरू करते हैं मिशनरी पोजीशन(<a href="http://sexkya.blogspot.com/2007/05/blog-post_15.html">देखें जब पुरुष उपर हो कि चौथी पोजीशन</a>) से. यह सामान्य तौर पर हर वर्ग के लिये शुरूआती पोजीशन मानी गई है. और मोटे लोगों के लिये भी यह काफी बेहतरीन पोजीशन बन सकती है बशर्ते इसे सही तरीके से किया जाये. अपनी शारीरिक संरचना के अनुरूप थोड़े परिवर्तन कर इसे काफी आनंददायी बनाया जा सकता है. जैसे कुछ मोटी महिलाओं का पेट काफी बड़ा या झूलता हुआ होता है इस स्थिति में वे मिशनरी पोजीशन में काफी परेशानी महसूस करती हैं. इस परिस्थिति में आप अपने कूल्हों के नीचे तकिये रखें (आवश्यकता अनुरूप) यह आपको इतना उपर उठा देगा कि आपका पार्टनर आपके पैरों(जांघों) के बीच घुटनों के बल बैठ सकता है. अब यदि आप "सही" उंचाई (यह इस पर निर्भर करते हुए भिन्न हो सकती है कि किस कोण पर आप दोनों सहज महसूस करते हैं) पर हैं तो वह अपने लिंग को आसानी व सुविधाजनक तरीके से आपकी योनि में प्रवेश करा सकता है, इस दौरान वह आपके कूल्हों को अपने हाथों से सहारा दे सकता है या फिर उसके हाथ जहां से आप के घुटने मुड़ रहे हैं, वहां रखकर टांगों के फैलान को नियंत्रित कर सकता है. यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि इस पोजीशन में महिला का शरीर नीचे झूलने की वजह से उसका पेट खिंच कर पीछे चला जाता है और योनि से दूर हो जाता है जो प्रवेश की कई परेशानियों को कम कर देता है. इस पोजीशन को युगल चाहे तो अपनी सुविधा के अनुरूप परिवर्तित करके अपने लिये ज्यादा आनंददायी और आरामदायक बना सकते हैं.<br />लेकिन यह पोजीशन उन महिलाओं के लिये उपयुक्त नहीं साबित होती है जिनका पेट बड़ा होने के साथ-साथ जांघें भी अपेक्षाकृत ज्यादा भारी और मोटी होती है. इस अवस्था में जांघों के बीच गैप कम मिलने से पुरुष को प्रवेश के दौरान या फिर घर्षण के समय परेशानी हो सकती है जिससे काम क्रीड़ा उतनी आनंददायी नहीं रह जाएगी. वहीं दूसरी ओर इस पोजीशन में जिस पुरुष को प्रवेश के लिये पर्याप्त समीपता नहीं मिल पाती वह इस पोजीशन का उपयोग भगशिश्न (clit) उत्तेजना के लिये कर सकता है. इसके लिये वह अपने लिंग की सहायता से महिला के भगशिश्न को रगड़ कर महिला को उत्तेजना के चरम तक पहुंचा सकता है.<br />इस पोजीशन में थोड़ा परिवर्तन करके ज्यादा मोटी और भारी जांघों वाली महिलाओं के उपयुक्त बनाया जा सकता है. इसमें मिशनरी पोजीशन में परिवर्तन की शुरुआत पुरुष की महिला के जांघो के बीच, और प्रवेश से होती है. इसके पश्चात महिला अपने पांवों को सीधी या समतल स्थिति में ले आती है. इसके पश्चात पुरुष अपने एक पांव को उठाकर महिला के एक पांव के उपर कर लेता है. इस स्थिति में वह उसकी कमर पर झूल सा जाता है. अब महिला अपने दोनों पांवों को एक दूसरे की ओर ले आती है. तब पुरुष अपने दूसरे पांव को भी उपर उठा कर पूरी तरह से महिला के उपर आ जाता है. इस स्थिति में महिला का टांगे पुरुष के लिंग के चारों ओर आ जाती है और पुरुष काम क्रीड़ा का आनंद ले व दे सकता है. हालांकि यह पोजीशन शुरुआती दौर में थोड़ी कठिन जरूर है लेकिन अभ्यास के बाद यह काफी आनंददायी साबित होती है. लेकिन इस पोजीशन में लिंग को बाहर चरम अवस्था तक बाहर नहीं निकालना है.<br />ठीक इसी तरह शुरुआती पोजीशन को थोड़ा उल्टा कर देने से यह मोटी और भारी टांगों वाली महिलाओं तथा मोटे पेट वाले पुरुषों को गहरे प्रवेश का पूर्ण आनंद दे सकता है. इसके लिये पुरुष को महिला की तरह अपने कूल्हों के नीचें पर्याप्त उंचाई तक तकिये रख कर लेटना होगा. फिर महिला पुरुष के लिंग के उपर अपनी टांगे पुरुष के दोनो ओर करके खड़ी हो जाए. इस दौरान महिला अपनी टांगों को पर्याप्त दूरी तक फैला ले. फिर महिला घुटनों से अपनी टांगे मोड़ते हुए योनि को लिंग के उपर लाकर प्रवेश क्रिया को पूरा करे. इस अवस्था में महिला की टांगे पूरी तरह से 180 अंश के कोण पर होंगी और बीच में योनि पूरी तरह खुली होने से लिंग पर्याप्त गहराई तक जा सकेगा. इस पोजीशन में मोटे पेट वाले पुरुषों का पेट भी पीछे की ओर खिसक जाने से उसे भी पर्याप्त गहराई में प्रवेश की जगह मिल सकेगी.<br /><br />अब हम बताते है दूसरी पोजीशन के बारे में इसमे महिला अपनी किसी भी करवट के बल लेट जाए. इस अवस्था में वह अपना नीचे वाला पांव सीधा फैला ले तथा अपना उपर वाला पांव उठाते हुए अपने स्तनों की ओर ले जाए. अब पुरुष महिला के नीचे वाले पांवों के समानान्तर अपने पांव फैलाते पीछे की ओर से लेट जाए. फिर उसके भग क्षेत्र से खुद को सटाते हुए प्रवेश क्रिया पूर्ण करे. इस पोजीशन में महिला का भग क्षेत्र पूरी तरीके से खुल कर सामने आ जाने से गहरा प्रवेश आसान हो जाता है.