क्या आपको तलाश है अपने - या अपने पार्टनर की उत्तेजना को और तेज करने के रास्ते की? यह सुनकर आश्चर्य होगा कि इससे संबंधित कुछ नसों के अंतिम सिरे योनि की दीवार पर होते हैं. यह हिस्सा योनि द्वार से योनि के एक तिहाई हिस्से पर पाया जाता है और ये हैं जी व ए स्पॉट.
जी स्पॉट शब्द की सर्वप्रथम व्याख्या आज से लगभग 50 वर्ष पहले जर्मन स्त्रीरोग विशेषज्ञ ग्रेफेनबर्ग ने की थी. लेकिन जब से यह शब्द अस्तित्व में आया है तब से इसे लेकर मतभेद रहे हैं. लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कई महिलाएं उत्तेजना के दौरान पाती हैं कि यह क्षेत्र अत्यधिक कामुकता से परिपूर्ण है. यह माना जाता है कि जी स्पॉट योनि की फ्रंट दीवार पर पाया जाता है जो प्यूबिक बोन और गर्भद्वार के मध्य में होता है. इस पर प्रहार करने के लिये, इसको खोजने का सरलतम तरीका होगा कि इसे गर्भद्वार की ओर से शुरू करें. इसका संरचनात्मक अनुभव नाक के अगले सिरे (tip of nose ) की तरह होता है. फिर धीरे-धीरे योनि की अग्र दीवार से होते हुए नीचे की ओर आएं. उत्तेजना के दौरान यह फूला रहता है, यह पहचान इसकी खोज में सहायक होती है. कुछ लोग इसे कुछ ज्यादा स्पंजी क्षेत्र के रूप में अनुभव करते हैं और जब इस पर प्रहार किया जाता है तो वह अत्यंत आनंददायी होता है. लेकिन ऐसा अनुभव सभी महिलाओं के प्रति नहीं रहा. कुछ ने तो इस पर प्रहार के दोरान पेशाब जाने की इच्छा भरी सनसनाहट का अनुभव किया वहीं कुछ महिलाएं इस क्षेत्र को लेकर भावशून्य रहीं. वहीं कुछ महिलाएं जी स्पाट उत्तेजना के दौरान एक रंगहीन गंधहीन द्रव स्खलन करते भी पाईं गईं. कुछ रिसर्च के दौरान पाया गया कि इस द्रव में प्रोस्टैटिक एन्जाइम पाए गये हैं इस आधार पर यह माना गया कि यह प्रोस्टेट के समतुल्य है. ठीक इसी तरह होता है ए जोन. यह जी स्पाट और गर्भद्वार के बीच आधे रास्ते पर कद्दू की तरह मुलायम क्षेत्र होता है. और एक बार फिर महिलाएं इस क्षेत्र को उत्तेजित करने पर तीव्र रिस्पांस देती है. ए जोन को आसानी से पकय्डने के लिये और अत्यधिक संतुष्टि के लिये पीछे से सेक्स करना बेहतर होता है किन्तु जी स्पॉट की तरह इसके लिये उतनी कठिनाई नहीं आती. यदि आप जी स्पाट या ए जोन तक नहीं पहुंच पाते हैं तो यह आपके लिये तो सामान्य है लेकिन आपके पार्टनर के लिये अपूर्णता की स्थिति है, जो एक तरह से आपके सुखमय सेक्स जीवन के लिये कुछ कमी की तरह है. इसलिये इस प्रयोग का आनंद उठाएं और देखें की आप दोनों कितना बेहतर अनुभव करते हैं.
जी स्पॉट शब्द की सर्वप्रथम व्याख्या आज से लगभग 50 वर्ष पहले जर्मन स्त्रीरोग विशेषज्ञ ग्रेफेनबर्ग ने की थी. लेकिन जब से यह शब्द अस्तित्व में आया है तब से इसे लेकर मतभेद रहे हैं. लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कई महिलाएं उत्तेजना के दौरान पाती हैं कि यह क्षेत्र अत्यधिक कामुकता से परिपूर्ण है. यह माना जाता है कि जी स्पॉट योनि की फ्रंट दीवार पर पाया जाता है जो प्यूबिक बोन और गर्भद्वार के मध्य में होता है. इस पर प्रहार करने के लिये, इसको खोजने का सरलतम तरीका होगा कि इसे गर्भद्वार की ओर से शुरू करें. इसका संरचनात्मक अनुभव नाक के अगले सिरे (tip of nose ) की तरह होता है. फिर धीरे-धीरे योनि की अग्र दीवार से होते हुए नीचे की ओर आएं. उत्तेजना के दौरान यह फूला रहता है, यह पहचान इसकी खोज में सहायक होती है. कुछ लोग इसे कुछ ज्यादा स्पंजी क्षेत्र के रूप में अनुभव करते हैं और जब इस पर प्रहार किया जाता है तो वह अत्यंत आनंददायी होता है. लेकिन ऐसा अनुभव सभी महिलाओं के प्रति नहीं रहा. कुछ ने तो इस पर प्रहार के दोरान पेशाब जाने की इच्छा भरी सनसनाहट का अनुभव किया वहीं कुछ महिलाएं इस क्षेत्र को लेकर भावशून्य रहीं. वहीं कुछ महिलाएं जी स्पाट उत्तेजना के दौरान एक रंगहीन गंधहीन द्रव स्खलन करते भी पाईं गईं. कुछ रिसर्च के दौरान पाया गया कि इस द्रव में प्रोस्टैटिक एन्जाइम पाए गये हैं इस आधार पर यह माना गया कि यह प्रोस्टेट के समतुल्य है. ठीक इसी तरह होता है ए जोन. यह जी स्पाट और गर्भद्वार के बीच आधे रास्ते पर कद्दू की तरह मुलायम क्षेत्र होता है. और एक बार फिर महिलाएं इस क्षेत्र को उत्तेजित करने पर तीव्र रिस्पांस देती है. ए जोन को आसानी से पकय्डने के लिये और अत्यधिक संतुष्टि के लिये पीछे से सेक्स करना बेहतर होता है किन्तु जी स्पॉट की तरह इसके लिये उतनी कठिनाई नहीं आती. यदि आप जी स्पाट या ए जोन तक नहीं पहुंच पाते हैं तो यह आपके लिये तो सामान्य है लेकिन आपके पार्टनर के लिये अपूर्णता की स्थिति है, जो एक तरह से आपके सुखमय सेक्स जीवन के लिये कुछ कमी की तरह है. इसलिये इस प्रयोग का आनंद उठाएं और देखें की आप दोनों कितना बेहतर अनुभव करते हैं.
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