Sunday, March 09, 2008

45 प्लस में महिला कैसे रहें चुस्त-दुरुस्त

मेनोपॉज को लेकर स्त्रियों में बहुत सी भ्रांतियां हैं। कुछ समझती हैं कि उनकी शारीरिक क्षमता कम हो रही है और वे बुढ़ापे की ओर अग्रसर हो रही हैं, तो कुछ मानती हैं कि मेनोपॉज उनके काम-सुख पर रोक लगाता है। जबकि ये भ्रांतियां वास्तविकता से कोसों दूर हैं। मेनोपॉज स्त्री की जनन क्षमता का अंत है, ना कि उसकी शारीरिक-क्षमता और काम-क्षमता का। मेनोपॉज के बाद स्त्री पूर्ण रूप से जीवन-सुख और काम-सुख का आनंद ले सकती है। सही मायने में देखें तो और अधिक आनंद ले सकती है, यदि वह थोड़ा-सा स्वयं को तैयार कर ले तो।

क्या होता है इसमें
मेनोपॉज में अंत:स्त्राव ग्रंथियों में परिवर्तन आता है। इसमें अंडाशय अब सामान्य मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन बनाना कम कर देता है। यह उम्र के साथ होने वाली सामान्य प्रक्रिया है। कभी-कभी किसी असामान्य बाह्य प्रभाव से भी अंडाशय के कार्यो पर प्रभाव पड़ता है या फिर गर्भाशय निकाल दिए जाने पर भी मेनोपॉ़ज हो जाता है। हार्मोन्स के असंतुलन से भी मेनोपॉ़ज हो सकता है। सामान्यतया मेनोपॉ़ज की इस प्रक्रिया के प्रति यदि हम अपनी सोच सामान्य रखें तो इसे एंजॉय कर सकते हैं। वे स्त्रियां जो संतुलित आहार वाली जीवन शैली व स्वास्थ्य की धनी हैं, उनमें मेनोपॉज जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में आता है और जीवन सुखद रूप से चलता रहता है। वहीं वे स्त्रियां जो अपने खानपान का ध्यान नहीं रखतीं, अनियमित जीवन शैली अपनाती हैं उनमें मेनोपॉज एक शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता ले कर आता है। उनमें मेनोपॉज के साथ-साथ हॉट फ्लैश, नाइट स्वेटिंग, अनिद्रा या इनसोमेनिया, अनियमित पीरियड्स, काम-इच्छा का लुप्त होना, बहुत जल्दी थकान, सिरदर्द, चक्कर आना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। भारी शरीर वाली व अगतिशील स्त्रियों में गर्भाशय एवं स्तन कैंसर की संभावनाएं भी अधिक होती हैं। करें भावनात्मक तैयारी जब लड़की किशोरावस्था में प्रवेश कर रही होती है तो मां उसे होने वाले परिवर्तनों जैसे पीरियड्स के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करती है, जिससे वह इन परिवर्तनों से विचलित न हो। फिर मेनोपॉज के समय हम स्वयं को शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से तैयार कर जीवंत क्यों न बनाएं। जीवन की नई शुरुआत स्त्रियों में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों के साथ-साथ यदि संतुलित आहार, नियमित जीवन शैली व व्यायाम का ध्यान रखा जाए तो मेनोपॉज एक नए जीवन की शुरुआत हो सकती है। अनुसंधान सिद्ध करते हैं कि जिन स्त्रियों में फिटनेस लेवल कम होता है उनमें मेनोपॉज से संबंधित परेशानियां अधिक देखने को मिलती हैं। जो स्त्रियां सप्ताह में कम से कम तीन घंटे व्यायाम करती हैं, वे फिट रहती हैं। उच्च उत्तेजक व्यायाम मेनोपॉज के पश्चात् भी अस्थियों की घनत्वता बनाए रखने में सहायक होते हैं। व्यायाम जनन मांसपेशियों में कैंसर प्रतिरोधक का कार्य तो करता ही है, साथ ही मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावनाओं को भी कम करता है। ऐसी स्त्रियों को अपने आहार में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटमिन ई और डी, पेंटोथिक एसिड आदि अवश्य लेने चाहिए। यदि हॉट फ्लैश आते हैं तो सोया, साबुत अनाज, बींस तथा विटमिन ई सहायक होते हैं तो कैल्शियम व विटमिन डी ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव में। संतुलित आहार जरूरी अपने आहार में हरी सब्जियां, सैलेड, फल, बिना वसा का दूध, अंकुरित अनाज, पनीर, सोयाबीन आदि अवश्य शामिल करें। प्राकृतिक चिकित्सा में कहा गया है कि 60-90 मिली. चुकंदर का रस दिन में तीन बार लिया जाना मेनोपॉज में होने वाले असंतुलन को संतुलित करता है।