<br /><br />इसी तरह ज्यादा मोटे और झूले पेट वाली महिलाओं के लिये श्वान(doggy) पोजीशन काफी उपयुक्त रहती है. इस पोजीशन में प्रवेश के दौरान महिला का पेट आड़े नहीं आता है. साथ ही इस पोजीशन में महिला को जी-स्पॉट सेक्स का भी आनंद मिलता है.<br /><br />यदि दोनों पार्टनरों के पेट काफी बड़े है इसके लिये सबसे बेहतर पोजीशन है कि पुरुष अपने कूल्हों के नीचे तकिया लगाकर लेट जाए और अपनी टांगे सीधे फैलाते हुए खोल ले. इसके पश्चात महिला पुरुष के पांवों की ओर मुंह करके अपनी टांगों को कुछ दूरी पर रखते हुए घुटनों से जाघों को मोड़ते हुए योनि को लिंग में प्रवेश कराएं. इससे दोनों के पेट आपस में नहीं टकराने से प्रवेश गहरा व आरामदायक होता है.<br /><br />जिस महिला के कूल्हे काफी बड़े होते है वह श्वान पोजीशन में थोड़ा परिवर्तन करके सेक्स का पूरा आनंद उठा सकती है. इसमें महिला घुटनों के बल लेट जाती है इस दौरान वह अपने स्तनों को सतह से सटा देती है. इस अवस्था में पीछे की ओर से योनि का ज्यादातर हिस्सा खुल जाता है. फिर भी कूल्हों की साइज बड़ी होने पर वह अपने हाथों की सहायता से कूल्हों को पकड़ कर खींचते हुए योनि को खोल लेती है. अब पुरुष इसमें प्रवेश के लिये तैयार है. यदि पुरुष का भी पेट बढ़ा तथा झूल रहा है तो वह अपने पेट को कूल्हों के उपर टिकाते हुए योनि में प्रवेश की क्रिया पूरी करता है.<br /><br /><span style="color:#ffff00;"><strong>शेष अगले दिनों में...</strong></span>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-77439033902504571492008-03-23T04:53:00.001-07:002008-03-23T05:50:04.204-07:00गर्भधारण के लिये बेहतर सेक्स पोजीशनसामान्य तौर पर गर्भ धारण के लिये शुक्राणु का बेहतर होना माना जाता है. लेकिन अब सेक्स पोजीशन भी चिकित्सकीय नजरिये से गर्भधारण में महती रोल अदा करने लगी है. हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है लेकिन कई बार देखने में आया है कि कुछ सेक्स पोजीशन गर्भधारण में काफी सहयोगी भूमिका निभाती हैं.<br /><br /><span style="color:#ffff00;"><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dySiC1mWLVrlFCUUVp8-jaF-Y2M1UCXLelNnyUulEKKUJda7HehKwM0zFJH5rRuHOfC_eT-zbm34Mo' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></span><br /><span style="color:#ffff00;"></span><br /><span style="color:#ffff00;">क्या कुछ सेक्स पोजीशन गर्भधारण के लिये अन्य से बेहतर होती हैं?</span><br />हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोई विशेष सेक्स पोजीशन गर्भधारण के लिये किसी अन्य पोजीशन से ज्यादा बेहतर है. लेकिन चिकित्साजगत के कुछ लोगों का मानना है कि जिस सेक्स पोजीशन से शुक्राणु को गर्भाशय में आसानी से प्रवेश व कम दूरी तय करनी पड़े उसमें गर्भधारण की संभावना ज्यादा होती है. इस आधार पर <a href="http://sexkya.blogspot.com/2007/05/blog-post_15.html">मिसनरी पोजीशन </a>(जब पुरुष उपर हो) सबसे बेहतर पोजीशन मानी जाती है. लेकिन इसके साथ सही समय का चुनाव भी निर्णायक भूमिका निभाता है. अण्डोत्सर्ग के दौरान किया गया सेक्स गर्भधारण के लिये सबसे लाभदायक है. चूंकि पुरुष के शुक्राणु 2 से 5 दिन तक जीवित रह सकते हैं लेकिन महिला का अण्डाणु 12 से 24 घंटे ही जीवित रह सकता है. इसलिये अण्डोत्सर्ग के दौरान किया सेक्स गर्भधारण की ज्यादा गारंटी देता है.<br /><br /><span style="color:#ffff00;">क्या रति-निष्पत्ति (orgasm) गर्भधारण के अवसर बढ़ाने में मददगार होती है? </span><br />कुछ लोगों का मानना है कि जो महिला अपने पुरुष साथी के स्खलन के बाद चरमोत्कर्ष को पाती है उसके <a href="http://sexkya.blogspot.com/2008/03/blog-post_21.html">गर्भधारण</a> की संभावना ज्यादा होती है लेकिन इस विचार की सत्यता के भी कोई प्रमाण या वैज्ञानिक तथ्य नहीं है. यहां हम यह बता देना चाहेंगे कि संभोग के दौरान किसी महिला का चरमोत्कर्ष किसी भी गर्भधारण के लिये महत्वपूर्ण नहीं है. लेकिन यह गर्भाशय के संकुचन में मददगार बनकर शुक्राणु को फेलोपियन ट्यूब में भेजने में उत्प्रेरक का कार्य करता हैं.<br /><br /><span style="color:#ffff00;">संभोग के बाद लेटना जरूरी होता है?