यदि कहा जाय तो सेक्स की वास्तविक उम्र वह होती है जब कोई पुरुष या महिला मेडिकल तौर पर बालिग हो जाते हैं. लेकिन आज के समय में सेक्स की उम्र का निर्धारण कठिन है. टीन एज या किशोरावस्था से ही लोग सेक्स क्रिया के प्रति उत्सुकता दिखाने लगते हैं. यही वह उम्र होती है जब शारीरिक परिवर्तन का दौर शुरू होता है और विपरीत लिंग की ओर आकर्षण बढ़ता है. इसके साथ ही सेक्स शब्द के प्रति जिज्ञासा का दौर शुरू होता है. सेक्स एक आश्चर्यजनक अनुभव है. लेकिन दूसरी ओर यह एक बारूदी सुरंग भी है. इसलिये इसमें प्रवेश करने से पहले इस पर पूरा सोच विचार और पूरी जानकारी होना जरूरी है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार लड़कियों को तब तक सेक्स नहीं करना चाहिए जब तक वे सेक्स के प्रति जागरुक न हों और शारीरिक रूप से सक्षम(पूर्णता) न हो. पूर्ण जागरुकता न होने से एक ओर जहां गर्भ धारण करने का खतरा है तो दूसरी ओर किशोरावस्था में सेक्स करने पर सरवाइकल कैंसर की भी संभावना रहती है.
सेक्स और उसकी उम्र आज के समय का महत्वपूर्ण मुद्दा है. आज मीडिया व आम चर्चा में यह सभी जगह गाहे बगाहे उठता रहता. आम निष्कर्ष और धारणा के आधार पर सेक्स की औसत आयु 60 वर्ष तक आंकी जाती है. लेकिन आज मेडिकल साइंस और दिनचर्या के आधार पर इसमें बढ़ोत्तरी हो सकती है. महिला और पुरुष चक्र के आधार पर दोंनों का सेक्सुअल पैटर्न अलग-अलग होता है. आदमी में पौरुष कठोरता(उत्तेजना) तब शुरू मानी जाती है जब वह गर्भस्थान में स्थिर रह सकता है. संतानोत्पत्ति की क्षमता (वीर्य बनना) की शुरुआत 13 साल की आयु से हो जाती है किन्तु लड़कों में औसतन 16 वर्ष के पहले प्रारंभ नहीं होती है. यह समझने योग्य है कि इस अवस्था में काफी परिवर्तन आते हैं. लड़के 18 वर्ष की उम्र के लगभग सेक्स क्रिया कलापो के लिए उंचाई पा लेते है. जब यह प्वांइट ऑन हो जाता है तो उत्तेजना और स्खलन की क्षमता का एक बूंद द्वारा पीछा किया जाता है और यह क्षमता 30 साल की आयु तक पूर्णता लिये होती है.
जहां वह मानसिक रूप से एक स्खलन के पश्चात एक और स्खलन के लायक योग्य हो जाता है. 40 साल की उम्र तकलोग मानसिक रूप से उत्तेजकता और क्रिया कलापों को लेकर शिथिल होने लगते हैं. यह क्रमिक झुकाव 50 साल की उम्र तक चलता रहता है और यहां आकर व्यापक अस्थिरता उत्पन्न होती है. इस उम्र पर पुरुष की सेक्स क्षमता उसकी अंतिम किशोरावस्था और शुरुआती यौवनावस्था की आधी रह जाती है. 40 के बाद सेक्स के प्रति लगाव या उत्साह घटने लगता है. उत्तेजना कम शक्तिशाली और कठिन हो जाती है और स्खलन भी कमजोर पड़ जाता है.
उम्र के अनुरूप सेक्स क्षमताऔर लगाव में कमी के कई कारण हैं. इनमें कई शारीरिक और इंद्रिय संबंधी हैं. इनमें हृदय और उसका परिभ्रमणतंत्र का कमजोर होते जाना, ग्रंथि और हार्मोनल सिस्टम तथा नाड़ी तंत्र की क्षमता आदि हैं.
लेकिन इनके विपरीत देखा गया है कि जिनकी पौरुष क्षमता या सेक्स क्षमता कमजोर होती है उनमें 90 फीसदी लोग मानसिक रूप से कमजोर होते हैं न कि शारीरिक या इंद्रिय रूप से. इनमें से भी 60 फीसदी लोग तो उत्तेजना और स्खलन संबंधी परेशानियों के लिये सिर्फ मानसिक रूप से ही पीड़ित होते हैं न कि शारीरिक रूप से.
महिलाओं में सेक्स क्षमता(संतानोत्पत्ति क्षमता) पुरुषों से जल्दी आ जाती है. अक्सर यह समय 2 वर्ष पहले होता है. यौवन का आरंभ लड़कियों में बदलता है जो 14 या 15 साल की उम्र के पहले प्रारंभ नहीं होता है. महिलाओं का उम्र के अनुसार सेक्स क्षमता का गिराव पुरुषों से भिन्न होता है. महिलाओं में उम्र के हिसाब से जैसे-जैसे हार्मोन का बनना न्युन होता जाता है योनि की दीवार का भीतरी आवरण पतला और कठोर होता जाता है साथ ही योनि स्निग्धता में भी कमी आती जाती है. जो सहवास के दौरान अनकम्फर्ट(असंतोषजनक) होता है. किन्तु इस अवस्था में भी महिला अपनी किसी उम्र दराज महिला के बराबर ही यौन सुख का आनंद उठा सकती है. हालांकि इस यौन सुख तक पहुंचने में लगने वाला समय ज्यादा होता जाता है. यह परिवर्तन मेनोपाज(रजोनिवृत्ति) तक धीरे-धीरे होते हैं. जो लगभग 45 से 55 साल की अवस्था में होता है. इसके बाद काफी नाटकीय परिवर्तन होता है. इसके पश्चात महिलाओं में सेक्स की रुचि खत्म होने लगती है या यह कहा जा सकता है कि महिला सेक्स का सामान्यतः आनंद नहीं ले सकती है. लेकिन इधर कुछ सालों में कई महिलाओं का मानना है किइस समय भी उनका सेक्स के आनंद की अनुभूति और रुझान बढ़ा है.
