सेक्स का कोई शाब्दिक अर्थ नहीं है, दूसरा हर कोई इसे करना चाहता है. सेक्स का आशय सिर्फ जननेद्रियों से पूर्णतः संबंधित नहीं है. सेक्स का आशय उस बोधगम्य महत्वपूर्ण उद्यम से है जिस पर ईमानदारी से मूल्य लगाया जाय तो यह बहुमूल्य अभ्यास हो सकता है. सेक्स को महसूस किया जा सकता है पर परिभाषित नहीं किया जा सकता सेक्स करना और सेक्स को समझना दो अलग-अलग कार्य हैं. यह ठीक उसी तरह है जिस तरह भोजन करना और पोषण या पाचन क्रिया को समझना है. सेक्स सिर्फ सहवास तक सीमित नहीं है और न ही इसे जननेद्रियों के क्रिया कलापों तक सीमित किया जा सकताहै. वास्तव में सेक्स चंचलता का विशाल दायरा है. इस तरह इसका कोई शब्दार्थ नहीं है बल्कि यह सिर्फ एक अनुभूति है जो अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरीके से मिलती है. वहीं इसका दूसरा अर्थ पऱकृति से उस रिश्ते से लगाया जा सकता है जिसकी अनुभूति से मन को एक संतुष्टि मिलती है चाहे वह जननेन्द्रियों से मिले या किसी अन्य वस्तु, सोच, नामकरण या क्रिया कलापों से. कुल मिलाकर यह एक शब्द की अनुभूति है. इसलिएअब चलिए सेक्स की एक नई यात्रा पर दूसरी ओर एक नए अर्थ में जिस कार्य के बाद शरीर को एक नए आनंद की अनुभूति होती है वह सेक्स है. जो दिमाग से चलकर जनन इन्द्रियों द्वारा आत्मानंद को प्राप्त करता है. इस दौरान शरीर के हर अंग अपना अलग अलग महत्व रखते हुए अपनी सहभागिता निभाते है. सेक्स शब्द के अर्थ में कई शब्दार्थ समाहित रहते हैं. जिनमे मित्रता, दृढ़ परिचय, घनिष्टता, आनंद, उत्पादकता, शारीरिक सम्पूर्णता और वह विश्वास की जिंदगी सही है. सेक्स का लाक्षणिक अर्थ है यथार्थता और यह धर्म तथा रीति के निबंधो के तहत चलती है. एक विद्वान का मत है कि सेक्स मूलतः शरीर में ही विद्यमान है. यह एक अरैखिक अनुभव है. सेक्स का विश्लेषण अनुभूति आदि तो किया जा सकता है किन्तु सेक्स करना और समझना दोनों अलग-अलग कार्य हैं. वहीं कुछ का मानना है कि एक ऐसी कल्पना जिसे हर कोई आनंद के लिए पाना चाहता है सेक्स कहलाती है. दूसरी ओर आधुनिक ख्याल के लोगों के अनुसार असीम आनंद की अनुभूति के लिए दो विपरीत या समान लिंग वालों द्वारा शरीर के कुछ विशेष अंगों द्वारा की जाने वाली क्रियाएं सेक्स कहलाती हैं. इन सबके विपरीत शब्दकोश में दिये गए शाब्दिक अर्थों पर जाएं तो उसका मतलब लिंग, स्त्री पुरुष भेद, काम क्रिया, यौन क्रिया, संभोग, सहवास आदि है.
Monday, October 16, 2006
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4 comments:
उपयोगी जानकारी. साधुवाद नहीं कहूंगा. क्योंकि साधुओं का सेक्स से क्या नाता. इसलिए धन्यवाद ही स्वीकारें. स्वागत है चिट्ठाजगत में.
चिट्ठाजगत बहुरंगी होता जा रहा हैं. आपका स्वागत हैं.
सेक्स का लाक्षणिक अर्थ है यथार्थता और यह धर्म तथा रीति के निबंधो के तहत चलती है
इसका मतलब समझ नहीं आया।
सेक्स शब्द के अर्थ में कई शब्दार्थ समाहित रहते हैं. जिनमे मित्रता, दृढ़ परिचय, घनिष्टता, आनंद, उत्पादकता, शारीरिक सम्पूर्णता और वह विश्वास की जिंदगी सही है.
इस वाक्य में कुछ गड़बड़ लगती है।
कुल मिलाकर यह एक शब्द की अनुभूति है. इसलिएअब चलिए सेक्स की एक नई यात्रा पर दूसरी ओर एक नए अर्थ में जिस कार्य के बाद शरीर को एक नए आनंद की अनुभूति होती है वह सेक्स है.
इस वाक्य में भी कुछ गड़बड़ है, और पूरा समझ में नहीं आया।
वाक्य कुछ मुश्किल लगे समझने में। अन्यथा प्रयास अच्छा है।
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