</span><br />गर्भधारण की बेहतर परिस्थितियों के चिकित्सकों के मत के अनुसार संभोग के पश्चात महिला को कम से कम 15 मिनट लेटे रहना चाहिये. हालांकि इस बात के कोई बैज्ञानिक सबूत नहीं हैं. चिकित्सकों के अनुसार संभोग के पश्चात 15 मिनट या उससे ज्यादा समय तक लेटे रहने से योनि के अंदर ज्यादा मात्रा में वीर्य रुकता है और इस बजह से ज्यादा संख्या मे शुक्राणु निषेचन के लिये तैयार हो पाते हैं. अन्यथा यदि संभाग के बाद महिला सीधे उठ या खड़ी हो जाती है तो वीर्य उसकी योनि से बाहर आ जाता है साथ ही कम संख्या में शुक्राणु योनि में बच पाते है. इसके अलावा खड़े होने पर शुक्राणु को गुरुत्व के विपरीत तैर कर ऊपर गर्भाशय में प्रवेश करने के लिये संघर्ष करना पड़ता है.Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-2993417326039483162008-03-22T04:18:00.000-07:002008-12-11T03:50:48.520-08:00योनि स्राव और उसके संकेतयोनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज मध्य उम्र की महिलाओं की एक सामान्य समस्या हो गई है। सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी जाना कहते हैं. भारतीय महिलाओं में यह आम समस्या प्रायः बिना चिकित्सा के ही रह जाती है। सबसे बुरी बात यह है कि इसे महिलाएँ अत्यंत सामान्य रूप से लेकर ध्यान नहीं देती, छुपा लेती हैं श्वेत प्रदर में योनि की दीवारों से या गर्भाशय ग्रीवा से श्लेष्मा का स्राव होता है, <a href="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-UnsHxVEBI/AAAAAAAAAk4/o-tR5uBI4Ig/s1600-h/female_gonor_e.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5180590585313300498" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-UnsHxVEBI/AAAAAAAAAk4/o-tR5uBI4Ig/s200/female_gonor_e.jpg" border="0" /></a>जिसकी मात्रा, स्थिति और समयावधि अलग-अलग स्त्रियों में अलग-अलग होती है। यदि स्राव ज्यादा मात्रा में, पीला, हरा, नीला हो, खुजली पैदा करने वाला हो तो स्थिति असामान्य मानी जाएगी। इससे शरीर कमजोर होता है और कमजोरी से श्वेत प्रदर बढ़ता है। इसके प्रभाव से हाथ-पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन रहता है। इस रोग में स्त्री के योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा, गाढ़ा, बदबूदार स्राव होता है, इसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं। इस रोग के कारणों की जांच स्त्री रोग विशेषज्ञ, लेडी डॉक्टर से करा लेना चाहिए, ताकि उस कारण को दूर किया जा सके।<br /><a name="a17"></a><br /><span style="color:#ffff00;">योनिक स्राव क्या होता है और कब उसे असामान्य कहा जाता है? </span><br />ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा (म्युकस) का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक जान पड़े तो हो सकता है कि रोग हो। योनिक स्राव (Vaginal discharge) सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है. दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके. अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा (mucous) बनता है. यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है. लेकिन कई परिस्थितियों में जब इसका रंग बदल जाता है तथा इससे बुरी गंध आने लगती है तो यह रोग के लक्षण का रूप ले लेता है. यहां प्रस्तुत है योनिक स्राव की विस्तृत जानकारी-<br /><span style="color:#33ffff;"><a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-U5CnxVECI/AAAAAAAAAlA/H1516o0o5wU/s1600-h/cervicalmucus.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5180609663558029346" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-U5CnxVECI/AAAAAAAAAlA/H1516o0o5wU/s200/cervicalmucus.jpg" border="0" /></a>सफेद योनिक स्रावः</span> मासिक चक्र के पहले और बाद में पतला और सफेद योनिक स्राव सामान्य है. सामान्यतः सफेद योनिक स्राव के साथ खुजलाहट या चुनमुनाहट नहीं होती है. यदि इसके साथ खुजली हो रही है तो यह खमीर संक्रमण (yeast infection) को प्रदर्शित करता है.<br /><span style="color:#33ffff;">साफ और फैला (Clear and stretchy) हुआः </span>यह उर्वर (fertile) श्लेष्मा है. इसका आशय है कि आप अण्डोत्सर्ग के चक्र में हैं.