सेक्स और उसकी उम्र आज के समय का महत्वपूर्ण मुद्दा है. आज मीडिया व आम चर्चा में यह सभी जगह गाहे बगाहे उठता रहता. आम निष्कर्ष और धारणा के आधार पर सेक्स की औसत आयु 60 वर्ष तक आंकी जाती है. लेकिन आज मेडिकल साइंस और दिनचर्या के आधार पर इसमें बढ़ोत्तरी हो सकती है. महिला और पुरुष चक्र के आधार पर दोंनों का सेक्सुअल पैटर्न अलग-अलग होता है. आदमी में पौरुष कठोरता(उत्तेजना) तब शुरू मानी जाती है जब वह गर्भस्थान में स्थिर रह सकता है. संतानोत्पत्ति की क्षमता (वीर्य बनना) की शुरुआत 13 साल की आयु से हो जाती है किन्तु लड़कों में औसतन 16 वर्ष के पहले प्रारंभ नहीं होती है. यह समझने योग्य है कि इस अवस्था में काफी परिवर्तन आते हैं. लड़के 18 वर्ष की उम्र के लगभग सेक्स क्रिया कलापो के लिए उंचाई पा लेते है. जब यह प्वांइट ऑन हो जाता है तो उत्तेजना और स्खलन की क्षमता का एक बूंद द्वारा पीछा किया जाता है और यह क्षमता 30 साल की आयु तक पूर्णता लिये होती है.
जहां वह मानसिक रूप से एक स्खलन के पश्चात एक और स्खलन के लायक योग्य हो जाता है. 40 साल की उम्र तकलोग मानसिक रूप से उत्तेजकता और क्रिया कलापों को लेकर शिथिल होने लगते हैं. यह क्रमिक झुकाव 50 साल की उम्र तक चलता रहता है और यहां आकर व्यापक अस्थिरता उत्पन्न होती है. इस उम्र पर पुरुष की सेक्स क्षमता उसकी अंतिम किशोरावस्था और शुरुआती यौवनावस्था की आधी रह जाती है. 40 के बाद सेक्स के प्रति लगाव या उत्साह घटने लगता है. उत्तेजना कम शक्तिशाली और कठिन हो जाती है और स्खलन भी कमजोर पड़ जाता है.
उम्र के अनुरूप सेक्स क्षमताऔर लगाव में कमी के कई कारण हैं. इनमें कई शारीरिक और इंद्रिय संबंधी हैं. इनमें हृदय और उसका परिभ्रमणतंत्र का कमजोर होते जाना, ग्रंथि और हार्मोनल सिस्टम तथा नाड़ी तंत्र की क्षमता आदि हैं.
लेकिन इनके विपरीत देखा गया है कि जिनकी पौरुष क्षमता या सेक्स क्षमता कमजोर होती है उनमें 90 फीसदी लोग मानसिक रूप से कमजोर होते हैं न कि शारीरिक या इंद्रिय रूप से. इनमें से भी 60 फीसदी लोग तो उत्तेजना और स्खलन संबंधी परेशानियों के लिये सिर्फ मानसिक रूप से ही पीड़ित होते हैं न कि शारीरिक रूप से.
महिलाओं में सेक्स क्षमता(संतानोत्पत्ति क्षमता) पुरुषों से जल्दी आ जाती है. अक्सर यह समय 2 वर्ष पहले होता है. यौवन का आरंभ लड़कियों में बदलता है जो 14 या 15 साल की उम्र के पहले प्रारंभ नहीं होता है. महिलाओं का उम्र के अनुसार सेक्स क्षमता का गिराव पुरुषों से भिन्न होता है. महिलाओं में उम्र के हिसाब से जैसे-जैसे हार्मोन का बनना न्युन होता जाता है योनि की दीवार का भीतरी आवरण पतला और कठोर होता जाता है साथ ही योनि स्निग्धता में भी कमी आती जाती है. जो सहवास के दौरान अनकम्फर्ट(असंतोषजनक) होता है. किन्तु इस अवस्था में भी महिला अपनी किसी उम्र दराज महिला के बराबर ही यौन सुख का आनंद उठा सकती है. हालांकि इस यौन सुख तक पहुंचने में लगने वाला समय ज्यादा होता जाता है. यह परिवर्तन मेनोपाज(रजोनिवृत्ति) तक धीरे-धीरे होते हैं. जो लगभग 45 से 55 साल की अवस्था में होता है. इसके बाद काफी नाटकीय परिवर्तन होता है. इसके पश्चात महिलाओं में सेक्स की रुचि खत्म होने लगती है या यह कहा जा सकता है कि महिला सेक्स का सामान्यतः आनंद नहीं ले सकती है. लेकिन इधर कुछ सालों में कई महिलाओं का मानना है किइस समय भी उनका सेक्स के आनंद की अनुभूति और रुझान बढ़ा है.
2 comments:
आप हिन्दी में बहुत उपयोगी ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। लेकिन लगता है आप लिखने के बाद उसे पढ़ते नहीं हैं। टंकन और व्याकरण में बहुत ग़ल्तियां हैं।
मंगला जी की बात ठीक लगती है। कृपया टेक्स्ट जस्टिफाई ना करें, कई ब्राउज़रों में पढ़ने में दिक्कत आती है।
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