Monday, October 22, 2007

आपके सवाल हमारे जवाब

यहां हम अक्सर उठने वाले सवालों के जवाब देने का प्रयास कर रहें हैं . यदि आपके भी कुछ सवाल हों तो भेज सकते हैं sharmarama2000@yahoo.com पर . हम नाम प्रकाशित नहीं करेंगे.

Q1- गर्भ निरोधक गोली और गर्भ निरोधक शॉट में क्या अंतर हैं?
Ä- गर्भधारण से बचने के लिये गर्भ निरोधक गोलियों को नियमित तौर पर प्रतिदिन लेना पड़ता है. गोलियां मुख्यतः आपके शारीरिक सिस्टम से २४ घंटे में बाहर आ जाती हैं और इसमें यह महत्वपूर्ण रहता है कि इसे नियमित तौर पर प्रतिदिन नियत समय पर खाना होता है. जबकि गर्भ निरोधक शॉट हर तीन महीने में दिया जाता है. यह हार्मोनल इन्जेक्शन होता है जो बांह या कूल्हों में लगाया जाता है. ज्यादातर महिलाएं जो गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं उनके पीरियड्स का चक्र 28 दिनों का हो जाता है. वहीं वे महिलाएं जो शॉट लेती है उनके पीरियड़्स तब तक के लिये रुक जाते हैं जब तक के लिये शॉट लिया गया होता है. गर्भनिरोधक गोलियां और गर्भनिरोधक शॉट दोनों के प्रयोग से हल्का वजन (1.5 से 2.5 किलो )बढ़ता है. यहां यह महत्वपूर्ण है कि आपके चिकित्सक जांच उपरांत किस गर्भ निरोधक की सलाह देते हैं. इन दोनों के प्रयोग के पहले आप चिकित्सक से तब तक प्रश्न पूछे जब तक कि आप संतुष्ट नहीं हो जाते . इनके प्रयोग के बाद भी यह ध्यान रखें कि यदि कोई संक्रमण है तो कंडोम का प्रयोग अवश्य करें .


Q2 - स्खलन के बाद शरीर के बाहर शुक्राणु की आयु कितनी होती है?
† Ä- शुक्राणु जैसे ही हवा के संपर्क में, कपड़ों के संपर्क में , बिस्तर या फिर टॉयलेट सीट या किसी अन्य बाह्य शारीरिक अंगों के संपर्क में आते हैं तो अपनी गमन क्षमता (तैरने की शक्ति) खो देते हैं. यदि एक बार वीर्य सूख गया तो शुक्राणु मृत हो जाते हैं.
यदि शुक्राणु महिला के पास ही हैं लेकिन उसे कोई निषेचन द्रव्य (fertile fluid) नहीं मिलता तो वे कुछ ही घंटे में मृत हो जाएंगे फिर वे चाहे शरीर के अंदर हों या फिर बाहर .यदि शुक्राणु को महिला में निषेचन द्रव्य मिल जाता है तो वे वहां एक सप्ताह तक जीवित रहकर निषेचन के लिये अण्डाणु का इंतजार करते हैं. इस आधार पर यह कह सकते हैं कि शरीर से बाहर निकलने पर शुक्राणु कुछ घंटे ही जीवित रह सकते हैं.


♀♂Q3 - पुरोनितंब रोएं (pubic hair) शेव करने चाहिए या नहीं?
† Ä- गुप्तांगों की साफ-सफाई के मामले में इनके पास के रोएं साफ करना या शेव करना महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. पुरुषों के मामले में इन रोमों की शेविंग उतनी महत्वपूर्ण नहीं मानी जाती जितनी की महिलाओं की . क्योंकि महिलाओं की शेविंग सेक्स क्रिया में काफी सहभागिता निभाती है. लेकिन ज्यादातर पूछे जाने वाले प्रश्नों में महिलाओं के प्रश्न होते हैं कि शेविंग के बाद रोम क्या ज्यादा घने होते हैं या सेविंग के बाद क्या होता है तो इसका जवाब यह है कि जब तक इन रोमों की शेविंग नहीं होती तब तक यह काफी कोमल होते हैं लेकिन जैसे ही शेविंग की जाती है तो इनमें कड़ा और भारीपन आने लगता है साथ ही घनत्व भी बढ़ता है. तथा शेविंग के बाद जब यह दोबारा निकलते हैं तो शुरुआती दौर में काफी खुजलाहट भरे और अनकम्पर्टेबल होते है. इसलिये बेहतर है रेजर की अपेक्षा कोई बेहतर हेयर रिमूविंग क्रीम का उपयोग करें जल्दी जल्दी हेयर रिमूविंग से बचे . रेजर से शेविंग के बाद निकलने वाले रोम काफी कठोर होते है.


Q4 - स्तनों का अलग-अलग आकार कोई समस्या तो नहीं ?
† Ä- यह कोई समस्या या बीमारी नहीं हैं एक ही महिला को दोनों स्तनों का आकार छोटा बड़ा होना सामान्य और अक्सर पायी जाने वाली बात होती है. स्तनों का ही आकार ही नहीं बल्कि शरीर के दाएं और बायें कई अंगों में अन्तर होता है . इसलिये इसे लेकर तनाव ग्रस्त न हों.