<br /><span style="color:#33ffff;">साफ और पानी जैसाः</span> यह स्राव महिलाओं में सामान्य तौर पर पूरे चक्र के दौरान अलग-अलग समय पर होता रहता है. यह भारी तब हो जाता है जब व्यायाम या मेहनत का काम किया जाता है.<br /><span style="color:#66ffff;">पीला या हराः </span>यह स्राव सामान्य नहीं माना जाता है तथा बीमारी का लक्षण है. यह यह दर्शता है कि योनि में या कहीं तीव्र संक्रमण है. विशेषकर जब यह पनीर की तरह और गंदी बदबू से युक्त हो तो तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिये.<br /><span style="color:#33ffff;">भूराः<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-U6EnxVEDI/AAAAAAAAAlI/x_0fYOCt0Z0/s1600-h/mucous-plug2.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5180610797429395506" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-U6EnxVEDI/AAAAAAAAAlI/x_0fYOCt0Z0/s200/mucous-plug2.jpg" border="0" /></a></span> यह स्राव अक्सर माहवारी के बाद देख ने को मिलता है. दरअसल यह "सफाई" की स्वाभाविक प्रक्रिया है. पुराने रक्त का रंग भूरा सा हो जाता है सामान्य प्रक्रिया के तहत श्लेष्मा के साथ बाहर आता है.<br /><span style="color:#33ffff;">रक्तिम धब्बे/भूरा स्राव: </span>यह स्राव अण्डोत्सर्ग/मध्य मासिक के दौरान हो सकता है. कई बार बार शुरूआती गर्भावस्था के दौरान भी यह स्राव देखने को मिलता है. इस आधार पर कई बार इसे गर्भधारण का संकेत भी माना जाता है.<br /><br /><span style="color:#ffff00;">किन परिस्थितियों के कारण सामान्य योनिक स्राव में वृद्धि होती है?</span><br />सामान्य योनिक स्राव की मात्रा में निम्नलिखित स्थितियों में वृद्ध हो सकती है- योनपरक उत्तेजना, भावात्मक दबाव और अण्डोत्सर्ग (माहवारी के मध्य में जब अण्डकोष से अण्डे का सर्जन और विसर्जन होता है)<br /><br /><span style="color:#ffff00;">असामान्य योनिक स्राव के क्या कारण होते हैं?</span><br />असामान्य योनिक स्राव के ये कारण हो सकते हैं- (1) योन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण (2) जिनके शरीर की रोधक्षमता कमजोर होती है या जिन्हें मधुमेह का रोग होता है उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।<br /><a name="a20"></a><br /><span style="color:#ffff00;">असामान्य योनिक स्राव से कैसे बचा जा सकता है?</span><br />योनिक स्राव से बचने के लिए - (1) जननेन्द्रिय क्षेत्र को साफ और शुष्क रखना जरूरी है। (2) योनि को बहुत भिगोना नहीं चाहिए (जननेन्द्रिय पर पानी मारना) बहुत सी महिलाएं सोचती हैं कि माहवारी या सम्भोग के बाद योनि को भरपूर भिगोने से वे साफ महसूस करेंगी वस्तुतः इससे योनिक स्राव और भी बिगड़ जाता है क्योंकि उससे योनि पर छाये स्वस्थ बैक्टीरिया मर जाते हैं जो कि वस्तुतः उसे संक्रामक रोगों से बचाते हैं (3) दबाव से बचें। (4) योन सम्बन्धों से लगने वाले रोगों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। (5) मधुमेह का रोग हो तो रक्त की शर्करा को नियंत्रण में रखाना चाहिए।<br /><a name="a21"></a><br /><span style="color:#ffff00;">असामान्य योनिक स्राव के लिए क्या डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए?</span><br />हां, शीघ्र ही डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। वे आपके लक्षणों की जानकारी लेंगे, जननेन्द्रिय का परीक्षण करेंगे और तदनुसार उपचार बतायेंगे।Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-36105251.post-25492086505436327912008-03-21T12:43:00.000-07:002008-12-11T03:50:48.993-08:00सेक्स का दर्शन और अध्यात्म<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-QXe3xVD_I/AAAAAAAAAko/YZSRS5Nbo5E/s1600-h/Shiva%2520Linga.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5180291290517278706" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-QXe3xVD_I/AAAAAAAAAko/YZSRS5Nbo5E/s200/Shiva%2520Linga.jpg" border="0" /></a> ... जब तुम किसी को आलिंगन में लेते हो, तब दूसरे का हड्डी-मांस-मज्जा ही तुम्हारे हाथ में आती है। वह कुछ तकिए से ज्यादा मूल्यवान नहीं है। आखिर हड्डी या मांस या चमड़ी तकिए से कैसे ज्यादा मूल्यवान हो सकती है ? बस तुम्हारा खयाल है कि दूसरा मौजूद है। इसलिए तुम अपने प्रेम को विस्तीर्ण कर पाते हो।