Wednesday, January 10, 2007

शारीरिक रचना


स्त्री पुरुष की शारीरिक रचना निश्चित तौर पर भिन्न होती है. बाल्यकाल में दोनो की शारीरिक रचना में महज थोड़ी ही भिन्नता होती है जो उम्र के अनुरूपक्रमशः परिवर्तित होती जाती है. पूर्ण वयस्क होने पर दोनो में काफी भिन्नता आ जाती है. यूं तो शरीर की आंतरिक संरचना भी भिन्न होती है लेकिन यहां अभी स्त्री पुरुषों के उन बाह्य अंगो की जानकारी दी जा रही है जो उनमें महिला या पुरुष होने का भान कराते हैंसाथ ही इसी संरचना को लेकर सर्वाधिक जिज्ञासा रहती है.
महिलाओं की शारीरिक संरचनाः
सर्वाधिक जटिल शारीरिक संरचना महिलाओं की ही होती है. बाल्यावस्था के पश्चात तरुणाई से लेकर यौवनावस्था तक इनमें परिवर्तन होते हैं. जहां इनके स्तन विकसित होना शुरू होते हैं तो योनि प्रदेश में भी काफी परिवर्तन होते हैं. सर्वप्रथम इनकी सेक्सुअल शारीरिक रचना पर गौर करते हैं-
दिमागः
किसी महिलाकी सबसे महत्वपूर्ण सेक्सुअल इन्द्रिय उसका दिमाग है. किसी महिला की सेक्स क्षमताके उत्तरदायित्व की सर्वाधिक सामर्थ्य दिमाग रखता है. महिला की सेक्स के प्रति रुचि का जितना जिम्मेदार उसका दिमाग होता है कई मामलों में पुरुष भी इस क्षेत्र में पीछे रहते हैं.
स्तनः
महिला के स्तनों का प्रारंभिक काम तो शिशुओं का पालन-पोषण करना है. यह सीने के सामने के हिस्से में होता है. स्तन मुख्यतः दूध बनाने वाली ग्रन्थि है. इसमें छोटे मांसपेशियों के रेशे की संरचना होती है जो चुंचुक (nipple) के नाम से जानी जाती है. उत्तेजना के क्षणों में यह कड़ी और उच्च अवस्था में आ जाती है.
पिट्यूटरी ग्रंथिः
यह मुख्य ग्रंथि होती है जो अपने हार्मोन के द्वारा ज्यादातर ग्रंथियों को प्रभावित करती है. यह ग्रंथि FSH (फॉलिकिल स्टिमुलैटिंग हार्मोन) और LH (लूटिनाइजिंग हार्मोन ) का निर्माण करती है. ये हार्मोन अण्डाशय( ovary) को बताते हैं कि कब एस्ट्रोजन या प्रोजेस्ट्रान हार्मोन का निर्माण करना है. यह अण्डाशय को यह भी बताता है कि यौवनावस्था के दौरान अब स्त्राव प्रारंभ करने का समय है तभी मासिक धर्म प्रारंभ होता है. एस्ट्रोजन हार्मोन से स्त्रियों को यौवनावस्था प्राप्त होती है एक विशेष अवस्था के बाद स्त्रियों में जननेन्द्रियां, नितंब और स्तनों के विकसित होने में यही सहायक होता है साथ ही यह अण्डाणु को अण्डाशय में परिपक्व होने का निर्देश देता है. वहीं प्राजेस्ट्रान हार्मोन गर्भाशय( uterus) को भीतरी आवरण या अस्तर के निर्देश देता है. इसी हार्मोन के कारण गर्भाशय भ्रूण धारण करता है.
थायराइड ग्रंथिः
यह शरीर की मास्टर ग्रंथि है. यदि यह सही काम कर रही है तो ठीक अन्यथा आपका मासिक सही नहीं होगा.
यहां के बाद दो भिन्न और सेक्स के लिये महत्वपूर्ण शारीरिक संरचनाएं होती है. जो बाह्य सेक्सुअल इन्द्रियां (बाह्य जननेन्द्रियां) और आंतरिक सेक्सुअल इंन्द्रियां(आंतरिक जननेन्द्रियां) कहलाती हैं.

3 comments:

Anonymous said...

निःसंकोच जारी रखें.

Neeraj Rohilla said...

इस प्रकार के ज्ञानवर्धक लेख पर भला कैसी आपत्ति !

निःसंकोच लेखन कार्य आगे बढायें

ePandit said...

बिल्कुल जारी रखे जी, बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी है और पूरी शालीनता से लिखी गई है। इस पर किसी को क्या आपति हो सकती है। इसे अश्लीलता की श्रेणी में बिल्कुल नहीं रखा जा सकता।