Q5 - स्तन कितने बढ़ सकते हैं और इनका सामान्य आकार क्या है?
† Ä- इस सवाल का कोई ‘वास्तविक’ जवाब नहीं दे सकता है. जिस तरह व्यक्ति अलग-अलग आकार में आता है कोई लंबा होता है तो कोई छोटा ठीक इसी तरह से कुछ लड़कियों के भारी कुछ के मध्यम तो कुछ के छोटे स्तन होते हैं. इसी मसले को लेकर कुछ लड़कियां इस लिये परेशान रहती हैं क्योंकि वे सोचती हैं कि उनके स्तन काफी छोटे हैं.
दरअसल स्तनों के आकार का निर्धारण फैशन के नजरिये से किया जाता है. लेकिन चिकित्सा विज्ञान के नजरिये से स्तनों की कोई आदर्श साइज निर्धारित नहीं हैं. वहीं दूसरी ओर स्तनों के आकार का शिशु के पालन पोषण व स्तन कैंसर से भी कोई लेना देना नहीं है.स्तनों का आकार मनचाहे तौर पर बढ़ाने का इकलौता तरीका सिर्फ सर्जिकल है. लेकिन इसके कई साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं . वहीं गर्भावस्था व तरुणाई की दहलीज पर भी स्तनों के आकार में वृद्धि होती है.इसके अलावा बेहतर आहार भी स्तनों के विकास में कुछ सहायक हो सकता है.

Q6 - यदि मां-बहन के स्तन छोटे हैं तो मेरे भी स्तन छोटे होंगे?
† Ä- स्तनों के आकार को लेकर कुछ अनुवांशिक घटक भी होते हैं. लेकिन कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ अपना तर्क देते हैं कि एक ही परिवार में बहन, मां और बेटी के स्तनों का अलग-अलग आकार होना कोई असमान्य बात नहीं है. लेकिन ज्यादातर पाया गया है कि परिवार में ज्यादा तर स्तनों का आकार समतुल्य ही होता है लेकिन इससे भी इनकार नहीं है कि स्तनों का आकार अलग-अलग भी हो सकता है.

Q7 - कुछ महीनों से वीर्य पतला हो गया है तथा पहले जब वीर्य को उंगलियों के बीच रखकर वापस उंगली अलग करता था तो ज्यादा चिपचिपा पन था लेकिन अब नहीं है. क्या यह बीमारी है?
† Ä-
नहीं और संभवतः नहीं क्योंकि वीर्य की बनावट व दिखावट प्राकृतिक तौर पर महीने, दिन व कई बार तो एक वीर्यपात से दूसरे वीर्यपात के बीच बदलती रहती हैं. इसकी कई वजहें व डाइट भी शामिल है. इसलिये यह बहुत चिन्ता का विषय नहीं है. हां जब पतलापन काफी ज्यादा व लगातार कई महीने तक यही स्थिति बनी रहे तो डिग्री होल्डर योग्य चिकित्सक से जांच करा सकते हैं.

Q8 - जैसा बताया जाता है कि वीर्य में प्रोटीन होता है तो वीर्यपात के बाद क्या शरीर की मसल्स कमजोर हो जाती हैं?
† Ä-
नहीं वीर्यपात से कोई कमजोरी नहीं आती. यह सही है कि वीर्य में प्रोटीन होता है लेकिन उसमें प्रोटीन की मात्रा नगण्य होती है. यदि तुलनात्मक रूप से भी देखे तो जितना प्रोटीन शरीर सामान्य डाइट से ग्रहण करता है उस तुलना में भी वीर्यपात के साथ निकले प्रोटीन को नगण्य माना जा सकता है . फिर भी यदि शंका न दूर हो तो आप चाहे तो एक या दो दाना मूमफल्ली खा सकते हैं इससे आपके शरीर में वीर्यपात के बाहर निकले प्रोटीन का दोगुना प्रोटीन शरीर को मिल जाएगा. इसलिये यह स्वीकार कर लें कि वीर्यपात से शरीर को सुगठित बनाने की क्षमता कम जाती है.

Q 9- योनि में कसाव की कमी आ गई है कैसे दूर करें?
† Ä- श्रोणितल की पेशियों में कमजोरी आने से योनि में कसाव कम हो जाता है और ढीलापनमहसूस होने लगता है. योनि की पेशियां चुस्त दुरुस्त बनाने से योनि का ढीलापन दूर किया जा सकता है और चरम योनसुख की आनंदानुभूति जागृत की जा सकती है. इसके लिये एक साधारण सा व्यायाम है जिससे प्यूबोकाक्सीजियस पेशी मजबूत होती जाती है. जिससे योनि का ढ़ीलापन दूर होता जाता है.इस व्यायाम को कहीं भी , कभी भी और किसी भी मुद्रा में किया जा सकता है. इसके लिये करना यह होता है कि मूत्र प्रवाह रोकने वाली पेशी को अंदर की ओर ठीक वैसे भींचे जैसे कि मूत्र के वेग को रोक रही हों. अगले तीन सेकेण्ड तक प्यूबोकाक्सीजियस पेशी को इसी प्रकार अंदर ही अंदर भींचे रखें. फिर अगले 3 सेकेण्ड के लिये शरीर को ढीला छोड़ दें. अब एक बार फिर प्यूबोकाक्सीजियस पेशी को 3 सेकेण्ड तक अंदर भींचे. फिर 3 सेकेण्ड के लिये पेशी को ढीला छोड़ दें. यह व्यायाम 10-10 बार सुबह शाम करें और फिर बढ़ाते हुए 25-25बार सुबह और शाम करें. अभ्यास हो जाने पर तेज गति से करने लगें.इस व्यायाम से 2-3 माह में ही आप अपने भीतर बड़ा परिवर्तन महसूस करने लगेंगी. इसे करते रहने से आपके श्रोणिगुहा के अंगों को समुचित आवलंबन मिलता रहेगा.

1 comment:

Anonymous said...

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