जब तुम किसी आदमी के सिर पर चोट करते हो, तो उस चोट में और एक तकिए पर लकड़ी से चोट करने में क्या फर्क है ? फर्क तुम्हें दिखाई पड़ता है, क्योंकि तुम मानते हो, दूसरा वहां है और तकिया तो कोई भी नहीं। फर्क दिखाई पड़ता है, क्योंकि दूसरे से प्रत्युत्तर मिलेगा और तकिए से प्रत्युत्तर नहीं मिलेगा, इतना ही फर्क है।दूसरा जवाब देगा। जब तुम प्रेम से किसी व्यक्ति को आलिंगन में लोगे, तो वह भी तुम्हें आलिंगन में लेगा। उससे तुम्हें प्रेम करने में सुविधा पड़ेगी, क्योंकि प्रत्युत्तर जगाएगा, प्रत्युत्तर उत्तेजित करेगा और श्रृंखला निर्मित हो जाएगी।तकिए के साथ कठिनाई यह है कि तुम अकेले हो। तकिया कोई उत्तर न देगा। सब कुछ तुम्हें ही निर्मित करना पड़ेगा।लेकिन यह प्राथमिक कठिनाई सभी वेगों में होगी-काम हो, क्रोध हो या कोई भी वेग हों। थोड़े ही क्षणों में, थोड़े ही दिनों में, तुम समर्थ हो जाओगे। और तब तुम्हें बड़ी हंसी आएगी कि तुमने अब तक जितने लोगों को आलिंगन किया था, वे भी तकिए से ज्यादा नहीं थे, वे भी निमित्त थे।प्रेम भी तुम्हारा एकांत ध्यान बने, इसमें कई अड़चनें हैं। अड़चनें संस्कार की हैं। अड़चनें ऐसी हैं कि बचपन से कुछ बातें सिखाई गई हैं, और वे बाधा डालेंगी।जैसे पुरुष है, अगर कामवासना तकिए पर प्रकट करे, तो यह भी हो सकता है कि उसका वीर्य स्खलित हो जाए। तो भय है। वह भय बचपन से सिखाया गया है कि वीर्य की एक बूंद भी स्खलित हो जाए, तो महागर्त में गिर रहे हो, बड़ी जीवन-ऊर्जा नष्ट हो रही है। हिंदू मानते हैं कि चालीस दिन में भोजन करने से एक बूंद <a href="http://sexkya.blogspot.com/2007/08/blog-post.html">वीर्य</a> बनता है। सरासर असत्य है, झूठ बात है, इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं। लेकिन बच्चों को डराने के लिए ईजाद की गई है। और बच्चे डरते हैं वह तो ठीक है बूढ़े भी डरते हैं।एक साधारण पुरुष सत्तर वर्ष के जीवन में आसानी से कोई <a href="http://sexkya.blogspot.com/2008/02/blog-post.html">चार हजार बार संभोग</a> कर सकता है। प्रत्येक संभोग में कोई एक करोड़ से लेकर दस करोड़ तक वीर्याणु स्खलित होते हैं। एक शरीर के भीतर इतने वीर्याणु हैं कि अगर प्रत्येक वीर्याणु गर्भस्थ हो जाए, तो इस पृथ्वी पर जितनी जनसंख्या है, वह एक जो़ड़े से पैदा हो सकती है। चार अरब व्यक्ति एक स्त्री और एक पुरुष से पैदा हो सकते हैं।और यह जो वीर्य है, यह कोई आपके भीतर संचित संपदा नहीं है कि रखा हुआ है, इसमें से कुछ निकल गया, तो कुछ कम हो जाएगा। यह वीर्य प्रतिफल पैदा हो रहा है। शरीर श्वास ले रहा है भोजन कर रहा है, व्यायाम कर रहा है-यह वीर्य पैदा हो रहा है।और आप हैरान होंगे कि जो आधुनिक खोजें हैं चिकित्साशास्त्र की, वे बड़ी भिन्न हैं, विपरीत हैं। वे कहती हैं, जो व्यक्ति जितना वीर्य का उपयोग करेगा, उतने ज्यादा दिन तक पुंसत्व उसमें शेष रहेगा। जो जितनी जल्दी भय से बंद कर देगा वीर्य का उपयोग या संभोग उतने जल्दी उसका वीर्य खो जाएगा। क्योंकि जब तुम वीर्य का उपयोग करते हो, तो तुम्हारे पूरे शरीर को फिर वीर्य पैदा करने की क्रिया में संलग्न होना पड़ता है। जब तुम वीर्य का उपयोग नहीं करते, तो शरीर को संलग्न नहीं होना पड़ता। धीरे-धीरे शरीर की क्षमता वीर्य को पैदा करने की कम हो जाती है।यह बहुत उलटा दिखाई पड़ेगा। जो लोग <a href="http://sexkya.blogspot.com/2007/10/blog-post_04.html">जितना ज्यादा संभोग </a>करेंगे, उतनी लंबी उम्र तक संभोग करने में समर्थ रहेंगे। जो लोग जितना कम संभोग करेंगे, उतनी जल्दी रिक्त हो जाएंगे और चुक जाएंगे।तो पश्चिम में चिकित्सक समझाते हैं कि बुढ़ापे तक, सत्तर और अस्सी वर्ष और नब्बे वर्ष तक भी अगर संभोग जारी रखा जा सके, तो तुम्हारे ज्यादा जीने की संभावना है। क्योंकि शरीर तुम्हारा ताजा रहेगा। वीर्य बाहर जाता है, तो नया वीर्य शरीर पैदा करता है। और नए वीर्य में शक्ति होती है, ताजगी होती है। पुराना वीर्य धीरे-धीरे बासा हो जाता है, जड़ हो जाता है। और वीर्य की जड़ता के साथ तुम्हारे पूरे शरीर में जड़ता व्याप्त हो जाती है।हमें यहां हैरानी होती है-पश्चिम में हम सुनते हैं, कोई नब्बे वर्ष का व्यक्ति शादी कर रहा है। हमें बहुत हैरानी होती है कि शादी का क्या प्रयोजन है अब ? लेकिन पश्चिम में नब्बे वर्ष का बूढ़ा भी संभोग कर सकता है। और करने का कारण सिर्फ यह है कि वीर्य के संबंध में सारी धारणा बदल गई है। और वैज्ञानिक धारणा सच्चाई के ज्यादा करीब है।