क्या करें, क्या न करें
1. अपने शरीर के वजन (1 ग्राम प्रति किलोग्राम) के अनुपात में वसा का सेवन करें, उससे अधिक नहीं। इसमें प्राकृतिक वसा भी सम्मिलित है। उदाहरण-50 किलोग्राम वजन की स्त्रियों को कुल 50 ग्राम वसा एक दिन में लेनी चाहिए।
2. छोटे-छोटे आहार पांच बार लें।
3. रोज 1.5 से 2 लीटर तरल पदार्थो का सेवन करें (पानी के अतिरिक्त)।
4. खाद्य पदार्थो को कम पानी व कम वसा में हलका पकाएं।
5. ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें।
6.एनिमल फैट के स्थान पर वेजटेबल फैट का प्रयोग करें।
7. साबुत अनाज का अधिकतम सेवन करें, वे पौष्टिक तत्व तथा फाइबर प्रदान करते हैं।
8. मिठाई तथा रिफाइंड शुगर का कम से कम सेवन करें। जो भी खाएं या पिएं खुश होकर उसका सेवन करें, स्वाद लेकर खाएं साथ ही जीने के लिए खाएं, खाने के लिए न जिएं।

उपयोगी है एक्सरसाइज
व्यायाम एवं नियमित जीवन शैली के लिए सबसे पहले यह जानें कि आपके शरीर की क्या आवश्यकता है। आइए अब जानें आप क्या-क्या कर सकती हैं-
1. योग में सूर्य नमस्कार, पवनमुक्तासन द्वितीय एवं तृतीय अवस्था, धनुरासान, सर्वागासन, हलासन, मतस्यासन, पश्चिमोत्तानासन एवं संतुलन आसन करें। ये सभी आसन यदि कमर दर्द हो तो बिना विशेषज्ञ की सलाह एवं देखरेख के न करें।
2. मुद्राओं में अश्विनी, वजरौली, महामुद्रा एवं महाभेद मुद्रा लाभकारी है। उडि़यान बंध एवं मूल बंध संबंधित मांसपेशियों को सुदृढ़ करते हैं। इनके अतिरिक्त योग निद्रा एवं अंतर मौन लाभकारी हैं। ब्रह्म मुहूर्त का विशेष लाभ उठाएं।
3. एक्सरसाइज में कॉर्डियो, रेजिस्टेंस तथा फ्लेक्सिबिलिटी एक्सरसाइज को सम्मिलित करें। इन सभी की नियमितता, उत्तेजकता, समयावधि एवं प्रकार आपके अपने शरीर के अनुरूप होनी चाहिए। यद्यपि यह सब विशेषज्ञ की सलाह पर करना चाहिए, फिर भी एक ऐसी स्त्री जो व्यायाम के लिए नई है, साथ ही मेनोपॉज के दौर से गुजर रही है, उसके लिए एक एक्सरसाइज सेशन का उदाहरण प्रस्तुत है -व्यायाम का एक सेशन 45 मिनट का होना चाहिए, जिसमें 5-10 मिनट वॉर्म अप (उत्तेजक व्यायाम) करें, इसके अंतर्गत लो इन्टेसिटी वॉकिंग (हलकी उत्तेजक वॉकिंग) कर सकती हैं। इसके बाद लगातार लगभग 20 मिनट तेज (ब्रिस्क) वॉक करें (अपनी क्षमतानुसार गति रखें)। जिस गति में आप स्वाभाविक हैं, उस गति को लगातार 20 मिनट तक बनाए रखें। इसी गति में बिना विराम लिए 10-15 मिनट में वॉकिंग को धीमा करते हुए निम्न अंगों व कमर की स्ट्रेचिंग करते हुए समाप्त कर दें। इसमें लेग स्ट्रेच, कॉफ स्ट्रेच, ट्रंक रोटेशन, एंकल रोटेशन, बेन्डिंग स्ट्रेच आदि सम्मिलित करें। यह स्ट्रेचिंग अपनी क्षमतानुसार करें। यह सेशन सभी स्त्रियां कर सकती हैं। विशेषज्ञ की सलाह पर आप अपने लिए एक्सरसाइज बैटरी भी तैयार करवा सकती हैं जो आपके लिए सही मायने में रामबाण का कार्य करेगी। अपने मस्तिष्क से यह भ्रम निकाल दें कि यदि आपको गर्भाशय से संबंधित या अन्य कोई और अस्वस्थता है तो आप व्यायाम अथवा योग नहीं कर सकतीं। ऐसे में फिटनेस एक्सपर्ट एवं डॉक्टर की सलाह से आप अपने को चिरयौवन प्रदान कर सकती हैं।

(यह मैटर मेल द्वारा ब्लाग मित्र ने भेजा है)

5 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सही जानकारी है. इस विषय पर जानकारी बहुत कम है वह भी हिन्दी में।

admin said...

आपने एक गम्भीर मुददे पर सटीक जानकारी दी है।

Anita kumar said...

बहुत ही उपयोगी जानकारी, धन्यवाद

Anonymous said...

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