जीवन के सभी अंगों में यह बात सच है कि उनका तुम उपयोग करो, तो वे सक्षम रहते हैं। एक आदमी चलता रहे, बुढ़ापे तक चलता रहे, तो पैर मजबूत रहते हैं चलना बंद कर दे, पैर कमजोर हो जाते हैं। एक आदमी मस्तिष्क का उपयोग करता रहे आखिरी क्षण तक, जो मस्तिष्क ताजा रहता है। उपयोग बंद कर दे, मस्तिष्क जड़ हो जाता है।सारी इंद्रियों का जीवन उपयोग पर निर्भर है, क्रियात्मकता पर निर्भर है।तुम जिन इंद्रियों का उपयोग करते हो, वे उतने ही ज्यादा दिन तक ताजी रहेंगी। और वीर्य भी एक इंद्रिय है। उसके लिए कोई अपवाद नहीं है। वह भी शरीर का ही अंग है। शरीर का नियम है कि तुम जितना ज्यादा उपयोग लोगे, उतना ज्यादा जीवंत रहेगा। तुम भयभीत हुए डरे, उपयोग बंद किया, उतनी ही जल्दी शरीर क्षीण हो जाएगा।और यह एक दुष्टचक्र है। क्योंकि जो व्यक्ति डरता है, कम उपयोग करता है, शरीर क्षीण होता है। क्षीण होने से और डरता है। और डरने से अपने को और रोकता है। और रोकने से और क्षीण होता है। फिर कोई उपाय नहीं। फिर उसने एक रास्ता पकड़ लिया, जिस पर वह जल्दी ही मिट जाएगा।भय रोकता है, रोकने से हम मरते हैं। निर्भय होकर जीवन को ऐसा उपयोग करो-रोजा लक्जेंबर्ग ने, एक जर्मन महिला ने कहा है-जैसे कोई मशाल दोनों तरफ से जले, ऐसे जलो।घबड़ाओ मत, तुम ज्यादा जलोगे, जीवन बड़ा विराट है। तुम्हारे दीए में बहुत तेल है। लेकिन तुम जलाओ ही नहीं बाती को, भयभीत हो जाओ, तो तुम डूब जाओगे।सारी दुनिया में पुरानी संस्कृति और सभ्यताओं ने वीर्य के संबंध में बड़ा भयभीत किया है लोगों को। इसके कारण हैं। क्योंकि जैसे ही कोई व्यक्ति वीर्य के संबंध में भयभीत हो जाता है, उसे गुलाम बनाना आसान है। आपने उसकी जड़ पकड़ ली। वीर्य जड़ है। अगर किसी व्यक्ति को कामवासना के संबंध में बहुत अपराध से भर दिया, तो वह व्यक्ति न तो विद्रोही रह जाएगा, न शक्तिशाली रह जाएगा। और सदा अपराध की भावना इसको दबाएगी। अपराधी को दबाना बहुत आसान है।तो राज्य भी चाहता है कि आप अपराध अनुभव करें, समाज भी चाहता है। सभी-जिनके हाथ में सत्ता है-चाहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति, जो पैदा हो, वह भयभीत रहे। भयभीत रहे, तो उसकी मालकियत की जा सकती है, उसका मालिक हुआ जा सकता है। निर्भय हो जाए, तो वह सब बंधन तोड़ देगा, सब रास्ते, वह स्वतंत्रता से जीएगा। विद्रोही हो जाएगा।तो बचपन से हम बच्चों को सिखाते हैं कि वीर्य का स्खलन न हो जाए, सम्हालना। वीर्य के संबंध में हम कंजूसी सिखाते हैं। और इसको हम ब्रह्मचर्य कहते हैं।यह ब्रह्मचर्य नहीं है। कृपणता ब्रह्मचर्य नहीं है। और न वीर्य को जबर्दस्ती रोक लेने से ब्रह्मचर्य का कोई संबंध है। ब्रह्मचर्य तो एक ऐसे आनंद की घटना है, जब आपका अस्तित्व के साथ संभोग शुरू हो गया; और इसलिए व्यक्ति के साथ संभोग की कोई जरूरत नहीं रह जाती। यह जरा कठिन है समझना। और अगर मैं कहूं तो बहुत बेचैनी होगी। संत वैसा व्यक्ति है, जिसका अस्तित्व के साथ संभोग शुरू हो गया। वहां कोयल कूकती है, तो उसका पूरा शरीर संभोग के आनंद को अनुभव करता है। वहां वृक्ष में फूल खिलते हैं, तो उसके पूरे शरीर पर, जैसी संभोग में आपको थिरक अनुभव होती है, उसका रोआं-रोआं वैसा थिरकता है और नाचता है। सुबह सूरज उगता है, रात चांद आकाश में होता है तो हर घड़ी संभोग की समाधि उसे उपलब्ध होती रहती है। उसका रोआं-रोआं संभोग में समर्थ हो गया है; आपका केवल जननेंद्रिय संभोग में स<a href="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-QbC3xVEAI/AAAAAAAAAkw/rLYPJpew0qY/s1600-h/lingum.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5180295207527452674" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; CURSOR: hand" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_REL8qX9X7Pg/R-QbC3xVEAI/AAAAAAAAAkw/rLYPJpew0qY/s200/lingum.jpg" border="0" /></a>मर्थ है।इस संबंध में एक बात समझ लेनी जरूरी है। कभी खयाल भी नहीं आया होगा ! हमने शिव की प्रतिमा, शिवलिंग निर्मित की है। शिव जैसे पूरे के पूरे लिंग हैं, इसका मतलब यह होता है। इसका मतलब होता है, शिव के पास न आंखें हैं, न हाथ हैं, न पैर हैं, मात्र लिंग है, सिर्फ जननेंद्रिय है।यह संतत्व की आखिरी दशा है, जब व्यक्ति का पूरा शरीर जननेंद्रिय हो गया। इसका प्रतीक अर्थ यह हुआ कि अब वह पूरे शरीर के साथ जगत के साथ संभोग में रत है। अब यह संभोग लोकल नहीं है। यह जननेंद्रिय और जननेंद्रिय का मिलना नहीं है, अब यह अस्तित्व और अस्तित्व का मिलना है।शिव का शिवलिंग हमने निर्मित करके जगत को एक ऐसी धारणा दी है, जिसका हिसाब लगाना मुश्किल है।लेकिन हिंदू भी यह अर्थ नहीं करेगा। अर्थ बिलकुल साफ है। अंधे हम हैं। हम इतने भयभीत हैं कि हम यह अर्थ ही नहीं करेंगे। हम तो छिपाने की कोशिश करते हैं।पश्चिम में बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक हुआ कार्ल गुस्ताव जुंग। वह भारत आया यात्रा पर। तो वह पुरी, कोणार्क, खजुराहो के मंदिर देखने गया। जब वह कोणार्क के मंदिर को देखने गया, तो जो पंडित उसे मंदिर दिखा रहा था, वह बड़ा बेचैन परेशान था-क्योंकि जगह-जगह नग्न-मैथुन की प्रतिमाएं थीं-और बहुत गिल्टी, अपराधी अनुभव कर रहा था। और जुंग बहुत प्रभावित था। क्योंकि जुंग इस सदी के उन थोड़े से लोगों में है, जिन्होंने मनुष्य की चेतना में बड़ा गहरा प्रवेश किया है।और जितनी गहराई में प्रवेश होगा, उतना ही मैथुन अर्थपूर्ण होगा। क्योंकि मैथुन से ज्यादा गहरा आपके भीतर कुछ भी नहीं जाता। शायद मैथुन के क्षण में आप जिस अवस्था में होते हैं, उससे ज्यादा गहरी अवस्था में साधारणत: आप कभी नहीं लेते। जिस दिन समाधि उपलब्ध होगी, उस दिन ही मैथुन के पार आप जाएंगे, उससे गहरी अवस्था उपलब्ध होगी।जो जुंग तो बहुत आनंद से देख रहा था। वह पंडित बहुत परेशान था। उसको लग रहा था कि क्या गलत चीजें हम दिखा रहे हैं। और यह आदमी पश्चिम में खबर ले जाएगा, तो हमारी संस्कृति के बाबत क्या सोचेंगे ?और ऐसा वह पंडित ही सोचता था, ऐसा नहीं है। गांधीजी तक सोचते थे कि कोणार्क और खजुराहों को मिट्टी के ढेर में दबा देना चाहिए, ताकि हमारी बदनामी न हो।एक लोग थे इस मुल्क में, जिन्होंने खजुराहो बनाया, कोणार्क बनाया। और बनाया था संतों के निर्देशन में क्योंकि ये मंदिर हैं। फिर महात्मा हमारे मुल्क में होने लगे जो उन्हें मिटा देना चाहते हैं या दबा देना चाहते हैं।गांधी को मैं कभी भी हिंदू नहीं मान पाता। वह ईसाई है। उनकी शिक्षा-दीक्षा उनकी पकड़ ईसाई की है। ईसाई बहुत डरा हुआ है इस तरह की चीजों से। ईसाई सोच ही नहीं सकता कि चर्च में और मैथुन की प्रतिमा हो सकती है, या शिवलिंग हो सकता है।जैसे ही मंदिर से विदा होने लगे जुंग, तो उस आदमी ने, पंडित ने, कान में कहा कि क्षमा करें, यह विकृति अतीत में कुछ लोगों के मन की प्रतिछवि है; यह कोई हमारा राष्ट्रीय प्रतीक नहीं है। और ऐसा मत सोचना आप कि यह हमारा धर्म या हमारा दर्शन है। यह तो कुछ विकृत मस्तिष्कों का उपद्रव है।जुंग ने अपने संस्मरणों में लिखा है कि मैं हैरान हुआ कि इतनी महत्वपूर्ण प्रतिमाएं हैं, और इतने गहरे गई प्रतिमाएं हैं। लेकिन आज को हिंदू की यह दृष्टि है ! हिंदू भी कमजोर हो गया है।शिवलिंग का अर्थ है : एक ऐसी दशा, जब तुम्हारा पूरा शरीर रोएं-रोएं से संभोग अनुभव कर सकता है। तभी तुम्हें जननेंद्रिय के संभोग से छुटकारा मिलेगा और ब्रह्मचर्य उपलब्ध होगा।तो ब्रह्मचर्य भोग से मुक्ति नहीं है, परमभोग का आस्वाद है। लेकिन भोग इतना परम हो जाता है कि तु्म्हें उसे करने की अलग से जरूरत नहीं होती। हवा का झोंका आता है, तो तुम्हारा रोआं-रोआं उस पुलक को अनुभव करता है, जो प्रेमी अपनी प्रेयसी के स्पर्श से अनुभव करेगा।लेकिन हमने बच्चों को डराया हुआ है। उनको इतना डरा दिया है कि कभी काम में ठीक संभोग उपलब्ध ही नहीं हो पाता। वह भय बना ही रहता है। कंजूसी कृपणता बनी ही रहती है। डर बना ही रहता है कि कहीं शक्ति खो न जाए। एक-एक दर्जन बच्चों के मां-बाप हो जाने के बाद भी लोगों को यह डर बना रहता है कि शक्ति कहीं खो न जाए।शक्ति खोने का डर नास्तिक को हो सकता है। आस्तिक को नहीं होना चाहिए। आस्तिक कृपण हो जाए, बिलकुल समझ में नहीं आता।उस भय के कारण तुम्हें एकांत में प्रेम बड़ा मुश्किल मालूम पड़ेगा।लेकिन मैं तुमसे कहता हूँ, भय छोड़ो। और जैसा तुमने क्रोध तकिए पर प्रकट किया है, वैसा ही तुम प्रेम तकिए पर प्रकट करो। जो भी परिणाम हों, परिणामों की फिक्र जल्दी मत करो। यह भी हो सकता है कि प्राथमिक चरणों में तुम इतने उत्तेजित हो जाओ कि वीर्य-स्खलन हो जाए। उस स्खलन को तुम परमात्मा के चरणों में समर्पण ही समझना। जिससे ऊर्जा आती है, उसी में वापस चली गई। तुम उससे भयभीत मत होना।जल्दी ही वह क्षण आ जाएगा, जब इस प्रेम के ध्यान में वीर्य का स्खलन नहीं होगा। और जब यह ध्यान गहन होगा और वीर्य का स्खलन न होगा, तब तुम एक नए स्वाद को उपलब्ध होओगे। वह स्वाद है बिना शक्ति को खोए आनंद के अनुभव का। शक्ति जब तुम्हारे भीतर दौड़ती है प्रगाढ़ता से, तुम एक तूफान बन जाते हो शक्ति के, तुममें एक ज्वार आता है, लेकिन यह ज्वार तुम उलीचकर फेंक नहीं देते, यह ज्वार एक नृत्य बनकर तुममें ही लीन हो जाता है।इस फर्क को ठीक से समझ लें। एक तो साधारण जीवन का ढंग है, जिसको हम भोग कहते हैं, वह ढंग यह है कि तुममें एक ज्वार आता है, वह ज्वार भी जैसे चाय की प्याली में आया तूफान, क्योंकि लोकल है, जननेंद्रिय से संबंधित है। तो सारे शरीर में जो भी तरंगें उठती हैं, वे जननेंद्रिय पर जाकर केंद्रित हो जाती है। एक दो क्षण में चुक जाता है ज्वार। एक हवा आई, तुम आंदोलित हुए, जननेंद्रिय ने सारी ऊर्जा को लेकर निष्कासित कर दिया। जैसे फुग्गे से हवा निकल गई, तुम मुर्दा पड़ गए, सो गए। यह जो क्षणभर के लिए ज्वार आना और खो जाना है, इसको तुमने भोग समझा है। यह तो भोग का अ, ब, स भी नहीं है।भोग की तंत्र की जो व्याख्या है, वह है, तुम्हारा पूरा शरीर ज्वार से भर जाए। रोआं-रोआं तरंगित हो, तुम अपने को इस तरंगायित स्थिति में बिलकुल विस्मृत ही कर जाओ, तुम्हें याद भी न रहे कि मैं हूं। नृत्य रह जाए, नर्तक न बचे। गीत रह जाए, गायक न बचे। तुम्हारा पूरा अस्तित्व एक्सटेटिक हो, समाधिस्थ हो, तो तुम एक ऊंचाई पर पहुंचोगे-ऊंचाई पर-रोज ऊंचाई बढ़ती जाएगी।और ध्यान रहे : यह जो ऊंचाई के बढ़ने की प्रतीति है, यह तुम्हारे पूरे शरीर को होगी, जैसे तुम्हारा पूरा शरीर स्पंदित हो रहा है, सजग हो रहा है। अभी जननेंद्रिय में तुम स्पंदन अनुभव करते हो, सजगता अनुभव करते हो। तब पूरा शरीर शिवलिंग हो जाएगा और तुम अनुभव करोगे कि तुम्हारे शरीर की जो रूपरेखा है, वह खो गई है।शिवलिंग कविता नहीं है, एक अनुभव है। और जब पूरे ज्वार से जीवन भर जाता है और तुम्हारा सारा शरीर रोमांचित होता है, तब तुम अपने आसपास ठीक शिवलिंग की आकृति में प्रकाश का एक वर्तुल देखोगे। तुम पाओगे कि तुम्हारे पूरे शरीर की रूपरेखा खो गई और शिवलिंग बन गया। एक प्रकाश का अंडाकार रूप, जिसमें तुम्हारी आंखें नहीं होंगी, नाक नहीं होगी, कान नहीं होंगे, हाथ नहीं होंगे, सिर्फ एक अंडाकार रूप रह जाएगा।यह ज्योतिर्मय जो रूप हैं, यह जो अंडाकार रूप है, यही तुम्हारी आत्मा का रूप है। जिस दिन तुम मां के गर्भ में प्रवेश हुए, ठीक शिवलिंग की आकृति का एक प्रकाश-बिंदु मां के गर्भ में प्रविष्ट हुआ। शरीर तो तुम्हें गर्भ के भीतर मिला। जब तुम शरीर को छोड़ेगो, मृत्यु घटित होगी-पहले भी घटित हुई है-तब तुम्हारा शरीर आकार पड़ा रह जाएगा; शिवलिंग ज्योतिर्मय पिंड तुमसे उठेगा और दूसरी यात्रा पर निकल जाएगा।जिस दिन तुम संभोग की परम अवस्था में आओगे और पूरा शरीर रोमांचित होगा, उस दिन तुम जैसे जन्म के समय में घटना घटी थी, मृत्यु के समय में घटी थी, लेकिन जन्म के समय तुम मूर्च्छित थे, मृत्यु के समय फिर तुम मूर्च्छित हो जाओगे, इस संभोग के क्षण में-इस संभोग का कोई संबंध दूसरे से नहीं है, इस संभोग का संबंध तुम्हारे भीतर शरीर के सब बांध को तोड़कर तुम्हारी चेतना का शिवलिंग बन जाने से है-तुम्हें पहली दफा अपने स्वरूप को अनुभव होगा। और यह स्वरूप अस्तित्व के साथ जो आनंद का अनुभव करता है, उसको तंत्र ने संभोग कहा है।यह एकांत में भी घट सकता है, किसी के साथ भी घट सकता है।लेकिन मैं तुमसे कहता हूं, एकांत की ही तुम चिंता करना, क्योंकि दूसरे के साथ भी घटेगा, तो भी तुम जानोगे कि इसका दूसरे से कुछ लेना-देना नहीं है। यह घटना स्वतंत्र है। रोएं-रोएं से प्रकाश निकलता है, तुम्हारे भीतर एक ज्वार उठता है।और जो फर्क है...जब तुम्हारे भीतर पूर्ण ज्वार होता है, तो उस पूर्ण ज्वार का कोई भी स्खलन नहीं है। वह स्खलित होगा भी कैसे ? और जो अंडाकार आकृति है, वह स्खलन को रोकती है। उसमें कहीं छिद्र भी नहीं है, जहां से स्खलन हो सके। ऊर्जा वर्तुल में घूमने लगती है। और धीरे-धीरे, धीरे-धीरे तुममें फिर लीन हो जाती है, तुमसे बाहर नहीं जाती। तुममें उठती है, तुममें लीन हो जाती है। जैसे सागर में ज्वार आता है, फिर लीन हो जाता है। कहीं कुछ खोता नहीं।...<br /><br /><div align="right"><span style="color:#3333ff;">... यह अंश ओशो लिखित "ध्यान की कला" के हैं. </span></div><div align="right"><span style="color:#3333ff;">साभारः भारतीय साहित्य संग्रह</span></div><div align="right"><span style="color:#3333ff;">प्रेषकः डॉ. अरुण सिंह </span></div>Ramashankarhttp://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com2